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आतंकवाद का आका है पाकिस्तान

डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्र
रवि, 03 अक्टूबर 2021   |   6 मिनट में पढ़ें

पाकिस्तान की बहुचर्चित खुफिया एजेन्सी आईएसआई (इण्टर सर्विस इण्टेलीजेन्स) ने जहाँ अफ्गानिस्तान पर तालिबान के कब्जे में अपनी सक्रिय भूमिका निभायी है वहीं तालिबान का साम्राज्य स्थपित हो जाने से मानों उसकी बाछें खिल गई हैं। इस समय आईएसआई भारत के विरुद्ध अपने नापाक इरादों को कामयाब बनाने की साजिशें सरहद पर रच रहा है। भले ही इस समय भारत-पाकिस्तान सीमा पर खामोसी नज़र आ रही है, किन्तु पाकिस्तानी गुप्तचर सेवा आईएसआई भारत को दहलाने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाने में लगी हुई है। एक गोपनीय खुफिया रिपोर्ट के अनुसार अफ्गानिस्तान से वापस आये अपने आतंकवादियों को पाक अधितकृत कश्मीर (पीओके) शिफ्ट करने में लगी है और उनके लिए आवश्यक साज-सज्जा भी जुटा रही है। इसके साथ ही अपनी एक व्यापक रणनीति के तहत भारतीय सुरक्षा बलों को आश्चर्यचकित करने व धोखा देने के लिए एक स्थानान्तरित (शिफ्टिंग) लांचिंग पैड को तैयार किया है। इसके पीछे उसका मकसद यही है कि इस लांचिंग पैड को अपनी सुविधा के अनुसार जरूरत पड़ने पर बदला जा सकता है। जो सामरिक स्थिति में शीघ्रता के साथ परिवर्तन किया जा सके।

वास्तव में इस प्रकार के जो पाकिस्तान ने शिफ्टिंग लांच पैड तैयार व तैनात किये हैं, वे अत्यन्त घातक, भयावह एवं दहशत पैदा करने वाले सिद्ध हो सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार तैनात किये गये, इस एक लांच पैड में लगभग 100 से लेकर 150 तक आतंकवादी रखे गये हैं। हाल ही में अफनिस्तान में तालिबान के ताण्डव को देखकर नये तरीके से एक प्रयोग करने की साजिश को अंजाम दिया है। इससे भारतीय सुरक्षा बलों को चकमा देने का इरादा पाल रखा है। इस ‘शिफ्टिंग लांच पैड’ को चीन की मदद से पाकिस्तानी सेना और उसके रेंजर्स ने संयुक्त रूप से तैयार व तैनात करने का काम किया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार गुरेज सेक्टर के सामने-सोनार, तौबत तथा लोसर इलाके में तीन लांच पैड तैनात किये हैं, जबकि तंगधार सेक्टर में भी जमुआ, खरहजना तथा मन्दकुली इलाके में तीन लांच पैड हैं। इसी प्रकार से उरी और नवगांव सेक्टर की ओर, लीपा गबडोनि और बन्दी एरिया में भी लगभग 4 से 5 शिफ्टिंग लांचिंग पैड होने का अनुमान लगाया गया है। इसके साथ ही पुंछ एरिया में भी तकरीबन पांच लांच पैड घुसपैठ के लिए लगाये गये हैं। उरी के पास कथाई, पटियान, पांडू, बोकरा गली व खोजबदी में नये लांच पैड बनाये हैं।

भारत-पाकिस्तान की सीमा से सटे अभी तक न केवल आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर (कैम्प) लगे हुए हैं, बल्कि अब पाक अधिकृत कश्मीर के इलाके में अनेक अति आधुनिक विनाशक हथियारों से लैस अनेक आतंकवादी मौजूद हैं। लांचिंग पैड के कारण इन आतंकवादियों को अब सरहद पर सरलता के साथ घुसपैठ करने व भारत को दहलाने की साजिश रचने के इरादे बनाये हैं। यह सर्वविदित है कि पाकिस्तान और विशेष रूप से उसकी गुप्तचर सेवा आईएसआई ने अफगानिस्तान में तालिबान के पैर पसारने और देश में कब्जा करवाने में विशेष रूप से अपनी सक्रिय भूमिका अदा की थी। नियन्त्रण रेखा से सटे हुए जिलों राजौरी व पुंछ को एक बार पुनः आतंकवाद की आग में जलाने की कोशिश आईएसआई के माध्यम से पाकिस्तान करने की एक बड़ी फिराक में है। इस सरहद से घुसपैठ और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के लिए जिन आतंकवादी संगठनों की सक्रियता देखी जा रही है, इसमें विशेष रूप से लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) तथा जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) गुट के आतंकवादी सर्वाधिक देखे गये हैं।

अभी हाल ही में आतंकवाद पर अमेरिकी कांग्रेस द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे भारत को निशाना बनाने वाले प्रमुख पांच आतंकवादी संगठनों सहित ‘विदेशी आतंकवादी संगठनों के रूप में चिन्हित कम से कम 12 संगठनों के लिए एक बड़ा पनाहगार है। जहाँ से वे अपनी आतंकी गतिविधियों को अन्जाम देते हैं। इनमें से कुछ आतंकवादी संगठन 1980 के दशक से ही अस्तित्व में हैं। स्वतंत्र ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने रिपोर्ट में बताया है कि अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान की पहचान अनेक हथियारबन्द और राज्येतर आतंकवादी संगठनों के प्रमुख पनाहगार के तौर पर की गयी है। ‘क्वाड’शिखर सम्मेलन की पूर्ण संध्या पर अमेरिकी कांग्रेस की द्विवदलीय शोध शाखा द्वारा जारी रिपोर्ट में वर्णित किया गया है कि पाकिस्तान से संचालित हो रहे इन आतंकवादी समूहों को प्रमुख रूप से पांच श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है :–

वैश्विक स्तर के आतंवादी संगठन

अफगानिस्तान केन्द्रित आतंकवादी संगठन

भारत के कश्मीर केन्द्रित आतंकवादी संगठन

घरेलू मामलों तक सीमित रहने वाले आतंकवादी संगठन

पंथ केन्दित (शियाओं के विरुद्ध) तैनात आतंकवादी संगठन

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के द्वारा यह भी उल्लेख किया गया है कि अमेरिकी विदेश विभाग की आतंकवाद पर रिपोर्ट ‘कन्ट्री रिपोर्ट ऑन टेररिज्म 2019’ के अनुसार पाकिस्तान कुछ निश्चित व निर्धारित क्षेत्र में विशेष निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठनों के लिए पनाहगार बना हुआ है और उसमें अफगानिस्तान के साथ-साथ भारत को निशाना बनाने वाले संगठनों को अपनी सरज़मीं के इस्तेमाल की इजाज़त दी है। विदेश विभाग ने यह भी वर्णित किया है कि आतंकवाद के वित्त पोषक (आर्थिक सहयोग) को रोकने के लिए तथा जम्मू-कश्मीर में 2019 के आतंकवादी हमले से पहले भारत केन्द्रित कुछ आतंकवादी संगठनों पर नकेल लगाने के लिए पाकिस्तान की सरकार द्वारा एक साधारण से कदम उठाये गये थे, जो कि दिखावा मात्र कहे जा सकते हैं।

आतंकवाद का आधार पाकिस्तान अपनी खुफिया एजेन्सी आईएसआई के माध्यम से शैतानी, घटिया एवं धूर्त योजना के तहत भारत में हनी टैप बिछाने के लिए पाकिस्तानी लड़कियों को प्रशिक्षित किया है। इसके लिए विशेष रूप से कराची एवं रावलपिण्डी की लड़कियों को सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय सेना के सैनिकों के लिए हनीट्रैप लगाने का प्रयास न केवल निन्दनीय है, बल्कि विनाषक, विध्वंशकारी एवं बड़ी विपदा का सूचक भी है। इस संवेदनशील मामले में बड़ी सतर्कता व सजगता से काम लेने की जरूरत है। इसके तहत विडियो चैट से सम्पर्क द्वारा सैनिकों को भ्रमित करके सैन्य गतिविधियों, रणनीतियों एवं सामरिक महत्व के ठिकानों का पता लगाना होता है। इसके साथ ही आईएसआई द्वारा एक और घातक हमले की योजना बनाने की खबर है। जिसके तहत आईएसआई एक विस्फोट को ट्रिगर करने के लिए एक टिफिन बॉक्स में 200 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लगाने का प्रयास करेगी। त्योहार के सीजन के समय विशेष रूप से भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर निशाना लगाने की है। आतंकवादी इस दौरान घुसपैठ का भी प्रयास कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार – ‘यह योजना उन्नत चरण में है, जिसमें विशेष लोग, आवश्यक सामग्री तथा वित्त शामिल हैं।’हाल ही में पकड़े गये लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी ने पाकिस्तान के आकाओं के साथ सम्बन्ध कबूल किया।

  1. लश्करतैयबा (एलईटी) : का गठन 1980 के दशक में पाकिस्तान में हुआ और वर्ष 2001 में इसे विदेश आतंकवादी संगठन (एफटीओ) घोषित किया गया। इस आतंकी संगठन को मुम्बई में 2008 के भीषण आतंकवादी हमले के साथ अन्य अनेक हाई-प्रोफाइल हमलों हेतु उत्तरदायी माना जाता है।
  2. जैशमोहम्मद(जेईएम) : इसका गठन कश्मीरी आतंकवादी नेता मसूद अज़हर ने वर्ष 2000 में किया। तत्पश्चात 2001 में इसे विदेश आतंकवदी संगठन (एफटीओ) के तौर पर चिन्हित किया गया। लश्कर-ए-तैयबा के साथ जैस-ए-मोहम्मद भारतीय संसद पर हमले सहित अन्य अनेक घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
  3. हरकतउलजिहाद इस्लामी (एचयूजेआई) : इस संगठन की स्थापना वर्ष 1980 में अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना से लड़ने के लिए की गयी। इसे वर्ष 2010 में विदेश आतंकवादी संगठन (एफटीओ) के तौर पर चिन्हित किया गया। 1989 के बाद इस संगठन ने अपनी गतिविधियों को भारत पर केन्द्रित कर दिया तथा तालिबान के समर्थन में भी सहयोग करता रहा।
  4. हिजबुलमुजाहिदीन (एचएम) : इसका गठन 1989 में हुआ। यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी पार्टी ‘इस्लामी पार्टी’की आतंकवादी शाखा है। इसे वर्ष 2017 में विदेश आतंकवादी संगठन (एफटीओ) की सूची में रखा। यह जम्मू-कश्मीर की आतंकवादी गतिविधियों में शामिल सबसे बड़ा और पुराना आतंकवादी संगठन है।
  5. अलकायदा : पाकिस्तान से अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले आतंकवादी संगठनों में इसका नाम भी शामिल है। यह प्रमुख रूप से संघीय प्रशासित कबाइली इलाकों कराची और अफगानिस्तान से गतिविधियां चलाता है। वर्ष 2011 तक अयमन अल-जवाहिरी ने इसका नेतृत्व किया। देश के भीतर अनेक आतंकी संगठनों के साथ इसके सहयोगात्मक सम्बन्ध हैं।

प्रमुख पांच आतंकवादियों के अलावा पाकिस्तान में सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों में ‘अलकायदा इन दॉ इण्डिया सबकांटिनेण्ट’(एक्यूआईस), इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविन्स (आईएसकेपी या आईके), अफगान तालिबान हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान (टीटीपी), बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलओ), जुंदाल्ला उर्फ जैश अल बदल, सिपाह-ए-साहबा पाकिस्तान (एसएसपी) तथा लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे) शामिल हैं।

निश्चित रूप से आतंकवाद का आका पाकिस्तान अपने आतंकवादी संगठनों की सक्रियता से भारत को दहलाने की एक बड़ी कोशिश करने में लगा हुआ है। पाकिस्तान ने जिस प्रकार से शिफ्टिंग लांच पैड और उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी की है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरहद पर साजिशें लगातार रचने के इरादे से पाकिस्तान अभी भी बाज नहीं आ रहा है। अतः भारतीय गुप्तचर शाखा, सेनाओं व सुरक्षा, संगठनों को पाक के नापाक इरादों पर समय रहते नकेल डालने के लिए सजग, सतर्क, सशक्त, सक्षम, संतुलित, संयमित रहकर सबक सिखाना होगा।

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लेखक
डॉ सुरेंद्र कुमार मिश्र डिफेंस स्टडीज में पीएचडी हैं और इनका हरियाणा के विभिन्न गवर्नमेंट कालेजों में शिक्षण का अनुभव रहा है। वह जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर के विजिटिंग फेलो हैं। ‘रक्षा अनुसंधान’ और ‘टनर’ नामक डिफेंस स्टउीज रिसर्च जरनल से जुड़े हैं। 15 सालों का किताबों के संपादन का अनुभव है और करीब 35 सालों से देश के विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में लिख रहे हैं। डिफेंस मॉनिटर पत्रिका नई दिल्ली के संपादकीय सलाहकार हैं। उन्हें देश की रक्षा व सुरक्षा पर हिंदी में उल्लेखनीय किताब लिखने के लिए भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय से वर्ष 2000, 2006 और 2011 में प्रथम, तृतीय व द्वितीय पुरस्कार मिल चुका है। इन्होंने पांच रिसर्च प्रोजेक्ट पूरे किए हैं, इनकी 47 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं और 300 से अधिक रिसर्च पेपर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जरनल में छप चुके हैं।

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POST COMMENTS (1)

Dilip Kumar Vishwakarma

अक्टूबर 03, 2021
pakistan shuru se terrorist ka heaven raha hai

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