दक्षिण पूर्व एशिया में कमला हैरिस की रक्षात्मक पहल
गुरजीत सिंह
अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस इस सप्ताह दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा पर थी। यह यात्रा दक्षिण पूर्व एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मे संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका की रुचि की पुष्टि करती है। उपराष्ट्रपति हैरिस ने अपने पुराने सहयोगी सिंगापुर और एक नए रणनीतिक सहयोगी देश वियतनाम का दौरा किया।
इस दौरे से दो सवाल उठते हैं। पहला, इस समय अफगानिस्तान में तनाव की स्थिति है और अमेरिकी नागरिको की निकासी की समस्या है। अत हैरिस चिंता मुक्त कैसे हो सकती हैं? दूसरा प्रश्न यह है कि इस समय सिंगापुर और वियतनाम का दौरा क्यों किया गया, जबकि रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन इन दोनों देशों की यात्रा पहले ही कर चुके थे?
आसियान के साथ जुड़ने में बाइडेन प्रशासन ने शुरुआती गलतियां की थीं। पिछले मास के दौरान, उन्होंने आसियान को पुन आश्वस्त करने के प्रयास किये, ये उनके लिए महत्वपूर्ण हैं। ऑस्टिन की सिंगापुर, वियतनाम और फिलीपींस की यात्रा से पूर्व सेक्रेटरी ऑफ स्टेट ब्लिंकन ने वाशिंगटन में इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेटनो की अगवानी की।[ इसके बाद, उन्होंने आसियान देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लिया। वे विदेश मंत्री के नेतृत्व वाले आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की बैठक में भी शामिल हुए ।
ये बैठकें हैरिस की यात्रा का आधार थीं। आसियान देशों में सिंगापुर और वियतनाम अमेरिका के सबसे विश्वसनीय सहयोगी हैं। हैरिस नई साझेदारी विकसित करने के स्थान पर वर्तमान भागीदारों को मजबूत कर रही थी । अफगानिस्तान में जो कुछ भी घटित हो रहा था, उसके बावजूद हैरिस अपने कार्यक्रम पर अडिग रही। यह महत्वपूर्ण भी था क्योंकि इससे पूर्व, सचिव ब्लिंकन आसियान के विदेश मंत्रियों को प्रतीक्षा करवाते रहे थे, क्युकि उनके पास इससे अधिक महत्वपूर्ण कार्य थे,। इस धारणा में सुधार किये जाने की आवश्यकता थी और यदि हैरिस अपनी यात्रा स्थगित कर देती, तो आसियान को एक बार फिर उन्हे कम प्राथमिकता दिया जाने के रूप में दिखाई देता। अमेरिका इस स्थिति से बचना चाहता था।
हैरिस की यात्रा का मुख्य उद्देश्य आसियान को आश्वस्त करना था कि वे यूएस इंडो-पैसिफिक नीति के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक देश जिसका दौरा निश्चित रूप से आवश्यक था वह इंडोनेशिया है, जहां आसियान का मुख्यालय भी है। सहायक सचिव वेंडी शेरमेन सहित अमेरिका के अन्य पदाधिकारियों ने वर्तमान में एशिया का दौरा किया परंतु वे इंडोनेशिया नहीं गये। इंडोनेशियाई विदेश और रक्षा मंत्रियों ने हाल ही में वाशिंगटन डीसी का दौरा किया । इंडोनेशिया में वार्ताकारों से बात करते हुए लेखक को यह आभास नहीं हुआ कि जकार्ता में स्थिति खराब है।
आसियान अमेरिका की इस नयी प्रतिबद्धता के प्रति आश्वस्त है। वे खुश हैं कि उन्हे किसी एक पक्ष का चयन नहीं कर करना पड़ रहा । वास्तव में, आसियान ऐसे क्षेत्र को प्राथमिकता देना चाहेगा जो निर्विवाद हो। लेकिन वे चीन के विरुद्ध अमेरिका के समर्थन को महत्व देते हैं। अधिकांश आसियान देशों को इस समर्थन से कोई ऐतराज नहीं है। वे अपने लिए मजबूती से खड़े होने के इच्छुक नहीं हैं।
उदाहरण के लिए, हैरिस और अन्य अमेरिकी वार्ताकारों ने दक्षिण चीन सागर (एससीएस) पर फिलीपींस के पक्ष में 2016 के मध्यस्थता के संबंध में बात की है। आसियान के देश इस पर चुप हैं। वर्तमान सार्वजनिक चुप्पी एससीएस में आचार संहिता पर एक सामंजस्यपूर्ण स्थिति बनाए रखने के लिए है, जो वर्तमान में चीन के साथ चल रही है।
हैरिस की यात्रा विश्वसनीय सहयोगियों को अपने पक्ष में सुरक्षित रखने के लिए थी। इसने महसूस किया कि आसियान शून्य में नही रहना चाहता । यहाँ, हैरिस का सिंगापुर के खाड़ी के उद्यान में किया गया संबोधन महत्वपूर्ण है।
उस संबोधन के कुछ मुख्य संदेश निम्न प्रकार हैं :
सर्वप्रथम, इंडो पैसिफिक और दक्षिण पूर्व एशिया- सुरक्षा और आर्थिक कारणों से अमेरिका की उच्च प्राथमिकताओं मे है। भारत-प्रशांत सागर क्षेत्र के साथ अमेरिकी व्यापार लगभग $2 ट्रिलियन है;अमेरिकी निर्यात से इंडो – पैसिफिक के निवासिओ को अमेरिका में 4 मिलियन नौकरिया तथा आसियान देशों के साथ व्यापार के माध्यम से 600,000 अमेरिकी नौकरियों प्राप्त होती है।
इंडो-पैसिफिक विजन में शांति और स्थिरता, महामारी से लड़ना, निशुल्क एवं खुला इंडो -पैसिफिक (एफओआईपी), मुक्त व्यापार, मानवाधिकारों का समर्थन, अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित शासन और नई विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला शामिल हैं।
दूसरे, आसियान के साथ वार्ता को शून्य प्रयास के रूप में नहीं देखा गया और न ही आसियान को अमेरिका और चीन के बीच चयन करने के लिए कहा गया है। बिडेन के नेतृत्व में अमेरिका परस्पर संबंधों और अन्योन्याश्रित विश्व के संबंध में अधिक जागरूक है, जिसमें दक्षिण पूर्व एशिया की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
एस सी एस, में इसके माध्यम से, अरबों डॉलर का व्यापार होता है। इसमें अत्यधिक खतरा है, यदि समृद्ध होना है तो इस परिस्तिथि से मुकाबला करने की आवश्यकता है । संयुक्त समृद्धि का यह विचार आसियान द्वारा एससीएस का सामना किये जाने के लिए भी पेश किया गया ।
तीसरा,आसियान को किसी का पक्ष लेने के लिए नहीं कहने से, अमेरिका हिंद-प्रशांत में अपने उद्देश्यो के लिए अपने सहयोगियों के साथ खड़ा होगा। चीन के अवैधानिक दावों को 2016 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इनके द्वारा नियम-आधारित शासन और राष्ट्रों के संप्रभु अधिकारों को कमजोर करना जारी है। अफगानिस्तान के संदर्भ में, इस पुनरावृत्ति को स्पष्ट रूप से नोट किया जा सकता है ।
हैरिस ने स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में अमेरिका की भागीदारी किसी भी देश के विरुद्ध नहीं है और न ही वह भागीदारों को चुनने के लिए किसी को प्रेरित कर रहा है। उन्होंने कहा कि ‘हम क्षेत्र के देशों के साथ सक्रिय अमेरिकी भागीदारी और स्वामित्व के साथ आशावादी दृष्टिकोण की तलाश कर रहे हैं’।
चौथा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है और महामारी से उबरने में यह आसियान की सहायता कर सकता है तथा द्विपक्षीय व्यापार विकसित करने के अतिरिक्त , नई लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकास, बड़े बाजारों का विकास में एक प्रमुख पूरक भूमिका का निर्वहन भी कर सकता हैं। यह सिंगापुर और वियतनाम के लिए हितकर था क्योकि दोनों उदार दृष्टिकोण वाले व्यापारी देश हैं। दोनों आरसीइपी और सीपीटीपीपी के सदस्य भी हैं।
पांचवां, हैरिस का जोर क्षेत्र में बहुपक्षवाद की वापसी पर है। आसियान जानता है कि अब उसे एक क्षेत्रीय संस्था के रूप में उचित स्वीकृति प्राप्त हो रही है। इसके अतिरिक्त, हैरिस ने घोषणा की कि आर्थिक समृद्धि के उद्देश्य से इंडो-पैसिफिक के साथ अधिक से अधिक संपर्क बनाने की उम्मीद में अमेरिका वर्ष 2023 में एशियाई प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) फोरम की मेजबानी करेगा। दस मेम्बर वाले आसियान में से सात अपेक् के सदस्य हैं; इसमे भारत शामिल नहीं है। यह आसियान केंद्रीयता के बिना सिंगापुर स्थित इकाई है।
अत् इससे संदेश मिलता है कि आसियान का महत्व बना रहेगा और अमेरिकी नीति का विस्तार करने के लिए अलग-अलग देशों और क्षेत्रीय निकायों के साथ भागीदारी को और अधिक मजबूत किया जाएगा।
हैरिस ने घोषणा की कि स्थायी वित्त व्यवस्था पर बल देने के लिए अमेरिका और सिंगापुर ने संयुक्त जलवायु साझेदारी की है, जो आसियान देशों के लिए हितकर है। जलवायु की अनुकूल प्रणाली से स्वच्छ ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला को आगे बढ़ाया जाएगा। अमेरिका ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक सहायता देने का भी वादा किया।
अमेरिका द्वारा विदेशों में भेजी गई 110 मिलियन दवा में से 23 मिलियन वैक्सीन बिना किसी शर्त के, दान के रूप में ,दक्षिण- पूर्व एशिया में दी हैं।
इस क्षेत्र में एक मजबूत स्वास्थ्य सुरक्षा साझेदारी के लिए, हैरिस ने वियतनाम में रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र तथा दक्षिण- पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय में एक नया केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। यह कार्यालय चार क्षेत्रीय सीडीसी कार्यालयों में से एक है जो अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए क्षेत्र के साथ सहयोग करने और आगामी स्वास्थ्य संकटों को रोकने के लिए है।
इसे आरंभ किये जाने वाले समारोह में अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा सचिव, सीडीसी निदेशक, और ग्यारह देशों के उप प्रधान मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री शामिल थे !
आसियान को किसी का पक्ष लेने के लिए नहीं कहते हुए, हैरिस ने अपने मूल्यों पर जोर दिया । इसने अपनी कार्रवाई की तुलना चीन के साथ की। हैरिस ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर चिंता व्यक्त की और वहां दमन की निंदा की। म्यांमार में लोकतंत्र में वापसी का समर्थन करने की उनकी प्रतिबद्धता इस उम्मीद के साथ थी कि आसियान देश उस प्रयास में उनका समर्थन करेंगे । आसियान के विशेष दूत इस कार्य से हट गये ।संभवत यह सार्वजनिक घोषणा उन्हे अधिक पसंद ना नहीं आयी! !
हैरिस की एशिया में प्रथम यात्रा के लिए सिंगापुर और वियतनाम सुरक्षित दांव था । सामरिक समुदाय चीन को अमेरिकी दृष्टिकोण के अनुरूप देखते हैं। दोनों देश इस क्षेत्र में अमेरिकी गतिविधियों को अपनी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं। इन सभी ने हैरिस को पदार्पण के लिए एक सुअवसर प्रदान किया । हैरिस की यात्रा के प्रमुख प्रभावों में, सीमित लाभ, अधिक एकत्रित शक्ति और आसियान के लिए एक उत्साह पूर्ण परिवेश सम्मिलित था।
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References –
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