अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आज हथियारबद्ध झगड़े, यथास्थिति को परिवर्तित करने के एकतरफा दावे, आतंकवाद एवं प्राकृतिक आपदाओं जैसे अस्थिर मुद्दों का सामना कर रहा है। हम इन मुद्दों का समाधान कैसे कर सकते हैं? आज की दुनिया के लोगों और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित दुनिया कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?
इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक देश एकजुट हों और विश्व की सुरक्षा और समृद्धि के लिए मिलकर कार्य करें। मेरा मानना है कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र इन लक्ष्यों को प्राप्त करने का आधार स्तंभ है।
इस संबंध में जापान और भारत अमूल्य भागीदार हैं। दोनों देशों में लोकतंत्र का एक लंबा इतिहास रहा है तथा दोनों ही देश मुक्त अर्थव्यवस्था और विश्व शांति में योगदान करने की इच्छा को साझा करते हैं।
यदि इन सभी समानताओं को शेष विश्व के साथ बाँटा जाता है और इस दिशा में मिलकर कार्य किया जाता हैं तो निस्संदेह हम वैश्विक समृद्धि और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
24 सितंबर को वाशिंगटन, डीसी में आयोजित जापान-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-भारत शिखर सम्मेलन की बैठक इन अर्थों में वास्तव में सार्थक रही। चारों देश भारत-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं और स्वतंत्रता और लोकतंत्र जैसे मौलिक मूल्यों को साझा करते हैं। बैठक में, नेताओं ने कानून सम्मत शासन के आधार पर एक स्वतंत्र और खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, और “फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (एफओआईपी)” की प्राप्ति, कोविड-19 पर प्रतिक्रिया, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की।
जापान-अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया-भारत की इस पहल का उद्देश्य अन्य देशों के साथ मतभेद उत्पन्न करना नहीं है; यह इन चारों देशों के लिए है, जो एफओआईपी को बनाए रखने और मजबूत करने के लिए कानून और लोकतंत्र सहित अन्य मौलिक मूल्यों को साझा करते हैं। ये पहल आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक सहित कई अन्य मोर्चों पर भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मेरा मानना है कि ये क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए प्रभावी और शक्तिशाली हैं।
जापान में तेजी से बदलते सुरक्षा वातावरण पर चिंता बढ़ रही है। पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन द्वारा यथास्थिति को परिवर्तित करने के एकतरफा प्रयास जारी है और वह इन समुद्री और हवाई क्षेत्रों में अपनी सैन्य गतिविधियों का तीव्र गति से विस्तार कर रहा है। इसके अतिरिक्त, उत्तर कोरिया ने बार-बार बैलिस्टिक मिसाइलों अथवा अन्य आक्रमणकारी हथियारों को लॉन्च किया है, जिसका जापान के समुद्री विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में गिरने का अनुमान है। इन सैन्य विकासों में परमाणु हथियार और मिसाइल भी शामिल हैं, जो जापान की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। ऐसी चिंताएं केवल जापान तक ही सीमित नहीं हैं। दक्षिण चीन सागर में भी चीन के एकतरफा सुधार और चट्टानों के सैन्य उपयोग ने पड़ोसी देशों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।
इसके अतिरिक्त, यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि वर्तमान में कोविड-19 का वैश्विक प्रसार और बड़े पैमाने पर आपदाएं प्रमुख मुद्दे रहे हैं। इसके अलावा, आर्थिक सुरक्षा के मामले, 5 जी और 5-जी सेआगे की प्रोद्योकियो सहित प्रमुख प्रौद्योगिकियों में बौद्धिक क्षमता को विकसित, संरक्षित और प्रबंधित किया जाने का महत्व भी बढ़ रहा है।
जैसा मैंने पहले भी बताया, इन सुरक्षा चिंताओं का समाधान केवल एक देश द्वारा नहीं किया जा सकता है; स्वतंत्रता और लोकतंत्र द्वारा शांति और स्थिरता के इच्छुक अन्य देशों के सहयोग से यह संभव हो सकता है।
इस संबंध में, मौलिक मूल्यों को साझा करने की समान विचारधारा वाले भागीदार देशों के बीच सहयोग के दृष्टिकोण से बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास मालाबार को हम बहुत महत्व देते हैं, जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान भी आयोजित करने में सब सक्षम थे।
मालाबार संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुआ। फिर, जापान भारत के साथ रक्षा सहयोग और परस्पर आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए इसमे शामिल हो गया। 2017 से, मालाबार जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच त्रिपक्षीय अभ्यास के रूप में आयोजित किया जा रहा था। पिछले वर्ष (2020), रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना ने जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच एक चतुर्भुजी मालाबार को साकार करते हुए भाग लिया। इस वर्ष (2021) में, चार देशों के नौसैनिक जहाजों और अन्य संपत्तियों ने अगस्त से सितंबर तक गुआम द्वीप पर, द्वीप के चारों ओर समुद्र और हवाई क्षेत्र में तथा फिलीपीन सागर में अभ्यास किया। अक्टूबर के मध्य में मालाबार के अंतर्गत अलग-अलग अभ्यास होंगे। जैसे-जैसे, भाग लेने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हुई है और अधिक अभ्यास हो रहे हैं वैसे वैसे विभिन्न मदो के शामिल होने से इसका विस्तार हुआ है।
इस प्रकार के द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों के संचालन से, जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे समान विचारधारा वाले साझेदार देश भारत-प्रशांत क्षेत्र के लोगों के लिए खतरा होने की स्थिति में तेजी से और प्रभावी रूप से संयुक्त उपाय कर सकते हैं। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों के साथ साथ, यदि कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आती है तो चारों देश तत्काल सहायता प्रदान कर सकते हैं, जिससे निश्चित रूप से अन्य देशों के लोग अधिक सुरक्षित अनुभव करेंगे।
मालाबार किसी विशेष देश को लक्ष्य नहीं बना रहा है। बल्कि, यह उन चारों देशों की मान्यताओं को आकार देता है जो कानून के शासन, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के पक्षधर हैं। मैं मालाबार पर भारत की पहल के लिए भारत के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहता हूं। जापान भारत के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश करे कि तीव्र गति से परिवर्तित होती सुरक्षा परिस्तिथियों में मालाबार सहित किये जाने वाले अन्य प्रयास इस क्षेत्र के देशों और लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सके ।
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