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साउंड रेंजिंग सिस्टम: फायर करते ही भांप लेगा स्थान

ब्रिगेडियर अरविंद धनंजयन (सेवानिवृत्त), सलाहकार संपादक रक्षा
शनि, 08 जनवरी 2022   |   8 मिनट में पढ़ें

सैन्य क्षमता की प्रगति की दौड़ में, कभी-कभी ऐसा होता है कि समय की कसौटी पर खरा उतरने वाले प्रौद्योगिकीयुक्त उपकरणों की तुलना में प्रतिकूल संघर्षमय वातावरण में काम करने के लिए आसानी से और उपयुक्त रूप से अनुकूलित उपकरण बेहतर साबित होते हैं। यह तथ्य संपूर्ण सैन्य उपकरणों के लिए उचित होगा, जिसमें तोपखाने के हथियार, जवाबी हमले या सैन्य तकनीक भी शामिल है। दुश्मन के तोपखाने का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साउंड रेंजिंग (एसआर) सिस्टम, इस संदर्भ में एक ऐसा उदाहरण है, जिसे कई देशों ने अत्याधुनिक और महंगी तकनीक के लिए इस सक्रिय और अच्छी तरह से पता लगाने वाले उपकरण को त्याग दिया।

एसआर का समुद्री उपयोग ध्वनि नेविगेशन और रेंजिंग (सोनार) सिस्टम के रूप में होता है, जो पानी के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है, एसआर दुश्मन के तोपखाने का पता लगाने के लिए एक प्रमाणित तरीका है। जब हथियार से ध्वनि निकलती है, तो ध्वनिस्रोत के समय और दूरी की गणना कर उसका पता लगाया जाता है। एसआर के सार को कुछ परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं: –

“ध्वनि स्रोत की स्थिति से एक बिंदु के बीच की दूरी को ध्वनि की उत्पत्ति और बिंदु तक उसके आगमन के बीच के समय के अंतराल को मापने के लिए निर्धारित करने की एक विधि”। डिक्शनरी.कॉम

‘दुश्मन के हथियारों का स्थान और समय के अनुसार फायर का समायोजन (माइक्रोफ़ोन के साथ) सटीक सर्वेक्षित बिंदुओं से किया जाता है’। -मरियम वेबस्टर डिक्शनरी

प्रथम विश्व युद्ध में सहयोगी सेनाओं के तोपखानों द्वारा मचायी गई तबाही के कारण दुश्मनों के तोपखानों का पता लगाने के विविध तरीकों की खोच की गयी, जिसमें विमान द्वारा टोही, फ्लैश स्पॉटिंग (एक ऐसी विधि जिसमें तैनात पर्यवेक्षकों ने दुश्मन के तोपखानों से फायर के समय निकलने वाले प्रकाश की दिशा और दूरी को माप कर तोपखाने की बंदूकों और हथियार के स्थान की गणना की) और एसआर शामिल है। स्पॉटिंग के दौरान अशुद्धियां और हवाई सर्वेक्षण में होने वाली अधिक लागत और प्रयास के कारण, एसआर अब तक का सबसे विश्वसनीय और लागत प्रभावी तरीका साबित हुआ। इसके बाद लंबे समय तक यह तोपखानों का पता लगानेवाली प्रभावी और सटीक कार्यप्रणाली बनी रही।

प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने प्रभावी एसआर प्रणाली के पहले परिचालन का फील्ड परीक्षण शुरू किया। उसके बाद होने वाले विश्व युद्धों में एसआर का तेजी से विकास हुआ। जर्मन और फ्रेंच ने जल्द ही उनका अनुसरण किया। फ्रांस ने फोटोग्राफिक फिल्म पर बंदूक की आवाज रिकॉर्ड करने की क्षमता विकसित करने की महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। एक और प्रगति हुई, दुश्मन की ओर एसआर सिस्टम से पहले अग्रिम चौकी (एडवांस्ड पोस्ट, एपी) या सुनने वाली चौकी (लिसनिंग पोस्ट, एलपी) तैनात की गयी ताकि गोलियों की आवाज को पकड़ने के लिए माइक्रोफोन को लगाया जा सके। एसआर सिस्टम को सक्रिय करने के लिए प्रतिक्रिया समय जानना आवश्यक होता है, इसके कारण एपी और एलपी तैनात करने की आवश्यकता थी। विश्व युद्धों के अंतराल में सीपी में माइक्रोफोन को रिकॉर्डर से जोड़ने के लिए वायरलेस क्षमता का विकास देखा गया। द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों ने माइक्रोफोन को एकल केबल से जोड़ने की क्षमता विकसित की, इस प्रकार कई संचार केबलों को बिछाने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया। ब्रिटिश और अमेरिकी सेनाओं ने एसआर तकनीक का व्यापक उपयोग किया, जिसका एक प्रमाण बड़ी संख्या में एसआर इकाइयाँ हैं जो दोनों सेनाओं में युद्ध के दौरान और बाद में बनाई गई थीं। कोरियाई और वियतनाम युद्धों के दौरान भी एसआर का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया। वियतनाम ने मजबूत रेडियो-लिंक के विकास और एपी से तैनात माइक्रोफोन को दूरस्थ रूप से सक्रिय करने की क्षमता विकसित की। कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के जरिये दुश्मन के तोपखानों की स्थिति की स्वचालित गणना भी की जाने लगी जिससे समय लेने वाली ग्राफिकल प्लॉटिंग की आवश्यकता नहीं रही।

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मन एसआर सिस्टम: Source-lovettartillery.com

एसआर सिस्टम के आवश्यक घटक क्या हैं?

एसआर प्रणाली में निम्नलिखित को अनिवार्य रूप से शामिल करने की आवश्यकता होगी: –

  • सीपी और माइक्रोफ़ोन/एपी और एलपी के बीच संचार के लिए सटीक रूप से सर्वेक्षण किए गए स्थानों और मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार संबद्ध सभी संचार (लाइन और/या रेडियो) के साथ माइक्रोफ़ोन की एक सरणी। माइक्रोफोन के आगे एलपी/एपी स्थित होते हैं और फायरिंग की आवाज पहले सुनते हैं। फिर वे दुश्मन के तोपखाने की आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए माइक्रोफ़ोन का स्विच चालू करते हैं।
  • स्रोत के स्थान की गणना करने के लिए, माइक्रोफ़ोन पर दुश्मन के तोपखाने से निकली ध्वनि तरंगों की प्राप्ति के समय को मापने और विश्लेषण करने के लिए एक कंप्यूटिंग सिस्टम।

ध्वनि की प्राप्ति के समय में अंतर से एसआर प्रणाली ध्वनि स्रोत की गणना करता है। कंप्यूटिंग सिस्टम के भीतर विभिन्न माइक्रोफोनों से ऐसे कई बियरिंग्स, जिनके स्थानों का पहले सर्वेक्षण और रिकॉर्ड किया जा चुका है, का उपयोग एसआर बोर्ड या डिजिटल मानचित्र पर प्रत्येक माइक्रोफ़ोन से ऐसी लाइनों का प्रतिच्छेदन करके ध्वनि स्रोत के स्थान का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इसके बाद उस स्थान पर जवाबी गोलीबारी के लिए अपने तोपखानों को निर्देशित किया जा सकता है।

एक बात स्पष्ट है कि कोई भी एसआर सिस्टम निष्क्रिय होता है और रेडियो/इलेक्ट्रोमैग्नेटिक (ईएम) तरंगों का उत्सर्जन नहीं करता, जैसा कि अन्य हथियारों का पता लगाने वाले रडार (डब्ल्यूएलआर) करते हैं। स्वाथी डब्ल्यूएलआर के बारे में चाणक्य फोरम के एक अन्य लेख https://chanakyaforum.com/swathi-wlr-aatmanirbhar-in-elusive-weapon-locating-capability/ में लिखा जा चुका है। यह न्यूनतम बिजली की खपत करता है क्योंकि एलपी/एपी फायर की आवाज सुनने के बाद ही माइक्रोफोन चालू होते हैं।

एसआर सिस्टम के कामकाज का चित्रण

एसआर सिस्टम के क्या फायदे हैं?

हथियार के स्थान का पता लगाने के लिए सक्रिय ईएम डिटेक्शन (डब्लूएलआर) और निष्क्रिय ध्वनि पहचान (एसआर सिस्टम) के संयोजन का उपयोग करना चाहिए। इस तरह का संयोजन हथियार का पता लगाने की क्षमता को बढ़ाता है। जैसे यदि एक सिस्टम को उपकरण विफलता/दुश्मन की कार्रवाई के कारण बेअसर कर दिया जाता है तो दूसरा काम करना जारी रखता। सक्रिय और निष्क्रिय उपकरणों का संयोजन विभिन्न मौसम और इलाके की स्थितियों में बेहतर साबित होता है। डब्लूएलआर और एसआर सिस्टम को संयुक्त रूप से शामिल किये जाने से दुश्मन की तोपखाने की स्थिति की जानकारी अबाधित रूप से हासिल होती रहेगी। ऐसी प्रणालियों के संयोजन को नियोजित करने के कुछ विशिष्ट लाभ हैं: –

  • डब्लूएलआरसक्रिय प्रणालियां हैं जो एक बार दागे जाने के बाद दुश्मन के तोपखाने के गोले का पता लगाने के लिए एक उच्च ईएम तरंग का प्रसारण करती हैं। इससे दुश्मन दिशा-खोज उपकरण की मदद से डब्लूएलआर का पता लगा सकता है और जैमर/शारीरिक कार्रवाई द्वारा उसे निष्क्रिय कर सकता है। निष्क्रिय एसआर प्रणालियों को जोड़ने से कमांडरों को यह निर्णय लेने की सुविधा मिलती है कि सक्रिय सिस्टम को कब चालू करना है, जबकि डब्ल्यूएलआर के ‘ऑफ’ रहने पर भी एसआर सिस्टम काम करता रहता है।
  • डब्ल्यूएलआर में उच्च शक्ति की आवश्यकता होती है। साथ ही उनमें परिणामी जोखिम/लॉजिस्टिक्स बाधाओं के कारण उनको चौबीसों घंटे तैनात करना संभव नहीं है। एसआर सिस्टम एपी/एलपी की भूमिका के समान कार्य कर सकते हैं जो डब्ल्यूएलआर को सक्रिय करने और प्रभावित क्षेत्र की ओर उन्मुख होने के लिए दुश्मन के तोपखाने की फायरिंग के समय/दिशा को इंगित करेगा।
  • युद्ध के मोर्चे पर दुश्मन के तोपखाने का पता लगाने के लिए डब्ल्यूएलआर की सीमित दायरे को स्कैन करने की क्षमता और ऐसे उपकरणों की सीमित संख्या में उपलब्धता के कारण इसकी प्रभावशीलता प्रतिबंधित है। हथियार का पता लगाने के कवरेज में अपरिहार्य अंतराल को एसआर सिस्टम द्वारा प्रभावी ढंग से पाटा जा सकता है जो 360º कवरेज प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, एसआर सिस्टम की काफी कम लागत होने के कारण इससे अंतराल मुक्त कवरेज सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में अधिग्रहण किया जा सकता है।
  • एसआर सिस्टम (8 से 10 किमी के फैलाव के साथ) को तैनात करने के लिए डब्ल्यूएलआर की तुलना में अधिक समय की आवश्यकता होती है।हालांकि यह अंतर अब एसआर सिस्टम में सेल्फ-लोकेटिंग (जीपीएस से लैस) माइक्रोफोन एरेज़ और वायरलेस कम्युनिकेशन की उपस्थिति के कारण काफी कम हो गया है। ।

दुनिया में एसआर सिस्टम का उपयोग

भारतीय सेना (आईए) ने स्वदेशी एसआर सिस्टम एसआरएस 1ए को नियोजित किया, जिसे अब अप्रचलित घोषित कर दिया गया है। जनवरी 2001 में 15 एसआर सिस्टम की खरीद के लिए एक अनुरोध प्रस्ताव (आरएफपी) जारी किया गया था, जो दुर्भाग्य से अमल में नहीं आया। भारत की हथियारों का पता लगाने की क्षमता 40 स्वदेशी स्वाति तक सीमित है। अमेरिका द्वारा निर्मित एएन/टीपीक्यू 37 डब्ल्यूएलआर भी इस सूची में हैं जो हथियार का पता लगाने की क्षमता के लिए अपर्याप्त है। इसलिए भारत को अपनी सीमाओं पर हथियार खोजने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एसआर प्रणाली हासिल करने/विकसित करने का लक्ष्य रखना चाहिए। कई विक्रेताओं से उसे खरीदने का विकल्प उपलब्ध हैं। कुछ एसआर प्रणालियाँ जो वर्तमान में विश्व स्तर पर प्रचलित हैं, उन्हें बाद के अनुच्छेदों में दिया गया है।

  • शत्रुतापूर्ण आर्टिलरी लोकेटिंग सिस्टम (एचएएलओ):वर्तमान में यूके, यूएस और कनाडाई सेनाओं में एचएएलओ सेवा में है। एचएएलओ त्वरित, सटीक और विश्वसनीय तरीके से हथियार के स्थान का पता लगाने के लिए उन्नत ध्वनिक डेटा प्रोसेसिंग तकनीकों का उपयोग करता है। सिस्टम में दो से चार किमी की दूरी पर तैनात 12 मानव रहित सेंसर पोस्ट (एसपी) कार्यरत हैं, जिसमें मौसम संबंधी सेंसर और स्वयं-पता लगाने वाले जीपीएस-सक्षम माइक्रोफ़ोन क्लस्टर शामिल हैं, जो दुश्मन कार्रवाई के खिलाफ पर्याप्त प्रतिरोध प्रदान करते हैं। एसपी डेटा को वायरलेस रेडियो लिंक पर सीपी को संप्रेषित किया जाता है। आर्टिलरी हथियार के स्थान की गणना सीपी में की जाती है, जो लगऊग 1% रेंज की सटीकता के साथ आगे के प्रसारण के लिए होती है। एचएएलओ सक्रियण के लिए अन्य डब्ल्यूएलआर को स्वचालित रूप से तैयार करने में सक्षम है। इस प्रणाली का युद्ध में परीक्षण किया गया है। स्निया, कोसोवो, इराक और अफगानिस्तान में इसका सफलता पूर्वक परिचालन व तैनाती देखी गई है।

एचएएलओ माइक्रोफोन क्लस्टर तैनात किया जा रहा है: स्रोत-fttechnologies.com

  • एजेडके-7एम:यह एक रूसी एसआर प्रणाली है जिसका उपयोग दुश्मन की तोपों/मोर्टार का पता लगाने और दुश्मन के ठिकानों पर खुद की तोपखाने के फायर को निर्देशित करने के लिए किया जाता है। एजेडके-7एम में एक सीपी तीन बेस पॉइंट (बीपी) होते हैं, प्रत्येक को एक यूराल ट्रक में ले जाया जाता है। प्रत्येक बीपी का कार्य दो ध्वनि स्टेशनों (एसएस) को तैनात करना है, प्रत्येक एसएस में बिजली की आपूर्ति के साथ तीन माइक्रोफोन होते हैं और एक रेडियो या केबल लिंक पर सीपी से जुड़े होते हैं। यह प्रणाली 15 सेकंड के भीतर 1% रेंज की सटीकता तक क्रमशः 8 किमी/16 किमी की दूरी तक मोर्टार/बंदूक का पता लगा सकती है। 12 किमी के फ्रंटेज पर तीन बीपी को तैनात किया जा सकता है।

AZK-7M सिस्टम घटक ले जाता URAL ट्रक, स्रोत-रोसोबोरोनएक्सपोर्ट

  • पोलोझेन्या-2:यूक्रेन का यह ऑटोमेटेड अकॉस्टिक वेपन लोकेटिंग सिस्टम (डब्ल्यूएलएस) एजेडके-7एम का विकसित संस्करण है। यह सिस्टम मोर्टार, आर्टिलरी गन और रॉकेट लॉन्चर का पता लगा सकता है। यह एक स्वायत्त बिजली संयंत्र के साथ मॉड्यूलर है और इसे बख्तरबंद वाहन सहित किसी भी उपयुक्त वाहन पर लगाया/ले जाया जा सकता है। सटीक मौसम संबंधी डेटा के लिए यह सिस्टम एक मौसम स्टेशन से लैस है। इसमें तीन ध्वनिक सरणियाँ होती हैं जिनमें से प्रत्येक में तीन माइक्रोफोन होते हैं, जो सर्वव्यापी कवरेज देने के लिए 3 से 8 किमी तक अलग होते हैं। प्रत्येक ध्वनिक सरणी में स्व-स्थान के लिए एक पोर्टेबल संयुक्त जीपीएस/रूसी ग्लोनास रिसीवर होता है और एक फील्ड केबल या रेडियो नेटवर्क का उपयोग करके सीपी से जुड़ा होता है। यह सिस्टम विभिन्न मिशन-विशिष्ट कॉन्फ़िगरेशन में उपलब्ध है। यह 5 सेकंड के भीतर 35 किमी तक की कम-तीव्रता वाली गोलियों का पता लगा सकता है और 15 किमी की सीमा तक अपने तोपखाने के फायर को ठीक कर सकता है।

Polozhennya-2 WLS ध्वनिक सरणियों के साथ: Source-ua.com

  • एसएल 2ए:एसएल 2ए अकॉस्टिक लोकेटिंग सिस्टम फ्रांस के थेल्स ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। सिस्टम स्टैंड-अलोन है और 2000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में 360º कवरेज प्रदान करता है। यह स्वचालित रूप से तोपखाने के फायर से लेकर बमों, माइंस, छोटे हथियारों के फायर और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस तक कई तरह के विस्फोटों का पता लगा सकता है। इस प्रणाली में आठ स्वायत्त सेंसर सरणियाँ (प्रत्येक में तीन माइक्रोफोन और एक शक्ति स्रोत के साथ) और एक कंप्यूटिंग सिस्टम और रेडियो एंटीना के साथ एक केंद्रीय कमांड पोस्ट होता है।

SL 2A का चित्रण: Source-thalesgroup.com

  • आर्टि-लॉक:बांग्लादेश ने हाल ही में चीन से यह एसआर सिस्टम हासिल किया है। हालांकि, इसका विवरण आसानी से उपलब्ध नहीं हैं।

पाकिस्तान के पास फिलहाल कोई एसआर सिस्टम नहीं है।

निष्कर्ष

तेज गति वाले युद्धक्षेत्र में एसआर सिस्टम की सीमित उपयोगिता पूर्व में चिंता का विषय थी। वायरलेस संचार सहित अन्य आधुनिक विकास और एसआर सिस्टम में प्रगति के साथ इसमें संचालन की अधिक स्वायत्तता हासिल है। अपनी कम लागत, आसान संचालन और सर्वव्यापक परिणामों के कारण एसआर प्रणालियां दुश्मन के तोपखानों का पता लगाने की भारतीय सेना की क्षमता में अंतर को सही तरीके से पाट सकती हैं। भारतीय सेना को हथियारों का पता लगाने की अपनी क्षमता विकसित करने के लिए ऐसी प्रणालियों के अधिग्रहण और विकास की दिशा में आगे बढ़ना बेहतर रहेगा।

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लेखक
ब्रिगेडियर अरविंद धनंजयन (सेवानिवृत्त) एक आपरेशनल ब्रिगेड की कमान संभाल चुके हैं और एक प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र के ब्रिगेेडयर प्रभारी रहे हैं। उनका भारतीय प्रशिक्षण दल के सदस्य के रूप में दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना में विदेश में प्रतिनियुक्ति का अनुभव रहा है और विदेशों में रक्षा बलों विश्वसनीय सलाहकार के रूप में उनका व्यापक अनुभव रहा है। वह हथियार प्रणालियों के तकनीकी पहलुओं और सामरिक इस्तेमाल का व्यापक अनुभव रखते हैं।

अस्वीकरण

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