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पुस्तक समीक्षा : द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेस’

राधा शर्मा
मंगल, 08 फरवरी 2022   |   4 मिनट में पढ़ें

पुस्तकों में उपचार की अपार शक्ति होती है। पढ़ना एक अंतरंग प्रक्रिया है; जो आपके और उस पुस्तक के बीच होती है, जो मौन है फिर भी उसमें इतने शक्तिशाली शब्द हैं जो क्रांति ला सकते हैं। हाल ही में मुझे स्वप्निल पांडे द्वारा लिखित और पेंगुइन रैंडम हाउस द्वारा प्रकाशित एक ऐसी ही पुस्तक ‘द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेज’ मिली। मैंने जनवरी 2021 में अपने सैनिक लेफ्टिनेंट कर्नल ऋषभ शर्मा को खो दिया। वह 254 आर्मी एविएशन में फ्लाइट कमांडर थे। वह जम्मू और कश्मीर में कर्तव्यरत अवस्था में ध्रुव हेलीकॉप्टर दुर्घटना में शहीद हो गये। वह घाव अभी भी ताजा हैं। मैंने इस किताब को देखते ही समझ लिया कि यह एक ज्ञानसमृद्ध और प्रेरणादायक पुस्तक होगी। इस पुस्तक की समीक्षा करने से पूर्व मैं लेखिका को दिल से धन्यवाद देना चाहूंगी जिन्होंने न केवल हमारी कहानियों को संकलित किया है बल्कि हमें केंद्र में रखते हुए इस रचना को गढ़ा है, जो शायद ही पहले कभी किया गया हो, उनका समर्पण भी हृदयस्पर्शी है।

‘उन सभी वीर नारियों को समर्पित जो शक्ति अर्जित करने की चाह में हम सभी को प्रेरित करती हैं। हम बताना चाहते हैं कि आप अकेली नहीं हैं पूरा देश आप जैसी नारियों के साथ खड़ा है।’

पुस्तक से यह पता चलता है कि हमारे सैनिकों के जाने के लंबे समय बाद भी युद्ध की कीमत कौन चुकाता है? सीमाओं पर साहसी नायकों की कई कहानियां हैं, लेकिन हम उनके पीछे मजबूती से खड़ी महिलाओं के बारे में कितना जानते हैं? फोर्स बिहाइंड द फोर्सेस, शाश्वत प्रेम, साहस और बलिदान की सात सच्ची कहानियों का संग्रह है। एक सैनिक की पत्नी स्वप्निल पांडे द्वारा लिखित, यह पुस्तक टूटे हुए सपनों, खोई हुई आशाओं और बिखरते परिवारों के सामने अकल्पनीय वीरता की चलती-फिरती कहानियों को प्रस्तुत करती है। यह साबित करता है कि गोलियां और बम हमारे सैनिकों के केवल शरीर को भेद सकते हैं, उनकी कहानियां इन बहादुर महिलाओं के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी, जिन महिलाओं ने बिना वर्दी के भी अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। शक्तिशाली कहानियों को एक आकर्षक पुस्तक कवर के साथ प्रकाशित किया गया है। सशस्त्र बलों के पुरुष और स्त्री पहलुओं को बखूबी चित्रित किया गया है। कवर पर धूल और टैंक इसे शक्तिशाली बनाते हैं। पुरुष और महिला के जूते इसमें भरपूर रोमांस को पिरोते हैं जो फौजी संबंधों की ताकत को बखूबी दर्शाता है। इस पुस्तक ने मेरे दिल के सभी तारों को स्पर्श किया है, इसकी कहानियों में विषाद, गर्मजोशी और उदासी की भावनाएं ओत-प्रोत हैं। इसमें सात कहानियाँ हैं। छह उन वीर नारियों की हैं जो अपने सैनिक पतियों के साथ उनकी जीवनयात्रा में साहस और शौर्य का वर्णन करती हैं। सातवीं और आखिरी कहानी सुखद है; कारगिल लव स्टोरी जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह कारगिल युद्ध के हीरो कैप्टन नवीन नागप्पा और उनकी पत्नी सौम्या नागप्पा की कहानी है। जब आप पुस्तक के चरमोत्कर्ष पर पहुँचते हैं तो यह कहानी निश्चित रूप से आपको आनंद प्रदान करती है, क्योंकि इसके पूर्व की ज्यादातर कहानियां कर्तव्य की राह में त्य़ाग से परिपूर्ण हैं। कहानियों का अंत उदासी भरा है लेकिन इन कहानियों को पढ़ना दिलचस्प है। इनमें एक विशिष्ट फौजी जीवन के ग्लैमर से लेकर सर्वोच्च बलिदान तक के विभिन्न पहलुओं को रोमांचकारी अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

लेखिका स्वप्निल पांडे ने फौजी जीवन की हर बारीकियों को कहानी में इस तरह पिरोया है कि शायद ही कोई और इतनी सफलता से उनका वर्णन कर सकता है। इसके पीछे शायद यही कारण है कि वह स्वयं एक सैनिक की पत्नी हैं। वह न केवल यह जानती है कि एक वर्दीधारी सैनिक से प्रेम करने का क्या नुकसान हो सकता है बल्कि वह स्वयं इसका सामना करती हैं। एक वीर नारी होते हुए इन कहानियों को पढ़ते समय मेरी आंखों से आंसू बहने लगे और अंतिम कहानी पढ़ते-पढ़ते मुस्कराने लगी। हालांकि यह किताब सिर्फ फौजी लोगों के लिए नहीं है, मुझे लगता है कि हर भारतीय को भारतीय सेना के बारे में पढ़ना और समझना चाहिए। यदि आप सैनिकों के लोकाचार और भावना को नहीं समझते तो आप सेना को जानने का दावा नहीं कर सकते।

लेखिका बताती हैं कि इस पुस्तक को लिखना आसान नहीं था। वह कई बार रो पड़ीं लेकिन वीर नारियों के साहस और उद्देश्य की भावना ने अंततः उन्हें इस पुस्तक को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। अन्य रक्षा उपन्यासों के विपरीत ‘द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेज’ असाधारण है। इसमें न केवल युद्ध के मैदान पर भारतीय सैनिकों की वीरता को उजागर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियानों और विभिन्न रोमांचकारी मिशनों को शामिल किया गया है, बल्कि एक फौजी परिवार की भावनाओं की जटिलता को भी पूरी तरह से चित्रित किया गया है। एक अद्वितीय और संवेदनशील विषय चुनने और सैनिकों की असाधारण वीरता, साहस, गौरव और गरिमा को कहानियों में पिरोने के लिए मैं लेखिका की सराहना करना चाहती हूं।

मैं यह बताना चाहूंगी कि ‘द फ़ोर्स बिहाइंड द फोर्सेस: स्टोरीज़ ऑफ़ ब्रेव इंडियन आर्मी वाइव्स’ अमेज़न की बेस्टसेलर तालिका में प्रमुखता पर है और लोगों के दिलों पर राज कर रही है, जो अपनी समीक्षा में पाँच-सितारा दे रहे हैं। पुस्तक को जारी करने का सौभाग्य पदमभूषण डॉ. वी. मोहिनी गिरीस को मिला। भारत की स्वतंत्रता से पहले जन्मी डॉ. मोहिनी गिरीस न केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, बल्कि वह भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने में अग्रणी भी हैं। उन्होंने युद्ध विधवा संघ (वार विडोज एसोसिएशन) के परिसर में संघ के 50वें गौरवशाली स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर पूरे भारत की वीरांगना विधवाओं के समक्ष पुस्तक का लोकार्पण किया। इस पुस्तक को विभिन्न भारतीय हस्तियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा भरपूर समर्थन मिला है। इस पुस्तक ने युद्ध विधवाओं का राष्ट्र निर्माण में योगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी मदद की है।

मैं प्रत्येक भारतीय को सुझाव दूंगा कि वे इस पुस्तक को यह जानने के लिए पढ़ें कि फौज में सिर्फ बंदूक, जूते और हथियार ही नहीं होते बल्कि लोकाचार और भावनाएं भी होती हैं। इस किताब को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम का हिस्सा भी बनाया जाना चाहिए।

मैं इस समीक्षा को इस टिप्पणी के साथ विराम दूंगी कि ‘द फोर्स बिहाइंड द फोर्सेज’ सिर्फ एक किताब नहीं है, बल्कि आशा की किरण है और मुझे उम्मीद है कि यह अपने सैनिकों के त्याग से संतप्त महिलाओं को आशा और साहस प्रदान करेगी। जय हिन्द!!

किताब में छपी कहानियां

  1. राष्ट्र उनके साथ रोया: लेफ्टिनेंट नितिका कौल और मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल
  2. एन इटरनल लव स्टोरी: तृप्ति नायर और मेजर शशिधरन नायर
  3. कभी हार न मानें: मेजर प्रिया सेमवाल और नायक अमित शर्मा
  4. द लास्ट गिफ्ट: सुजाता चौधरी और मेजर सतीश दहिया
  5. दो शरीर, एक आत्मा: सारिका गुलाटी और लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश गुलाटी
  6. एक सशक्त महिला: जया महतो और लांस नायक राजकुमार महतो
  7. द कारगिल लव स्टोरी: सौम्या नागप्पा और कैप्टन नवीन नागप्पा

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लेखक
श्रीमती राधा शर्मा एक विमानन अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल ऋषभ शर्मा की पत्नी हैं, जो जनवरी 2021 में शहीद हो गये।

अस्वीकरण

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