कर्नल शिवदान सिंह (बीटेक एलएलबी) ने सेना की तकनीकी संचार शाखा कोर ऑफ सिग्नल मैं अपनी सेवाएं देकर सेवानिवृत्त हुए। 1986 में जब भारतीय सेना उत्तरी सिक्किम में पहली बार पहुंची तो इन्होंने इस 18000 फुट ऊंचाई के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र को संचार द्वारा देश के मुख्य भाग से जोड़ा। सेवानिवृत्ति के बाद इन्हें दिल्ली के उच्च न्यायालय ने समाज सेवा के लिए आनरेरी मजिस्ट्रेट क्लास वन के रूप में नियुक्त किया। इसके बाद वह 2010 से एक स्वतंत्र स्तंभकार के रूप में हिंदी प्रेस में सामरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों पर लेखन कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में चाणक्य फोरम हिन्दी के संपादक हैं।
फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों पहले वायु सेना के अधिकारी थे, जिन्हें भारत सरकार ने अभूतपूर्व वीरता के लिए परम
स्वयं से पहले देश, यही भारतीय सेना के हर जवान की पहली और आखिरी पहचान है। और देश की रक्षा के दौरान खुद से पहले अपने सा
1962 के युद्ध से कुछ समय पहले ही 13 कुमाऊं इन्फैंट्री बटालियन लद्दाख के चुशूल क्षेत्र में भेजी गई, जहां पर इस बटालियन
1962 के भारत चीन युद्ध में उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लगने वाली भारत-चीन सीमा पर तवांग जाने वाले रास्ते पर सूबे
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में वर्ष 1965 का युद्ध कई मायनों में यादगार है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे
वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध को भले ही भारत की हार के तौर पर जाना जाता हो लेकिन उस युद्ध में ऐसे कई मोर्चे थे जहां भा
भारतीय वीरों की शौर्य गाथा देश की सीमाओं के बाहर भी सम्मान से सुनी और सुनाई जाती हैं। आजादी के पहले अंग्रेजी हुकू
आजाद भारत तरक्की के दो कदम चलता, इससे पहले ही नापाक पड़ोसी ने दुश्मनी के बीज बोने शुरू कर दिए। पाकिस्तान अपने ना
अचानक मृत्यु से केवल तीन दिन पहले जनरल बिपिन रावत ने विश्व को चेतावनी दी कि यदि कोरोना जैसी महामारी जैविक युद्ध मे
वीर वह है जो हमलावर दुश्मन की आंखों में देखकर कह सकता है कि तू दुष्ट है और तेरा युद्ध का मकसद भी गलत है। भारतीय सेना
1965 के भारत-पाक युद्ध में खेमकरण के असल उत्तर मैदान में पाकिस्तान के 21 पैटन टैंकों को बर्बाद करके उसके फौलादी मुक्के
14 जून 2020 को चीनी सैनिकों ने अचानक गलवान घाटी में नियंत्रण रेखा पर पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के पास अपनी एक निगरानी चौकी और स
कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तिथवाल में 8 जुलाई 1948 को पाकिस्तानी हमलावरों ने यहां की एक महत्वपूर्ण पहाड़ी रिंग कंटूर
दादा-दादी और माता-पिता की जुबानी बचपन से वीरों की कहानियाँ सुनने वाले देश के सपूतों ने हर दौर में वीरता की नयी गाथा
अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर हमला करने के साथ-साथ पाकिस्तानी हमलावरों ने जम्मू से पुंछ के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने प
अगस्त 1947 में भारत आज़ाद हुआ। उसी समय भारत का बंटवारा भी हुआ, जिसमें 14 अगस्त को भारत के एक हिस्से को पाकिस्तान के रूप मे
आज के युग में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामरिक और रणनीतिक क्षेत्र में काफी उथल-पुथल मची हुई है जिसके परिणाम स्वरूप नए-
अफगानिस्तान में तालिबान के द्वारा सत्ता हथियाने के बाद पाकिस्तान की कुख्यात आईएसआई पूरे विश्व में यह प्रचार करन
तालिबान के संदर्भ में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की समीक्षा कर्नल शिवदान सिंह तालिबान के कब्जे के बाद पूरे विश्
अफगानिस्तान की आज की स्थिति के लिए केवल और केवल वहां की सरकार और सेना ही जिम्मेवार है कर्नल शिवदान सिंह अप्रैल