• 26 December, 2024
Foreign Affairs, Geopolitics & National Security
MENU

पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति: एक विश्लेषण

लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त)
गुरु, 20 जनवरी 2022   |   6 मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान ने वृहद परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से सात साल काम करने के बाद हाल ही में एक राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (एनएसपी) का दस्तावेज जारी किया है। इस नीति के दो हिस्से हैं, एक वर्गीकृत भाग और दूसरा सार्वजनिक दस्तावेज़। सार्वजनिक भाग में लगभग 50-पृष्ठों का दस्तावेज़ है, जिनमें सीमाओं और क्षेत्र की पुरानी दुनिया की अवधारणा से परे पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा को संबोधित करने का प्रयास किया गया है। यह सैद्धांतिक मार्गदर्शन के लिए बनाया गया एक वैचारिक दस्तावेज है और इसमें अनावश्यक विवरण नहीं दिये गये है। फिर भी इनमें पाकिस्तान के मौजूदा नेतृत्व की आंतरिक सोच को प्रतिबिंबित करने वाले स्पष्ट संकेत मिलते हैं।

इस नीति की अवधि पांच साल है और हर साल इसकी समीक्षा भी की जानी है। इसके भीतर निहित मुद्दों को विस्तार से बताना संभव नहीं है, लेकिन उनमें से कुछ का संक्षेप में उल्लेख किया गया है। उपमहाद्वीप और भारत-पाकिस्तान संबंधों को प्रभावित करने वाले कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में यहां समीक्षा की जाएगी।

यह गौरतलब है कि नीति के वर्गीकृत हिस्से में ही विस्तार से पूरी सच्चाई को स्पष्ट रूप से दिया गया होगा। फिर भी शुरुआत में यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को ऐसे समय में हटाया जा रहा है जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना हुआ है और वह संयम की छवि स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। चरमपंथी हिंसा और आतंक को बढ़ावा देने वाले तत्वों को निरंतर समर्थन देने, आतंकवादियों के वित्तपोषण को कम करने में असमर्थ होने के लिए एफएटीएफ का दबाव, और आंतरिक रूप से कट्टरपंथी प्रतिक्रिया झेल रहा पाकिस्तान स्पष्ट रूप से नयी नीति को अपनाने की स्थिति में नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के बारे में लोगों की राय बनाने के लिए किया जा रहा है कि पाकिस्तान में स्थितियां बदल रही हैं।

पाकिस्तान को पूरा एहसास है कि उसने देश के पूरे अर्थशास्त्र को अपर्याप्त तरीके से संभाला है। भू-अर्थशास्त्र से लेकर स्थानीय आर्थिक मुद्दों तक को संभालने की बजाय उलझा दिया है। एक समय था जब पाकिस्तानी बड़े गर्व से भारतीयों की ओर इशारा करते हुए अपने देश में जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करार देते थे। तब से, सिंधु और गंगा में बहुत पानी बह चुका है।

पाकिस्तान आज उन राष्ट्रों में से एक है जो एक संभावित विनाशकारी वर्ग विभाजन के कगार पर खड़ा है। अमीरों और वंचितों के बीच की गहरी खाई के साथ सड़कों पर हिंसा होने का खौफ उत्पन्न हो गया है। पाकिस्तान का नेतृत्व अपनी आंतरिक गतिविधियों में गड़बड़ी के लिए बाहरी शक्तियों पर आरोप लगाकर बचना चाहता है जबकि सच्चाई यह है कि यह राष्ट्र आर्थिक अभाव से जूझ रहा है। यह पूरी तरह से बाहरी सहायता पर निर्भर है। सरकार अपने नागरिकों को तकनीकी और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा मुहैया करा पाने में विफल रही है जिससे लोग रूढ़िवादी प्रथाओं और विश्वास से ऊपर उठने में असफल रहे हैं।

एनएसपी के एक हिस्से में भू-अर्थशास्त्र और आंतरिक अर्थव्यवस्था के विवेकपूर्ण प्रबंधन पर ध्यान देने की बात करना एक समझदार कदम है, लेकिन इसे क्रियान्वित करना एक चुनौती और बुरा सपना साबित हो सकता है। इसकी भू-रणनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण साबित हो सकती है यदि यह इसे केवल एक बाधा या खतरे के रूप में लेने के बजाय बेहतर तरीके से उपयोग करता है। भारत के साथ व्यापार और अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ भारतीय व्यापार के लिए आवागमन की सुविधाएं दोनों देशों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती हैं। हालाँकि, इस नीति के माध्यम से पाकिस्तान व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए भारत पर शर्तें लागू करने की मांग कर रहा है; वह डरता है कि भारतीय वस्तुओं के आ जाने से उसका उद्योग ठप हो जायेगा।

अपनी इस नीति में पाकिस्तान अर्थशास्त्र पर ध्यान केंद्रित कर मानव सुरक्षा के लिए उच्च स्तर का संसाधन तैयार करना चाहता है। हालाँकि, उस देश में पाकिस्तानी सेना ही  विदेश और रक्षा नीति का प्रबंधन करती है और आर्थिक नीति में भी उसकी भारी दखलंदाजी होती है। इस नीति को लागू करना इस बात पर निर्भर करेगा कि सेना उन खतरों की स्थिति को कैसे संभालती है।

भारत में हम सुरक्षा के द्विपक्षीय पहलुओं को निश्चित रूप से देखेंगे, लेकिन पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी विसंगतियां महत्वपूर्ण पहलू हैं। हम जानते हैं कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान की रणनीति 1971 में सैन्य हार के प्रतिशोध पर आधारित है। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों ने कई तरीकों से अप्रत्यक्ष संघर्ष की धीमी प्रक्रिया से भारत में हिंसा फैलाने की कोशिश की है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी तत्वों और रूढ़िवादी इस्लामी विचारधारा के जरिये उसे भारत से अलग करने की कोशिश उसी प्रक्रिया का हिस्सा है।

पाकिस्तान की इस नीति ने उसकी आंतरिक सुरक्षा को गहराई से प्रभावित किया जिसके कारण उसे चार सालों तक सैन्य अभियान चलाना पड़ा। एनएसपी भी परोक्ष रूप से खतरों के मूल में बाहरी को ही जिम्मेदार ठहराता है। सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को यह स्वीकार करना होगा कि जब तक वह वैचारिक मुद्दों का समाधान नहीं ढूंढता, तब तक एक आधुनिक देश बनने के लिए उसका संघर्ष दुर्गम चुनौती बनकर रह जायेगी। किसी को भी यह उम्मीद नहीं है कि पाकिस्तान यह सब स्वीकार कर लेगा, लेकिन अगर एफएटीएफ के दबाव में वह अपने कामकाज के विभिन्न तरीकों में 27 बदलाव कर सकता है, तो संभवतः वह अभी भी इस दलदल से बाहर निकलने के रास्ते खोज सकता है।

पाकिस्तान अगले सौ वर्षों तक भारत के साथ शांति की कामना कर सकता है, लेकिन उसकी ईमानदारी उस वक्त संदिग्ध लगती है जब वह कहता है कि वर्तमान भारत सरकार के साथ वह शांति की बात नहीं कर सकता। एनएसपी की अवधि पांच साल की है और भारत में मोदी सरकार अगले 30 महीने तक सत्ता में रहेगी। इसका मतलब यह हुआ कि इस नीति को लागू करने के लिए पाकिस्तान के पास आधे से भी कम समय बचता है। यदि वर्तमान सरकार ही फिर सत्ता में लौटती है, तो यह नीति फिर से अगले पांच वर्षों तक अधर में लटक जायेगी, जिससे यह लगभग अर्थहीन हो जायेगी।

इसका वास्तविक अर्थ यह है कि भारत के साथ इस नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। पाकिस्तान के नियंत्रण में सीमा पार से परोक्ष संघर्ष का उद्देश्य पाकिस्तान के हितों को साधना है, जो कि वास्तविक में पाकिस्तानी सेना के हितों को साधना है।

एनएसपी में परमाणु रणनीतिक पहलुओं को कम करके आंका गया है और भारत के खिलाफ प्रतिरोध पर जोर देते हुए इसका उल्लेख सिर्फ एक पैराग्राफ में किया गया है। दुनिया जिस बात की फिक्र करती है उसका जिक्र ही नहीं मिलता है कि क्या उनकी सामरिक संपत्तियां आतंकवादियों से सुरक्षित हैं। सूचना और साइबर दो ऐसे क्षेत्र हैं जो भविष्य के युद्ध को निर्धारित करेंगे। इनसे निपटने में आत्मविश्वास दिखाई देता है; क्योंकि चीन का समर्थन सर्वविदित है।

समुद्री क्षेत्र का उल्लेख किया गया है, इसके पीछे भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ भारत की उपस्थिति है। इसमें कहा गया है कि “व्यापक हिंद महासागर में तथाकथित शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूप में किसी एक देश की स्वयंभू भूमिका क्षेत्र की सुरक्षा और आर्थिक प्रभावों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी”। हालांकि पाकिस्तान समुद्री मार्गों की अपनी सुरक्षा के लिए उत्तर-पश्चिम हिंद महासागर में चीन के साथ सहयोग कर रहा है, लेकिन उसे अपने समुद्र तट पर भारतीय नौसैनिक नाकेबंदी का डर है। इस डर को स्पष्ट रूप से ‘समुद्री प्रतिस्पर्धा’ पर छोटे पैराग्राफ में संबोधित किया गया है।

एनएसपी में जम्मू-कश्मीर का उल्लेख करते समय कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इसमें दावा किया गया है कि “वह कश्मीर के लोगों को अपना नैतिक, राजनयिक, राजनीतिक और कानूनी समर्थन देने में तब तक दृढ़ रहेगा जब तक कि वे आत्मनिर्णय के अपने अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेते।” यह पिछले 33 वर्षों से अपनाई गई नीति की तरह ही है, जिसमें वर्तमान युद्धविराम का फायदा उठाने की कोई संभावना नहीं है। संभवत: एनएसपी के 100 से अधिक पन्नों के वर्गीकृत हिस्से में जम्मू-कश्मीर पर और अधिक विवरण होगा कि पाकिस्तान कैसे संघर्ष को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखता है।

भारत से संबंधित मुद्दों का उल्लेख करते हुए इसमें कहा गया है – “भारत के नेतृत्व द्वारा पाकिस्तान के प्रति युद्ध की नीति ने हमारे पूर्व में सैन्य दुस्साहस और गैर-संपर्क युद्ध का खतरा उत्पन्न कर दिया है”। संदर्भ को जाने बिना और उपमहाद्वीप के मामलों की जानकारी के बिना अगर कोई इसे पढ़ेगा तो पाकिस्तान को सबसे सभ्य देश मानेगा,  जिसे धमकाया गया है। अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की अभिव्यक्ति में भी, पाकिस्तान ने संचार और सूचना पर अपने उत्कृष्ट नियंत्रण का प्रदर्शन किया है, भारत को शांति के खलनायक के रूप में और पृथ्वी पर सबसे आक्रामक राष्ट्र के रूप में पेश किया है, जबकि यह नहीं बताया गया है कि उसने सुरक्षा के हर क्षेत्र में विषमता को फायदे के रूप में कैसे उपयोग किया है।

अमेरिका के साथ संबंधों पर भी एक पैराग्राफ है जिसमें अपेक्षित शांति और सहयोग जारी रहने की बात की गयी है। “संकीर्ण आतंकवाद विरोधी फोकस से परे साझेदारी को व्यापक बनाना प्राथमिकता होगी”। पाकिस्तान पूरी तरह महसूस करता है कि अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोग चाहता है कि क्षेत्र की अस्थिरता और आतंकवादी नेटवर्क के प्रसार को रोकने के लिए अफगानिस्तान में तालिबान अपनी दहलीज पर नियंत्रण में रहे। अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान पर निर्भर है कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी ऊर्जा केंद्रित कर सके। भारत को और सहनशील बनाने के लिए अमेरिका का दबाव कुछ बढ़ने की भी संभावना है।

कुल मिलाकर, पाकिस्तान की नयी एनएसपी के बारे में कहा जा सकता है कि यह नई बोतलों में भरी गयी पुरानी शराब है। इसका मतलब बहुत कम है। एनएसपी के रूप में क्या परोसा गया है इसे जानने के लिए वर्गीकृत भाग को खंगालने की जरूरत है। एनएसपी न तो पाकिस्तान के आंतरिक संचालन के लिए दिशानिर्देश है और न ही भारत के लिए संदेश। यह पश्चिमी देशों के रूख को नरम करने के लिए पाकिस्तान को शांति की तलाश में अग्रसर राष्ट्र के रूप में दर्शाने के उद्देश्य से किया गया प्रयास है। यदि भारतीय रणनीतिकार हमारे उपयुक्त विश्लेषणों के बिना इसे निर्विरोध पारित कर देते हैं तो यह बिलकुल उचित नहीं होगा।

**************************************************************************


लेखक
लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन (सेवानिवृत्त), पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, भारतीय सेना के श्रीनगर कोर के पूर्व कमांडर रहे हैं। वह रेडिकल इस्लाम के इर्द-गिर्द घूमने वाले मुद्दों पर विशेष जोर देने के साथ एशिया और मध्य पूर्व में अंतर-राष्ट्रीय और आंतरिक संघर्षों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वह कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं और रणनीतिक मामलों और नेतृत्व के इर्द-गिर्द घूमने वाले विविध विषयों पर भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में बड़े पैमाने पर बोलते हैं।

अस्वीकरण

इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और चाणक्य फोरम के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। इस लेख में दी गई सभी जानकारी के लिए केवल लेखक जिम्मेदार हैं, जिसमें समयबद्धता, पूर्णता, सटीकता, उपयुक्तता या उसमें संदर्भित जानकारी की वैधता शामिल है। www.chanakyaforum.com इसके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।


चाणक्य फोरम आपके लिए प्रस्तुत है। हमारे चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें (@ChanakyaForum) और नई सूचनाओं और लेखों से अपडेट रहें।

जरूरी

हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें

सहयोग करें
Or
9289230333
Or

POST COMMENTS (0)

Leave a Comment