पोर्ट्समाउथ (ब्रिटेन), 21 नवंबर (द कन्वरसेशन) : आधुनिक मिसाइलें और बम अविश्वसनीय सटीक निशाने लगाने में सक्षम हैं। ड्रोन संचालकों की जिंदगी के बारे में किए शोध पर मेरी कितान ‘रीपर फोर्स’ में, मुझे सीरिया में आरएएफ एमक्यू-9 रीपर ड्रोनों को वास्तविक समय में कार्य करते देखने का मौका मिला।
मैं नेवादा में ‘क्रीच एयर फ़ोर्स बेस’ में एक भूमि नियंत्रण केंद्र पर चालक दल के तीन सदस्यों के साथ बैठा और देखा कि उन्होंने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के एक लड़ाके को सटीक रूप से निर्देशित हेलफ़ायर मिसाइल से कैसे मार गिराया।
संचालित किया जा रहा रीपर ड्रोन अपने लक्ष्य से 20,000 फुट ऊपर उड़ रहा था। आईएस का लड़ाका एक चलती मोटरसाइकिल पर था जब मिसाइल ने उसे निशाना बनाया।
मिसाइल की सटीकता का अंदाजा इस बात से लगाया जाता है कि वह अपने लक्ष्य के कितने करीब पहुंचती है। सटीकता से तात्पर्य विस्फोटक धमाके के पैमाने और पूर्वानुमान से है। मैंने जो हमला देखा वह सटीक था और उसमें कोई असैन्य नागरिक हताहत नहीं हुआ।
सटीकता की सीमा
हवा से दागी जाने वाली मिसाइलों संबंधी तकनीक तेजी से आगे बढ़ रही है। सौ पाउंड की हेलफायर मिसाइल को बख्तरबंद टैंकों को नष्ट करने के लिए विकसित किया गया था, और इसका लेजर लक्ष्यीकरण नियमित उपयोग में सबसे सटीक प्रणाली है। इसमें 20 पाउंड की विस्फोटक सामग्री शामिल हुआ करती थी, हालांकि आधुनिक संस्करण समानांतर क्षति और असैन्य नागरिकों की मौत के जोखिम को कम करने के लिए कम विस्फोटकों का उपयोग करते हैं।
इसके बावजूद, सटीकता आपको केवल इतना ही जानने की इजाजत देती है: सरकारें घातक विस्फोट-त्रिज्या सूचना प्रकाशित नहीं करती हैं, लेकिन ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक वीडियो में कई मीटर के हेलफायर विस्फोट का दायरा दिखा था।
विस्फोट उस कोण से भी प्रभावित होता है जिस पर एक मिसाइल लक्ष्य से जाकर टकराती है। यह स्थानीय भौगोलिक स्थिति और आस-पास की उन संरचनाओं से भी प्रभावित होता है जो विस्फोट से कुछ हद तक प्रभावित हो सकती हैं। इसके अलावा, यहां तक कि हल्के बादल भी लेजर बीम को बाधित कर सकते हैं, जिस पर हेलफायर जैसी लेजर-निर्देशित मिसाइलें अपने लक्ष्य को सटीक रूप से निशाना बनाने के लिए निर्भर रहती हैं।
इसके बावजूद, यह पारंपरिक बमों की तुलना में अधिक सटीक है, हालांकि और सटीकता के लिए इनमें भी सुधार किया जा रहा है।
पारंपरिक अनिर्देशित 500-पाउंड, 1,000-पाउंड और 2,000-पाउंड ‘मूक’ बमों को एक ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक म्यूनिशन (जेडीएएम) ‘गाइडेंस टेल किट’ संलग्न करके ‘स्मार्ट’ निर्देशित बम इकाइयों (जीबीयू) में परिवर्तित किया जा रहा है।
वे केवल निर्देशांक से टकरा सकते हैं और नागरिकों को ‘देख’ या उनसे बच नहीं सकते हैं, हालांकि हेलफायर मिसाइलों के विपरीत, वे बादलों से प्रभावित नहीं होते हैं।
2,000 पाउंड का संस्करण कई सौ मीटर दूर तक घातक हो सकता है लेकिन मार्गदर्शन किट उन्हें अपने लक्ष्य के (10 और 30 मीटर) के बीच प्रहार करने में सक्षम बनाती है।
असैन्य नागरिकों के लिए खतरे
अधिक सटीक मिसाइलों और निर्देशित बमों के विकास का मतलब यह नहीं है कि नागरिक मौतों में कमी आएगी। गौर करने वाली बात यह है कि ‘सटीक’ मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य नागरिकों की सुरक्षा नहीं, बल्कि इन हथियारों को ‘अधिक घातक’ बनाना है।
‘सटीक’ हमले के दौरान कई कारण नागरिक जोखिम को प्रभावित करते हैं। इनमें मिसाइल या बम का आकार, शामिल चालक दल के सदस्यों का प्रशिक्षण और अनुभव, सैन्य खुफिया जानकारी की गुणवत्ता आदि शामिल हैं। इसमें शामिल देशों के राजनीतिक निहितार्थ भी एक कारक हैं।
इन सभी कारणों से मिसाइल की सटीकता की कोई भी सीमा युद्ध में असैन्य नागरिकों की मौत की त्रासदी को नहीं रोक पाएगी। और युद्ध समाप्त होने के कोई संकेत नहीं दिखते हैं। शायद यह प्रौद्योगिकी की सीमाओं और इसमें शामिल मानव जीवन के बारे में अधिक ईमानदार बातचीत का समय है।
(पीटर ली, यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ)
********************************************
इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और चाणक्य फोरम के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। इस लेख में दी गई सभी जानकारी के लिए केवल लेखक जिम्मेदार हैं, जिसमें समयबद्धता, पूर्णता, सटीकता, उपयुक्तता या उसमें संदर्भित जानकारी की वैधता शामिल है। www.chanakyaforum.com इसके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।
हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें
सहयोग करें
POST COMMENTS (0)