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चीन का कूटनीतिक आक्रमण – आसियान से मजबूत संबंध

गुरजीत सिंह (राजदूत)
मंगल, 05 अक्टूबर 2021   |   6 मिनट में पढ़ें

जिस समय क्वाड 24 सितंबर अपने शिखर सम्मेलन में आसियान पर ध्यान केंद्रित कर रहा था  उसी दौरान दोनों शिखर सम्मेलनों की बीच की अवधि में चीन-आसियान की कुछ गतिविधियां प्रकाश में आयी, जिन्हें भारत में बहुत अधिक महत्व नहीं दिया गया।

वर्तमान में, चीन और आसियान ने अपनी संवाद भागीदारी के 30 वर्ष पूरे किये  हैं। क्वाड-2 शिखर सम्मेलन से पूर्व, चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने तीन आसियान देशों वियतनाम, कंबोडिया और सिंगापुर का दौरा किया। उन्होंने दक्षिण कोरिया का भी दौरा किया। इस वर्ष उनका आसियान देशों का यह दूसरा दौरा था। जनवरी, 2021 में उन्होंने म्यांमार, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और फिलीपींस का दौरा किया था।[1]

वर्ष 2021 के दौरान 10 आसियान देशों में से सात देशों की यात्रा की गयी।   केवल मलेशिया, लाओस और थाईलैंड ही शेष हैं, जिनमें से प्रत्येक के चीन के साथ संबंध मधुर हैं। इसके अतिरिक्त चीन द्वारा दो मंत्रिस्तरीय बैठकों का आयोजन भी किया गया। सात जून, 2021 को 30वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आसियान-चीन विदेश मंत्रियों की बैठक चोंगकिंग में हुई।[2] दो महीने बाद, 3 अगस्त 2021 को आसियान-चीन मंत्रिस्तरीय बैठक वर्चुली हुई।[3]

उस बैठक के पश्चात आसियान समन्वयक के रूप में फिलीपींस का तीन वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया। म्यांमार को इसकी अध्यक्षता सौंप दी गई  जो अगस्त 2024 तक रहेगी।[4]

इस बीच चीन आसियान देशों के साथ संपर्क बनाने और अपने कार्यात्मक एवं आर्थिक संबंधों का विस्तार करने में व्यस्त था। उन्होंने ट्रंप और बाइडन के प्रशासन की अवधि के अंतराल के समय का उपयोग असियन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए किया। उस अवधि में अमेरिका आसियान के साथ अपने संबंध मजबूत बनाऐ रखने से विमुख हो गया था।

क्वाड का शिखर सम्मेलन आरंभ हो जाने के पश्चात भी चीन अन्य देशों के साथ अपने संबंध विकसित कर रहा था। अगस्त में चीन-आसियान मंत्रिस्तरीय बैठक, ईएएस मंत्रिस्तरीय बैठक में चीनी भागीदारी और एआरएफ जैसी कुछ बैठकें चीन के लिए विशेष नहीं हैं क्योंकि क्वाड देशों सहित सभी आसियान भागीदारों की समान व्यस्तता थी। विशेष महत्व इस बात का है कि वांग ने आसियान देसो के दो दौरे किये और 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर आसियान के विदेश मंत्रियों के साथ निजी रूप से बैठक की। चीन ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का विकल्प नहीं चुना, उदाहरण के लिए,  जैसा भारत ने 2017/18 में इसकी 25वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया था। महामारी के दौरान चीन  निजी रूप से शामिल होने वाली बैठक की मेजबानी करता तो, इस प्रक्रिया को श्रेय मिलता।

चीन ने क्वाड-2 शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पूर्व ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (CPTPP) के व्यापक और प्रगतिशील समझौते के लिए आवेदन किया था। वह उस अवधि को उपयोग में लाया जब  वर्तमान अध्यक्ष जापान अपने आंतरिक  कारणों से ध्यान केंद्रित नही कर कर पा रहा था और उसने न्यूजीलैंड के साथ अपना आवेदन दायर किया। इसने सीपीटीपीपी के कुछ सदस्यों को आश्चर्यचकित कर दिया, जैसे ऑस्ट्रेलिया जो चीन से चौकन्ना रहता हैं। ताइवान को भी हैरानी हुई, क्योंकि वे पहले आवेदन करना चाहता था लेकिन अब उसने चीन के आवेदन के बाद जल्दबाजी में आवेदन किया। सीपीटीपीपी के लिए चीन का आवेदन इस बात का संकेत है कि वे इस क्षेत्र के साथ अधिक जुड़ रहे हैं।

सितंबर में आसियान में अपने प्रवेश के दौरान वांग यी ने वियतनाम का दौरा किया, जिसके साथ आसियान में संबंध सबसे कटु प्रतीत होते हैं। अगस्त में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के वियतनाम दौरे के बाद से इसने चीन की उपस्थिति को फिर से मजबूत किया है ।

आधिकारिक स्तर पर औपचारिक बैठकों के अतिरिक्त, उन्हें वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी की 13वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में भाग लेने का अवसर मिला। यह चीन और वियतनाम के बीच एक कड़ी है, जो अन्य क्वाड देशों के पास नहीं है। वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के महासचिव के साथ चर्चा ‘समाजवादी विकास मॉडल’ पर केंद्रित थी।

चीन-वियतनाम व्यापार में इस वर्ष लगभग 14% की वृद्धि हुई है। चीन ने वियतनाम को 30 लाख डॉलर और टीकों की पेशकश की। वांग यी ने इस अवसर का उपयोग वियतनाम पर गहन द्विपक्षीय सहयोग की आवश्यकता   का प्रभाव डालने के लिए किया। वियतनाम  दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर इसके प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय कानून पर यूएनसीएलओएस की भूमिका पर अपनी बंदूके ताने हुए हैं।

वियतनाम से वांग कंबोडिया गए। 2022 में आसियान के अध्यक्ष का पदभार  कंबोडिया ग्रहण करेगा और शायद जो आसियान देशों में चीन का सबसे करीबी भी है। कंबोडिया ने ताइवान, हांगकांग और झिंजियांग पर चीन की स्थिति का समर्थन किया। चीन और कंबोडिया के बीच छह सूत्रीय सहमति उनके संबंधों का मार्गदर्शन करती है और यह घोषणा करती है कि चीन-कंबोडिया ‘दोस्ती लोहे और स्टील से ज्यादा मजबूत है’।[5]

कंबोडियाई बुनियादी ढांचे और औद्योगीकरण को बढ़ाने के लिए बीआरआई के उपयोग पर जोर दिया गया। स्कूलों, चिकित्सा सुविधाओं आदि के अतिरिक्त लंकांग-मेकांग आर्थिक विकास बेल्ट, सिहानोकविले विशेष आर्थिक क्षेत्र और नोम पेन्ह-सिहानोकविले एक्सप्रेसवे के साथ न्यू इंटरनेशनल लैंड-सी ट्रेड कॉरिडोर वे बड़ी परियोजनाएं हैं, जिन्हें चीन ने कंबोडिया के साथ शुरू किया है। 2023 में   कंबोडिया द्वारा एसईए खेलों की मेजबानी करते समय मोरोडोक टेको नेशनल स्टेडियम अत्यधिक सुविधाओ से लैस होगा।

चीन कंबोडिया में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए अंडरवाटर फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाने में सहायता करेगा। 270 मिलियन डॉलर के अनुदान सहित छह द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। कंबोडिया को वैक्सीन की 30 लाख खुराक ओर देने का वादा किया गया। चीन ने कंबोडियाई कृषि उत्पादों की बड़ी मात्रा में आयात की भी पेशकश की है।[6]

दौरा किये जाने वाला तीसरा आसियान देश सिंगापुर था। सिंगापुर को चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित रखने वाले देश के रूप में देखा जाता है। कई मायनों में, सिंगापुर ने पिछले एक दशक में चीन से सतर्क रहने से लेकर चीनी महत्वाकांक्षाओं के साथ तालमेल बिठाने तक अपनी स्थिति को बनाये रखा है। सिंगापुर अब चीन के संदर्भ में एक आसियान देश की तरह ही व्यवहार कर रहा है।

वांग यी द्वारा अपने समकक्ष के साथ की गयी चर्चा में, सरकारी परियोजनाओं तथा विशेष रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था में द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग पर  बल दिया गया। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के शीघ्र कार्यान्वयन और सीपीटीपीपी में शामिल होने की चीन की महत्वाकांक्षा पर चर्चा की गई। यह महत्वपूर्ण था क्योंकि अगले वर्ष जब सीपीटीपीपी के लिए चीन के आवेदन पर चर्चा होगी, तब सिंगापुर अध्यक्ष होगा। चीनी मीडिया इस बात पर  जोर देना चाहता था कि सिंगापुर के साथ संबंध और चीन के साथ काम करने की सिंगापुर की इच्छा अमेरिका द्वारा ध्यान दिए जाने के बावजूद कम नहीं हुई है। अगस्त में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रक्षा सचिव का दौरा  वियतनाम के साथ-साथ सिंगापुर में भी हुआ था।

सिंगापुर के विदेश मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि अमेरिका भी इस क्षेत्र में एक सौम्य, रचनात्मक और सकारात्मक शक्ति है। परंतु उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्षों की सबसे बड़ी सफलता चीन की रही है। सिंगापुर ने आशा व्यक्त की   कि अमेरिका और चीन के बीच टकराव को कम किया जा सकता है। सीपीटीपीपी जैसे चीन के बहुपक्षीय प्रयासों का स्वागत किया गया क्योंकि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक एकता स्थापित होगी। सिंगापुर का आसियानीकरण पूर्ण प्रतीत होता है!

जिस तरह अमेरिकी आगंतुकों ने चीन के आलोचनात्मक बयानों के लिए सिंगापुर का इस्तेमाल किया था, उसी तरह वांग यी की यात्रा ने सिंगापुर यात्रा के दौरान अमेरिकी दृष्टिकोण को चुनौती दी।[7]

संबंधों में आए बदलाव का अध्ययन करने के लिए फिलीपींस के बयानों को देखना दिलचस्प होगा। फिलीपींस एक ऐसा देश है जिसे दक्षिण चीन सागर में चीनी रणनीति से अत्यधिक नुकसान हुआ है। 2021 में, चीनी मछली पकड़ने वाली नौकाओं की फिलीपींस के पानी में नियमित घुसपैठ जारी रही। दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में आचार संहिता (सीओसी) के लिए बातचीत को आगे बढ़ाने के फिलीपींस के प्रयासों पर कोई विचार नहीं किया गया।

फिलीपींस के बिदेशमंत्री लोक्सिन ने कहा कि उन्होंने सीओसी वार्ता पर उतनी ही प्रगति का प्रयत्न किया, जितनी परिस्थितियों ने अनुमति दी। फिलीपींस द्वारा चीन के साथ समन्वयक की भूमिका संभालने से एक वर्ष पूर्व मनीला में आयोजित आसियान के 50 वें वर्षगांठ शिखर सम्मेलन में 2017 में सीओसी की रूपरेखा तैयार की गई थी। सितंबर 2020 तक, फिलीपींस को उम्मीद थी कि वे सीओसी के दूसरे प्रारूप में सक्षम होंगे और शायद तीसरे को शुरू करेंगे। अगस्त 2021 तक  ऐसा नहीं  हुआ। आसियान देश महामारी का हवाला देकर धीमी गति को उचित ठहराते हैं और उन जटिल मुद्दों पर वेर्चुएली चर्चा संभव नहीं है।

यह उल्लेख करना भी दिलचस्प होगा कि फिलीपींस ने अपना संयोजन सौंपते हुए, आसियान-चीन साझेदारी को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ की स्थिति के विकास के रूप में सुझाव दिया। लोक्सिन ने कहा कि यह विस्तार भूगोल और वास्तविक राजनीति पर आधारित है। चीन के आर्थिक आकार ने इसे वैश्विक महामारी के बाद आसियान का एक महत्वपूर्ण रिकवरी पार्टनर बना दिया है।

इस प्रकार, एक देश, जो एससीएस में चीनी घुसपैठ से सबसे अधिक परेशान है, वही बड़े पैमाने पर भू-राजनीति की वास्तविकताओं और चीन की आर्थिक ताकत पर आधारित संबंधों को मजबूत करने पर बल दे रहा है। यह आसियान देशों  के अवधारको द्वारा अनेक कठिनाइयों के बावजूद चीन के साथ तालमेल जारी रखने के निर्धारक है।

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[1] Chris Devonshire-Ellis, China’s Foreign Minister Wang Yi’s Mini 2021 ASEAN Tour, China briefing, 18 January 2021, https://www.china-briefing.com/news/chinas-foreign-minister-wang-yis-mini-2021-asean-tour-highlights/

[2] Wang Yi Attends Special ASEAN-China Foreign Ministers’ Meeting in Celebration of the 30th Anniversary of Dialogue Relations, FMPRC, 7 June 2021, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/zxxx_662805/t1882097.shtml

[3] ASEAN-China Ministerial Meeting, MFA Thailand, 4 August 2021, https://www.mfa.go.th/en/content/aseanchinafmmeeting03082021-2?cate=5d5bcb4e15e39c306000683e

[4] PH turns over Asean-China coordinator ship to Myanmar, PNA, 4 August 2021, https://www.pna.gov.ph/articles/1149302

[5] Wang Yi: Make the China-Cambodia Friendship Stronger than Iron and Steel, fmprc, 13 September 2021, https://www.fmprc.gov.cn/mfa_eng/wjdt_665385/wshd_665389/t1906533.shtml

[6] Chinese State Councilor concludes two-day official working visit in Cambodia, Khmer Times, 14 September 2021, https://www.khmertimeskh.com/50934462/chinese-state-councilor-concludes-two-day-official-working-visit-in-cambodia/

[7] Kayla Wong ,Chinese foreign minister Wang Yi wins online praise for comments on US-China ties during S’pore visit, Mothership, 15 September 2021, https://mothership.sg/2021/09/wang-yi-singapore-visit-praise/


लेखक
राजदूत गुरजीत सिंह 37 वर्षों तक भारतीय राजनयिक रहे। वह जर्मनी, इंडोनेशिया, तिमोर-लेस्ते और आसियान और इथियोपिया, जिबूती और अफ्रीकी संघ में भारत के राजदूत रहे हैं, इसके अलावा जापान, श्रीलंका, केन्या और इटली में असाइनमेंट पर रहे हैं। वह पहले 2 भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलनों के लिए शेरपा थे और भारत और इथियोपिया पर उनकी पुस्तक 'द इंजेरा एंड द परांथा' को खूब सराहा गया था। उन्होंने जापान, इंडोनेशिया और जर्मनी के साथ भारत के संबंधों पर किताबें भी लिखी हैं।

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