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आत्‍मघाती साजिश की तैयारी कर रही पाकिस्‍तानी खुफ‍िया एजेंसी आइएसआइ

डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्र
रवि, 12 दिसम्बर 2021   |   5 मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लेफ्टीनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को बहुचर्चित अपने खुफिया तंत्र इण्टर सर्विस इण्टेलीजेन्स (आइएसआइ) एजेंसी के अगले प्रमुख के रूप में नियुक्ति करने का निर्णय लिया। पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आइएसआइ चीन के सहयोग और उसके इशारे पर जहां ड्रोन से लगातार हमले करने के प्रयास कर रही है, वहां आत्मघाती (फिदायीन) आतंकवादी आक्रमण को अंजाम देने की बड़ी साजिश रच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि चीन द्वारा अपनी सेना के साथ पाकिस्तान खुफिया आई.एस.आई. ने विशेष रूप से अपने कुख्यात आतंकी संगठन अलबद्र के साथ एक विशेष मुलाकात करायी है। चीन के विशेष सैनिक अधिकारियों ने पाकिस्तान अधिकृत (पीओके) का एक विशेष दौरा किया और स्थिति का पूरी तरह से जायजा भी लिया। इसमें पाकिस्तान की इण्टर सर्विस इण्टेलीजेंस टेररिस्ट रिवाइवल फ्रंट आतंकवादी संगठन के साथ-साथ अलबद्र गुट को सामरिक सहयोग, घातक व विध्वंशक सामग्री मुहैया करवा कर मजबूत व सशक्त बनाने की रणनीति को अंजाम दे रही है। वास्तव में इसके पीछे चीन का मुख्य मकसद जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को फिर से खड़ा करने की एक व्यापक योजना है।

पाकिस्तान अपनी अनेक आन्तरिक समस्याओं और आर्थिक बदहाली के बावजूद अभी भी आतंकवाद को प्रायोजित करने का सिलसिला निरन्तर जारी रखे है। इसी के तहत वह भारत में साइबर अटैक करने की एक बड़ी साजिश तैयार कर रहा है, जिससे विमानों की सेवा को बाधित करने तथा बिजली ग्रिडों को फेल करने के लिए भी एक रणनीति बनायी है। यही कारण है कि विगत एक सप्ताह से साइबर स्पेस में आतंकवादी छद्म नाम से बैठक कर रहे हैं। चूंकि अफगानिस्तान में तालिबान का अधिकार हो जाने के बाद बड़ी संख्या में जम्मू कश्मीर के इलाके में आतंकवादियों को तैनात करने की पाकिस्तानी साजिश भी सफल नहीं हो सकी। कश्मीर घाटी में अशान्ति फैलाने के लिए एक आतंकवादी ने घाटी में इसके लिए यह सुझाव भी दिया है कि फलों व सब्जियों में जहरीले इंजेक्शन लगाकर राष्ट्रवादी भारतीय मुस्लिमों को आसानी के साथ मौत के घाट उतारा जा सकता है। कश्मीर में तेजी से सुधर रहे हालात के फलस्वरूप अब आइएसआइ और आतंकवादी सरगनाओं की निरन्तर चिन्ता बढ़ती जा रही है।

बदहाली, कंगाली एवं तंगहाली से गुजरने के बावजूद पाक अपने नापाक इरादों से कतई बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के पास आतकंवादियों को पनाह देने, सक्रिय सहयोग करने और हर तरह से मदद करने का ‘स्थापित इतिहास तथा नीति’ रही है। यह दुनिया का एक ऐसा देश है, जिसे विश्व स्तर पर आतंकवादियों को सरेआम समर्थन करने उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने, आर्थिक सहयोग करने तथा घातक हथियार व आवश्यक सामग्री की आपूर्ति कराने वाले देश के रूप में पहचाना जाता है। एक खुफिया जानकारी के अनुसार इस समय पाकिस्तान भारत के विरुद्ध एक नया आतंकवादी चक्रव्यूह चलाने के लिए लगभग 14 से 17 वर्ष की आयु वाले लगभग 300 से अधिक नवयुवकों को बलि का बकरा बनाने की तैयारी कर रहा है अर्थात् उन्हें आत्मघाती (फिदायीन) आतंकी आक्रमण के लिए प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। पाकिस्तान ने अपने पंजाब राज्य से लेकर पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के.) तथा अनेक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये हैं, जिनमें इस प्रकार का घातक, विनाशक व विध्वंसक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस प्रकार के आतंकवादी प्रशिक्षण केन्द्रों की संख्या लगभग 27 बतायी जा रही है।

आइएसआइ द्वारा इन किशोरों को किताब की बजाय उन्हें विनाशकारी हथियारों का अध्ययन, मनन व चिन्तन करने के लिए विवश किया जा रहा है। जिनके जहन में अभी से नफरत, खून-खराबा, विनाश करने से ही जन्नत मिलेगी, की सोच विकसित की जा रही है। पीठ पर पुस्तकों के बैग एवं कम्प्यूटर लदे होने की बजाय बैटरीयुक्त बम बांधकर जीने-मरने का मकसद जन्नत पाने तक सीमित कर दिया है। इसके लिए उन्हें तुर्की तथा चीन निर्मित अति आधुनिक हथियार चलाने के साथ ही, बम तैयार करने तथा उसके विस्फोटक करने, कम्प्यूटर चलाने व जी.पी.एस. (ग्लोबल पोजीसनिंग सिस्टम) आदि अन्य आवश्यक वस्तुओं का प्रशिक्षण आतंकवादी संगठनों, आईएसआई तथा सेना के कुशल अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण शिविर में किशोरों को प्रशिक्षित करने का जोरदार अभियान जारी है। आइएसआइ ने आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मुजफ्फराबाद, गिलगित, पब्बी और पियोंन जैसे इलाकों में भी लगभग 13 नये आतंकी केन्द्र खोले हुए हैं। इनमें कुछ एक प्रशिक्षण शिविर लांचिंग पैड के निकट भी स्थित है।

कश्मीर घाटी में किशोरों को आतंकवादी संगठनों में शामिल करने का भी एक बड़ा अभियान आतंकवादियों द्वारा गोपनीय रूप से चलाया जा रहा है। विशेष रूप से किशोरों का मस्तिष्क प्रक्षालन (ब्रेन वासिंग) करके साधन, सुविधाओं एवं भविष्य के सपने दिखाकर अपने संगठनों से जोड़ा जा रहा है। अभी तक कश्मीर घाटी में लगभग 107 किशोर अलग-अलग आतंकवादी संगठनों के साथ अपने को जोड़ चुके हैं। इसमें से सबने बड़ी संख्या में हिजबुल मुजाहिदीन के साथ 47, लश्कर-ए-तैयबा के साथ 27 और जैश-ए-मोहम्मद में 14 तथा अलबद्र आतंकवादी संगठन में 19 बच्चे विशेष रूप से शामिल हुए हैं। पाक अधिकृत कश्मीर में चल रहे आतकंवादी शिविरों में तैयार अलबद्र के आतंकवादियों के लाँचिंग पैड पर भी जमा होने की प्रामाणिक जानकारी मिली है। इसके साथ ही केरन सेक्टर के पास स्थित दूधिनियाल के लाँचिंग पैड पर लगभग 85 से 90 तक की संख्या में आतंकवादी जमे हुए हैं। जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के साथ-साथ अलबद्र गुट के भी आतंकवादियों को देखा गया है। इसी प्रकार से तंगधार सेक्टर के निकट पाकिस्तानी लाँचिंग पैड पर लगभग 22 आतंकवादी देखे गये।

यही नहीं बल्कि आइएसआइ खुफिया तंत्र भारत के विरुद्ध निरन्तर नई-नई साजिशों को अंजाम की फिराक़ में अनवरत लगा रहता है। हाल ही में प्राप्त जानकारी के अनुसार आइएसआइ पुंछ तथा कृष्णा घाटी के इलाके में पानी के रास्ते आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने की कोशिश कर सकते हैं। चूंकि आइएसआइ द्वारा अनेक आतंकवादियों को इसका एक बड़ा प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। इस समय स्थिति, यही है कि पाकिस्तान के नापाक इरादे को भारतीय सैन्य बलों द्वारा लगातार नाकाम किये जाने के कारण वह पूरी तरह से बौखलाया हुआ है। जिसके फलस्वरूप इस समय जम्मू-कश्मीर में अपनी घुसपैठ करने के लिए नित नये रास्तों की तलाश में लगा हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान के पकड़े गये इण्टरसेप्ट से पता लगा है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद नदी, नालों व गहरे पानी वाले तंग क्षेत्रों से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में प्रवेश पाने के अनवरत प्रयास में लगे हुए हैं।

वास्ताव में पाक अधिकृत कश्मीर में एक आर्टिफिशियल वाटर ट्रेनिंग कैम्प में आतकंवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद की एक बड़ी संख्या को पाकिस्तानी नौ सेना के एक विशेष सेवानिवृत्त अधिकारी द्वारा पानी के रास्ते घुसपैठ करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके लिए विशेष रूप से तैराकी, गोताखोरी व पानी के अन्दर लम्बे समय तक छिपे रहने का प्रशिक्षण दिया गया। इसके पीछे आइएसआइ का इरादा जम्मू-कश्मीर के साथ ही भारत के अन्य इलाकों में आतंकवादियों के वाटर विंग का इस्तेमाल करते हुए एक बड़े हमले को अंजाम देना भी है। इस कार्य को सम्पादित करने के लिए मुजफ्फराबाद और सवाई नाला के निकट एक प्रशिक्षण शिविर में आतंकवादी दल में शामिल नवयुवकों को तैराकी सिखाने के साथ ही अधिक समय तक पानी में रहने के लिये प्रयोग होने वाली ट्यूब के साथ प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। इस समय आतंकवादी किशोर प्रशिक्षण के पश्चात अब कई किलोमीटर तक पानी के अन्दर ही अन्दर रहकर ट्यूब के सहारे एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचने में परिपक्व हो गये हैं। ध्यान रहे कि जम्मू-कश्मीर के एलओसी के निकट तीन बड़ी नदियां तथा 14 छोटे-बड़े नाले जुड़े हुए हैं।

यह एक कटु सत्य है कि पाकिस्तान भारत को अपना एक स्थायी शत्रु मानता है। यही कारण है कि आज तक द्विपक्षीय सम्बन्धों को लेकर कोई सकारात्मक नीति नहीं निर्धारित कर सका है। बालाकोट जैसी जवाबी कार्यवाही से पाकिस्तान केवल अपनाये जाने वाले तरीकों में परिवर्तन किया है, किन्तु उसकी मूल प्रवृत्ति में कोई बदलाव नहीं आया है। उसका खुफिया तंत्र नित नये-नये हथकण्डे अपनाकर भारत के विरुद्ध अनेक आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में लगा रहता है। यही कारण है कि अभी भी पाकिस्तान की ओर से आतंकी युद्ध प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से अनवरत जारी है। जम्मू-कश्मीर के किशोरों को विशेष रूप से नशे के जाल में फंसाने के लिए पाकिस्तान एक नया घातक हथकण्डा भी अपनाया हुआ है। नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना आइएसआइ की एक बड़ी दूरगामी योजना का हिस्सा है। यही नहीं स्कूल व कालेज जाने वाले छात्रों को नशे की आदत का शिकार बनाया जा रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेन्सी घाटी में नशे (ड्रग्स) की खेप भेजकर घाटी के युवाओं को आतंकवाद व नशे के जरिये तबाह करने में लगी है। यह रणनीति नार्का टेररिज्म का ही एक रूप है।

आइएसआइ का भारत विरोधी अभियान निरन्तर नये-नये रूपों में चलता रहेगा, क्योंकि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गहरे दलदल में फंसी हुई है। कट्टरपंथी ताकतों के आगे इमरान सरकार झुकने को मजबूर हो चुकी है। जैसा कि कुछ सप्ताह पूर्व ही सुन्नी आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तानी (टीएलपी) के प्रमुख साद हुसैन रिजवी को रिहा किया तथा उसका नाम आतंकवाद निगरानी सूची से हटा दिया। अतः पाक के नापाक इरादों से भारत की खुफिया तंत्र को जहां अपनी पैनी निगाहें पाक की हरकतों पर निरन्तर रखनी होगी, वहां भारतीय सुरक्षा बलों को भी सदैव सतर्क, सजग, सशक्त व सक्षम रहना होगा।

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लेखक
डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्र डिफेंस स्टडीज में पीएचडी हैं और इनका हरियाणा के विभिन्न गवर्नमेंट कालेजों में शिक्षण का अनुभव रहा है। वह जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर के विजिटिंग फेलो हैं। ‘रक्षा अनुसंधान’ और ‘टनर’ नामक डिफेंस स्टउीज रिसर्च जरनल से जुड़े हैं। 15 सालों का किताबों के संपादन का अनुभव है और करीब 35 सालों से देश के विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लिख रहे हैं। डिफेंस मॉनिटर पत्रिका नई दिल्ली के संपादकीय सलाहकार हैं। उन्हें देश की रक्षा व सुरक्षा पर हिंदी में उल्लेखनीय किताब लिखने के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से वर्ष 2000, 2006 और 2011 में प्रथम, तृतीय व द्वितीय पुरस्कार मिल चुका है। इन्होंने पांच रिसर्च प्रोजेक्ट पूरे किए हैं, इनकी 47 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और 300 से अधिक रिसर्च पेपर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जरनल में छप चुके हैं।

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