लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, भारतीय सेना के श्रीनगर कोर के पूर्व कमांडर रहे हैं। वह रेडिकल इस्लाम के इर्द-गिर्द घूमने वाले मुद्दों पर विशेष जोर देने के साथ एशिया और मध्य पूर्व में अंतर-राष्ट्रीय और आंतरिक संघर्षों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वह कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और रणनीतिक मामलों और नेतृत्व के इर्द-गिर्द घूमने वाले विविध विषयों पर भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में बड़े पैमाने पर बोलते हैं।
अभी हाल ही में रूस ने मनोवैज्ञानिक युद्ध का एक अच्छा लेकिन बहुत पुराना तरीका आजमाया। इसने व्यापक रूप से प्रचारित क
'हाइब्रिड' (मिश्रण या भ्रम) रणनीति में जब एक राष्ट्र शामिल होता है, तो उसका इरादा विरोधी को परेशान करना, तोड़ना, निराश
पाकिस्तान ने वृहद परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से सात साल काम करने के बाद हाल ही में एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (एनए
2022 की शुरुआत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर होने वाली कुछ घटनाओं के साथ हुई। लंबे अंतराल के बाद कुछ जगहों पर मिठाइयों
मैंने काफी समय से पंजाब की राजनीति को गंभीरता से नहीं लिया है। हालांकि जब वहां उग्रवाद और आतंकवाद जोरों पर था उन द
उग्रवाद या आतंकी अभियानों को बेअसर करने के लिए किए जाने वाले काउंटर ऑपरेशनों की कुछ अलग ही विशेषताएँ होती है। विशे
काफी लंबे समय से दुनियाँ का ध्यान अफगानिस्तान और तालिबान 2.0 पर केंद्रित है। यह धारणा प्रबल हो रही थी कि मध्य पूर्व
पूँछ सेक्टर के राजौरी सुरनकोट रोड की उत्तर दिशा में भाटा धुरियन वन क्षेत्र में आतंकवादियों के विरुद् हालिया ऑपरे
प्रत्येक वर्ष 13 अक्टूबर को ऐसे दिवस के रूप में मनाया जाता है कि कैसे दुनिया भर के लोग और समुदाय आपदाओं के प्रति अपने
भू-राजनीतिक हलकों में यह आम धारणा रही है कि शिया बाहुल्य ईरान, सुन्नी विचारधारा वाले तालिबान का सदा से विरोधी है। ह
अफगानिस्तान में शीघ्रपरिवर्तित होती स्थितियाँ (कलाईडोस्कोप) लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) जै
समस्याग्रस्त अफगानिस्तान लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) मैंने उपरोक्त शीर्षक का चयन इस विषय के
अफगानिस्तान में अस्थिरता का दुनिया पर असर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त) अमेरिका और नाटो की 20 सा
लद्दाख में चीन-भारत गतिरोध से संबंधित रणनीतिक घटनाओं के एक साल बाद संभवत: उन अनछुए पहलुओं का जायजा लेने और उनका विष
1979 के बाद जब ईरानी क्रांति तेहरान में सड़कों पर उतरी तो ईरान में एक ऐसे शासन की नींव पड़ी जो पश्चिमी देशों के लिए मित