• 19 March, 2024
Geopolitics & National Security
MENU

उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा की संवेदनशीलता

विक्रम सिंह, पूर्व डीजीपी, उप्र
गुरु, 03 फरवरी 2022   |   5 मिनट में पढ़ें

यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा नेपाल के साथ लगी हुई है और यह लगभग 579 किलोमीटर लंबी है, जो कि 7 जनपदों की सीमा में विद्यमान है। इनमें पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जिले शामिल हैं। मुख्यतः यह केंद्रीय पुलिस बल, एसएसबी के द्वारा इस सीमा क्षेत्र का व्यवस्था देखी जाती है और इसके उपरांत उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस का अभिसूचना तंत्र एवं आदि की भी यहां उपस्थिति है। ऐतिहासिक रूप से भी यह पूरा क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील रहा है जिसके कई कारण हैं। मुख्यतः भली-भांति सीमांकन न होने के परिणाम स्वरुप यह हर तरीके से आवागमन हेतु सुलभ है, जिसका लाभ अवांछित तत्‍व व आपराधिक तत्व भरपूर उठाते रहे हैं। वर्तमान निर्वाचन के परिप्रेक्ष्‍य में इस ओर अत्यधिक सतर्कता की आवश्यकता है, क्योंकि जैसा कि पूर्व में देखा गया है कि शरारती तत्व किसी भी आंतरिक स्थिति का लाभ उठाने से कभी नहीं चूकेंगे। अगर हम इतिहास में जाएं तो यह बात स्पष्ट है कि विगत में मादक पदार्थों की तस्करी हो, चाहे मानव तस्करी हो, इसके अलावा हथियारों का अवैध व्यापार, अवैध खनन और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नकली भारतीय मुद्रा जिसकी चर्चा हम विस्तार से करेंगे, का अवैध कारोबार इन क्षेत्रों से होता रहा है।

विगत में यह तथ्य भी प्रकाश में आए थे कि माओवादी, जो नेपाल में क्रियाशील थे, वह जब घायल हो जाते थे तो लखनऊ के प्रमुख चिकित्सालय में चिकित्सा हेतु और शल्य चिकित्सा हेतु आते थे। यह संतोष का विषय है कि उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ ने इनके और चिकित्सकों के गठजोड़ का अनावरण किया, प्रभावी कार्यवाही की और विगत कई वर्षों से माओवादियों का नेपाल से भारत में चिकित्सा हेतु आवागमन पूरी तरह से नियंत्रण में है। उल्लेखनीय है कि इस पूरे सीमा क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवांछित व बिना अनुमति के मस्जिदों और मदरसों का निर्माण हुआ है, जो कि अस्वाभाविक इसलिए है क्योंकि जो जनसंख्या इस क्षेत्र में है उसके अनुपात में कदाचित मदरसों और मस्जिदों की संख्या अत्यधिक ज्यादा है। यदि अभिसूचना तंत्र की बात माने तो इसके पीछे विदेशी निहित स्वार्थों और शक्तियों का हाथ है, जिसमें प्रमुख आईएसआई है। यदि हम आईएसआई की चर्चा करते हैं तो इसमें चीन की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। आईएसआई इस क्षेत्र को इस तरीके से नियंत्रित करना चाहती है, जिससे अवैधानिक रूप से प्रवेश किए हुए बांग्लादेशी नागरिक एवं रोहिंग्या यहां पर लाकर बसाएं जा सकें। संगठित गिरोहों द्वारा उनको भारतीय नागरिकता के अभिलेख उपलब्ध कराए जाएं। जैसे आधार कार्ड, निर्वाचन प्रमाणपत्र आदि। उनके रहने, बोलचाल, भारतीयता के बारे में उनका प्रशिक्षण भी दिया जाए। यह पूरी प्रक्रिया बस यूं ही नहीं कराई जाती है। इसके पीछे दूरगामी लाभ देखे जाते हैं। यह सर्वविदित है कि गोरखपुर के रहने वाले मिर्जा दिलशाद बेग का अपराधिक साम्राज्य नेपाल में चलता था। राजनीति में भी उतरे। कालांतर में मिर्जा दिलशाद बेग की हत्या भी हुई। यह बताया जाता है की कारों की स्मगलिंग में और भारत से नेपाल ले जाकर उनके अवैध व्यापार में इस गिरोह का सक्रिय योगदान था।

आईएसआई की जो सबसे कुटिल और गहरी नीति रही है वह जाली भारतीय मुद्रा को भारत में प्रवेश कराना है। इसके तहत एन, केन, प्रकारेण उनके द्वारा पाकिस्तान के प्रमुख बैंक, हबीब बैंक और नेपाल के प्रमुख बैंक, राष्ट्रीय बैंक, के साथ मिलकर एक नए बैंक का सृजन किया गया जिसका नाम हिमालयन बैंक है। इस हिमालयन बैंक की उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा पर बड़ी संख्या में शाखाओं को खोलने की व्यवस्था की गई। इसका मुख्य उद्देश्य वाणिज्य और व्यापार न होकर नकली भारतीय मुद्रा, जो बहावलपुर पाकिस्तान में छपती थी पाकिस्तान से नेपाल लाने के उपरांत, इन्हीं बैंकों के माध्यम से, अपने कैरियर के माध्यम से, एजेंट्स के माध्यम से और गिरोह के माध्यम से भारत में प्रवेश कराया जाता था। यह भी बताया जाता है कि 40 असली भारतीय रुपयों के एवज में नकली 100 रुपये में सौदा किया जाता था। अवांछित तत्वों द्वारा यह व्यापार के दृष्टिकोण से लाभ का एक अच्छा अवसर था। दुर्भाग्य से कुछ ऐसे भी भारतीय तत्व थे जिन्होंने इस में सहयोग किया, लेकिन संतोष का विषय है कि उनका अनावरण हुआ और उनके ऊपर कठोर कार्रवाई की गई। इसका प्रमुख दृष्टांत महाराजगंज स्थित स्टेट बैंक के उस अकाउंटेंट का है जिसको भगत जी के नाम से जाना जाता था। जो कि वर्षों तक स्टेट बैंक की शाखा में नियुक्त रहा और अपने कार्यकाल में उसने भी नकली भारतीय मुद्रा के आवागमन में अपना पूरा सहयोग दिया और लाभान्वित हुए। हमारी भी यह जिम्मेदारी है कि और बैंकिंग इंडस्ट्री की विशेष तौर पर कि वह देखें और अवांछित तत्वों पर निगरानी रखें और कोई अधिकारी या कर्मचारी निर्धारित अवधि जो कि 3 साल है, उससे अधिक इस संवेदनशील क्षेत्र में न रहने पाए।

दूसरा चिंता का विषय है मादक पदार्थ। यह सर्वविदित है कि विश्व का 85% अफीम अफगानिस्तान में तैयार किया जाता है और पाकिस्तान की आईएसआई के द्वारा बड़ी मात्रा में नेपाल लाकर उत्तर प्रदेश की इस लंबी और पोरस सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश कराया जाता है। इससे न केवल अपराधिक तत्वों और राष्ट्र विरोधी तत्वों को धन अर्जन का अवसर मिलता है बल्कि दुर्भाग्य से हमारे युवा और बड़ी जनसंख्या को नशे की लत लगाने का कुलसित प्रयास भी किया जाता है। उल्लेखनीय है कि इस दिशा में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा भी वांछित सतर्कता बरती गई है और एक साझा कार्रवाई के तहत और अभिसूचना संकलन के माध्यम से इस ओर प्रभावी नियंत्रण भी किया गया है। परंतु वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के निर्वाचन की पूर्व संध्या में अधिक सतर्कता की आवश्यकता है।

इन नए मदरसों और मस्जिदों में बड़ी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक क्रियाशील बताए जाते हैं। जबकि इनका यहां आने का कोई औचित्य नहीं है। संगठित अपराधियों एवं संगठित गिरोहों द्वारा उनके यहां पर लाए जाने से और इनको यहां प्रशिक्षित कर के उत्तर प्रदेश में चिन्हित संवेदनशीलता के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण जिले हैं, वहां भेजने का प्रयास किया जाता है। जिससे फर्जी वोटर आईडी व आधार कार्ड लेकर निर्वाचन प्रक्रिया में सम्मिलित हो सके और निर्वाचन को भी प्रभावित कर सके। यह एक भयावह स्थिति है कि यदि 18 जिले जो कि संवेदनशील बताए जाते हैं, इन अवांछनीय तत्वों के माध्यम से अगर एक एक या दो विधायक सीट इनके द्वारा कुप्रभावित की जाती है, तो एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और भयावह स्थिति होगी। क्योंकि इसके उपरांत यह एक समूह बनाकर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित होंगे और सांप्रदायिक स्थिति को बिगाड़ने का भी पूरा प्रयास करेंगे। अतः इस दृष्टिकोण से वर्तमान निर्वाचन में ऐसे व्यक्ति जो सामान्यतः उत्तर प्रदेश के नागरिक प्रतीत नहीं होते हैं, यदि उनके पास वोटर आईडी और आधार कार्ड हैं तो भी निर्वाचन के पहले सुरक्षा एजेंसियों को भली-भांति संतुष्ट हो लेना होगा कि वह भारतीय नागरिक हैं और मताधिकार प्रयोग करने के अधिकारी हैं। अन्यथा उनके विरुद्ध प्रभावी वैधानिक कार्रवाई होनी चाहिए।

इसके पहले भी ऐसे दृष्टांत आए हैं। विशेषकर जनपद मेरठ का उदाहरण देना चाहूंगा जहां पर एक कारखाने में विस्फोट में 30 के करीब बांग्लादेशी नागरिक मारे गए थे। पुलिस विवेचना में यह पता लगा कि इनको दैनिक वेतन भोगी के रूप में लेबर के रूप में लाया गया था। परंतु उनके पास सभी पहचान पत्र उपलब्ध थे और छोटे-छोटे कमरों में 3-3 तल्‍ले की पटरी लगाकर 8-8 घंटे की शिफ्ट में उनको रखा जाता था। यदि इस संगठित तरीके से अवांछनीय व्यक्तियों को सुविधा उपलब्ध करा कर हमारी निर्वाचन व्यवस्था को प्रभावित किया जाएगा तो इसके भयावह दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। अतः समस्त पुलिस बलों को विशेषकर अभिसूचना इकाइयों को इस ओर विशेष रूप से सतर्क रहना होगा और कोऑर्डिनेटेड तरीके से सूचना का आदान प्रदान हो और इन अवांछनीय गतिविधियों और संगठित आपराधिक गिरोह के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए। मैं यह भी परामर्श देना चाहूंगा कि अब तकनीकी ऐसी आ गई है कि जिसके माध्यम से इस दिशा में बहुत प्रभावी कार्यवाही संभव है। जैसे बिग डाटा एनालिटिक्स, फैसियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि। एसएसबी, उत्तर प्रदेश पुलिस, अभिसूचना इकाई, उत्तर प्रदेश अभिसूचना संगठन के समन्वय के साथ यदि भावी गस्त और निगरानी की जाए तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि इनके मंसूबे कभी सफल नहीं हो सकते हैं।

******************************************************


लेखक
विक्रम सिंह,सेवानिवृत्‍त आइपीएस अफसर व उत्‍तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजपी हैं। उत्‍तर प्रदेश पुलिस में आतंकवाद निरोधी दस्‍ता यानी एंटी टेररिस्‍ट स्‍क्‍वाड यानी एटीएस के गठन की शुरुआत इनके कार्यकाल में ही हुई थी। वह जून 2007 से सितंबर 2009 तक उत्‍तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक रहे। इससे पहले एडीजी सीआइएसएफ, एडीजी इंटर स्‍टेट बार्डर फोर्स, और एडीजी लॉ एंड ऑर्डर स्‍पेशल टास्‍क फोर्स भी रहे। उन्‍हें वीरता के लिए प्रेसीडेंट पुलिस अवार्ड सहित 11 अवार्ड मिले हैं। वह वर्तमान में नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में प्रो-चांसलर हैं।

अस्वीकरण

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और चाणक्य फोरम के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। इस लेख में दी गई सभी जानकारी के लिए केवल लेखक जिम्मेदार हैं, जिसमें समयबद्धता, पूर्णता, सटीकता, उपयुक्तता या उसमें संदर्भित जानकारी की वैधता शामिल है। www.chanakyaforum.com इसके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।


चाणक्य फोरम आपके लिए प्रस्तुत है। हमारे चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें (@ChanakyaForum) और नई सूचनाओं और लेखों से अपडेट रहें।

जरूरी

हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें

सहयोग करें
Or
9289230333
Or

POST COMMENTS (0)

Leave a Comment