ऐतिहासिक तौर पर कहा जा सकता है कि लड़ाकू विमानों का नामकरण ऐसी मशीनों के आने के बहुत बाद में किया गया। ब्रिटिश रॉयल फ्लाइंग कॉर्प्स (प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश की वायु सेना, रॉयल एयर फोर्स औपचारिक रूप से अप्रैल 1918 में अस्तित्व में आया) और बाद में रॉयल एयर फोर्स ने 1920 के दशक की शुरुआत तक इन मशीनों को ‘स्काउट्स’ का नाम दिया। बाद में ब्रिटेन ने उनको फाइटर नाम दिया। 1940 के दशक के अंत तक अमेरिकी सेना ने उन्हें ‘परसूट’ विमान के नाम से जाना और बाद में उनका नाम फाइटर्स कर दिया। वर्तमान में विभिन्न प्रकार की भूमिका निभाने के लिए डिज़ाइन किए गए लड़ाकू विमानों के कई वर्ग हैं। लड़ाकू विमानों का विकास 1940-1950 के दशक के मध्य में पहली पीढ़ी के सबसोनिक विमान से वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों तक हुआ है, जो इस सहस्राब्दी के बाद के दशकों में प्रचलन में है (भारत, फ्रांस, जर्मनी, जापान, रूस, यूके और यूएस सहित कुछ देशों द्वारा नवीनतम छठी पीढ़ी के फाइटर्स विमानों के निर्माण की घोषणा की गई है)। आज के आधुनिक फाइटर्स विमान एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर (एएसएफ)/मल्टी-रोल फाइटर्स (एमआरएफ) की श्रेणी में फिट होते हैं। JF-17 ‘थंडर’ ब्लॉक III और डसॉल्ट राफेल दोनों की तुलना इस लेख में की जा रही है, जो मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MRCA) की श्रेणी में आते हैं।
एमआरसीए क्या है?
MRCA को एक ऐसे लड़ाकू विमान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो कई भूमिकाओं को निभाने में सक्षम है जबकि पहले के लड़ाकू विमान सौंपे गये एक कार्य को करने में सक्षम थे। विभिन्न सौंपी गई भूमिकाएँ हवाई अवरोधन, शत्रु वायु रक्षा का दमन (SEAD), और क्लोज एयर सपोर्ट (CAS) की हो सकती हैं। MRCA एक ऐसा विमान है जिसमें हवा से हवा में युद्ध और जमीनी हमले की दो प्रमुख भूमिकाओं का संयोजन है।
डसॉल्ट राफेल और JF-17 ब्लॉक III की तुलना करने की क्या आवश्यकता है?
दक्षिण एशियाई क्षेत्र की जटिल सुरक्षा गणना करते समय भारत और पाकिस्तान को प्रमुख सैन्य शक्तियों के रूप में गिना जाता है। दोनों राष्ट्र ऐतिहासिक और आधुनिक भू-राजनीतिक वास्तविकताओं से प्रेरित भूमि, समुद्र और हवाई क्षेत्र में सैन्य वर्चस्व के लिए संघर्ष करते रहते हैं। दोनों राष्ट्रों ने सैन्य प्रौद्योगिकी को मात देने के लिए विश्व बाजार का रुख किया है, साथ ही अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्वदेशी कार्यक्रमों की शुरुआत भी की है। पश्चिमी रैडक्लिफ रेखा के दोनों ओर नवीनतम सैन्य अधिग्रहण इस तथ्य के प्रमाण हैं। हवाई क्षेत्र में, पाकिस्तान वायु सेना (PAF) ने जेएफ-17 ‘थंडर’ ब्लॉक III एमआरसीए को शामिल किया है, जबकि भारतीय वायु सेना (IAF) 36 डसॉल्ट राफेल एमआरसीए को शामिल करने की प्रक्रिया में है- ये दोनों राष्ट्रों के लिए अग्रिम पंक्ति के मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (बहु-भूमिका वाले लड़ाकू विमान) हैं जो इन राष्ट्रों के हवाई क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं।
वर्तमान अधिग्रहण प्रोफ़ाइल
फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित डसॉल्ट राफेल का हिंदी अर्थ ‘हवा का झोंका’ होता है। यह विमान 4.5 पीढ़ी का मध्यम MRCA (MMRCA) है, जो डबल इंजन, कैनार्ड और डेल्टा विंग्स से लैस है। इसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के मिशनों जिसमें अंतर्विरोध, हवाई टोही, CAS, डीप पेनीट्रेशन स्ट्राइक (DPS), जहाज-रोधी मिशन और परमाणु रोधी मिशनों को पूरा करना है। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांसीसी निर्माता को €7.8 बिलियन की लागत से 36 राफेल एमएमआरसीए (28 राफेल ईएच-सिंगल सीटर वर्जन और आईएएफ के लिए 8 डुअल सीटर वर्जन सहित) का ऑर्डर दिया था, जिसमें अनुबंध पूरा करने के बाद 18 और देने का विकल्प था। राफेल को भारत, मिस्र, कतर, ग्रीस और क्रोएशिया सहित कई देशों में निर्यात किया गया है और अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया पर युद्ध में इस्तेमाल किया गया है। वर्तमान में भारतीय वायुसेना में 26 विमान शामिल किए गए हैं जिनका संचालन 17 और 101 फाइटर स्क्वाड्रन द्वारा किया जा रहा है।
पाकिस्तान एयरोनॉटिकल कॉम्प्लेक्स (PAC), कामरा जॉइंट फाइटर (JF)-17 (‘थंडर’) चीनी चेंगदू एयरक्राफ्ट कंपनी (CAC) फाइटर-चाइना (FC) -1 Xiaolong (‘Fierce Dragon’) के बीच एक संयुक्त उद्यम का PAF संस्करण है। जेएफ-17 एयरफ्रेम का 58%, जिसमें इसके फ्रंट फ्यूजलेज, विंग्स और वर्टिकल स्टेबलाइजर शामिल हैं, का उत्पादन पाकिस्तान में किया जाता है, जबकि 42% का उत्पादन चीन में होता है, फाइनल असेंबली पाकिस्तान में की जाती है। अप्रैल 2017 तक, पीएसी ने पीएएफ के लिए 70 ब्लॉक1 विमान और 33 ब्लॉक II विमान का निर्माण किया था। इन विमानों का इस्तेमाल 2014 और 2017 में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा के पास उत्तरी वज़ीरिस्तान प्रांत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में किया गया था। इसके बाद, 26 JF-17B ब्लॉक II दोहरे सीटों वाले एयरक्राफ्ट को दिसंबर 2020 तक PAF को दिया गया था।
दिसंबर 2020 में, पीएसी ने बेहतर रडार और एवियोनिक्स, एक अधिक शक्तिशाली इंजन, इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ईसीएम) और उन्नत हथियार क्षमताओं के साथ विमान के अधिक उन्नत ब्लॉक III संस्करण का सीरियल उत्पादन शुरू किया। ब्लॉक- III संस्करण 4.5 (4+) पीढ़ी का लाइट MRCA से लैस, एक इंजन युक्त इंटरसेप्शन, ग्राउंड अटैक, एंटी-शिप और हवाई टोही सहित विभिन्न मिशनों के लिए है। इनमें से प्रति वर्ष 12 विमानों की दर से 50 विमान 2024 तक पाकिस्तान एयर फोर्स को दिये जाने हैं। इसकी शुरुआत 2021 के अंत में या 2022 के प्रारंभ से होनी है। इस वर्ष तक जेएफ-17 के पुराने संस्करण जैकोबाबाद, मियांवाली, कामरा, मुशफ, पेशावर, रफीकी और क्वेटा के सात फाइटर स्क्वाड्रनों में संचालित हैं।
तुलना
उपरोक्त एयरक्राफ्टों के बीच क्षमताओं की समग्र तुलना में उत्पादन, वैमानिकी डिजाइन, एवियोनिक्स, हथियार प्रणाली और गुप्त/उत्तरजीविता सुविधाओं सहित कई कारक शामिल होंगे, जैसा कि नीचे बताया गया है: –
पीढ़ी (जेनरेशन): जैसा कि बताया गया है, राफेल और जेएफ -17 ब्लॉक III दोनों 4.5/4+ पीढ़ी के विमान हैं। यह नामकरण चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को बताता है जिन्हें सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए एरे (एईएसए) रडार, उच्च क्षमता वाले डेटा-लिंक, उन्नत एवियोनिक्स और वर्तमान में प्रचलित आधुनिक हथियारों को तैनात करने की क्षमता के साथ उन्नत किया गया है। ये विमान ट्रू स्टील्थ टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में थोड़े कम हैं, जो कि 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का एक पहलू है। हालाँकि, गौरतलब है कि ये पीढ़ियाँ (विभाजन) निर्विवाद, औपचारिक या सार्वभौमिक रूप से सहमत योग्य नहीं हैं और अक्सर एक दूसरे का आभास हो सकता है। ये डिवीजन फाइटर विमानों के विकास योजनाओं पर क्षमताओं में व्यापक रूप से स्वीकृत अंतर का बेहतर तरीका है।
वैमानिकी डिजाइन: डसॉल्ट राफेल का अधिकतम टेक-ऑफ वजन, टेक-ऑफ के लिए अधिक लिफ्ट की आवश्यकता को इंगित करेगा और इसलिए अधिक ग्राउंड स्पीड/रनवे की लंबाई की आवश्यकता होगी। यह राफेल के लिए हथियारों और ईंधन ड्रॉप टैंक की बड़ी पेलोड ले जाने की क्षमता में भी तब्दील हो जाएगा। जेएफ-17 की तुलना में राफेल की चढ़ाई की दर भी बेहतर है, जो क्लोज कपल्ड कैनार्ड डेल्टा विंग (सीसीसीडी) डिजाइन, टेक-ऑफ/लैंडिंग दूरी को कम करने में सहायता करेगा। यह पहाड़ी इलाकों में हवाई क्षेत्रों से संचालन के लिए अनुकूल और जहाज-आधारित संचालन के लिए आवश्यक है। सुपर-क्रूज क्षमता, अधिक ईंधन-वहन क्षमता और राफेल की अधिक लड़ाकू रेंज डीपीएस युद्धाभ्यास में सहायता करेगी, जिस उद्देश्य के लिए विमान है।
जेएफ-17 की थोड़ी अधिक गति और उच्च सेवा सीमा इसे एडवांटेज प्रदान करेगी। हालांकि, राफेल का बेहतर लोडेड थ्रस्ट-टू-वेट अनुपात हवाई युद्धाभ्यास के लिए बाद में अधिक शक्ति प्रदान करेगा। राफेल के सीसीसीडी डिजाइन द्वारा इसे और बढ़ाया गया है, जो गुरुत्वाकर्षण के परिवर्तनशील केंद्र और हमले के उच्च कोणों पर भी उच्च चपलता के कारण अधिक गतिशीलता प्रदान करता है। यह एक ऐसा पहलू है जिसमें जेएफ-17 अपने कमजोर वजन अनुपात और ‘क्रॉप्ड डेल्टा-विंग’ डिजाइन के कारण पस्त हो जाएगा। राफेल की तात्कालिक टर्न रेट (ITR) 36º/सेकंड से अधिक होने की जानकारी है, जबकि JF-17 ब्लॉक III की लगभग 24º/सेकंड होने की उम्मीद है, इस प्रकार राफेल को एक सख्त टर्न रेडियस और एक तेज दर की सुविधा है, जो क्लोज हवा से हवा में युद्ध की स्थितियों में सफलता के लिए आवश्यक कारक है। राफेल की जेएफ-17 की तुलना में अधिक निरंतर टर्न रेट और अधिक जी-लिमिट क्षमता है, जिससे उसे डॉगफाइट/इवेसिव पैंतरेबाज़ी की स्थिति में लाभ मिलता है।
रडार और एवियोनिक्स: राफेल के थेल्स आरबीई 2एए एईएसए में जेएफ-17 ब्लॉक III पर चीनी केएलजे 7ए एईएसए रडार की तुलना में प्रतिकूल इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) वातावरण में अधिक रेंज और लक्ष्य ट्रैक/हासिल करने की क्षमता है। काफी छोटे आरसीएस के साथ राफेल को बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल क्षमता के इष्टतम उपयोग की सुविधा होगी। थेल्स एईएसए तराई वाले क्षेत्रों की सही समय पर 3डी मैप उपलबंध कराता है जो (प्रतिस्पर्धी वातावरण में बढ़ी हुई उत्तरजीविता की पेशकश के साथ) लक्ष्यीकरण की सुविधा पर्दान करता है। जेएफ -17 के लिए एक और नुकसान यह है कि इसका एईएसए रडार एयर-कूल्ड है, जो क्रायो-कूल्ड थेल्स एईएसए रडार की तुलना में काफी कम दक्षता (विफलता के बीच का कम औसत समय) प्रदान करता है। दो विमानों के कॉकपिट एवियोनिक्स और आईआरएसटी तुलनीय हैं। हालांकि, राफेल को वॉयस-नियंत्रित कॉकपिट कमांड का एक बड़ा फायदा है, जिससे पायलट की थकान कम होती है और तेजी से कार्यान्वयन होता है।
अस्त्र– शस्त्र: राफेल पर अधिक से अधिक हार्ड पॉइंट का मतलब होगा अधिक हथियार ले जाने की क्षमता। अतिरिक्त हार्ड पॉइंट भी बिना किसी तरह का समझौता किए ईंधन ड्रॉप टैंक को समायोजित कर सकते हैं। JF-17 ब्लॉक III पर BVR AAM की अधिक से अधिक बताई गई रेंज इसके छोटे रडार डिटेक्शन रेंज के कारण बाद के महत्वपूर्ण BVR लाभ नहीं प्रदान कर सकते, जो मिसाइल की अधिकतम दायरे के भीतर हैं। इसके अतिरिक्त, PL-15 एक Meteor की तुलना में बड़ी और भारी मिसाइल है: परिणामस्वरूप Meteor टाइट मोड़ में सक्षम होगी और इसलिए पीएल -15 की तुलना में शत्रु के उच्च गति वाले लड़ाकू विमानों को भेदने के लिए बेहतर और अनुकूल होने की संभावना है। जेएफ-17 बनाम राफेल एईएसए रडार (4 बनाम 8 लक्ष्य) की कम लक्ष्य जुड़ाव क्षमता और कम संख्या में हार्डपॉइंट राफेल के पक्ष में ‘1 पर 1’ घातक क्षमता में तब्दील हो जाएंगे। राफेल SCALP (स्टॉर्म शैडो) और ब्रह्मोस-एनजी एयर टू सरफेस मिसाइलों को भी एकीकृत करेगा (जिसे चाणक्य फोरम https://chanakyaforum.com/brahmos-cruise-missile-indias-contender-in-the- supersonic-vector-race/ पर लिखे गये पहले के एक लेख में कवर किया गया है। जो इसे घातक जमीनी हमले की क्षमता प्रदान करता है।
गुप्त और उत्तरजीविता
राफेल एयरफ्रेम में रडार शोषक सामग्री कोटिंग के साथ लगभग 70% मिश्रित सामग्री है। एयरफ्रेम को सीरेटेड पैटर्न के साथ ट्रेलिंग विंग/कैनार्ड किनारों, छुपे टर्बाइन ब्लेड और एयर-इनटेक की तरह सर्पेन्टाइन के साथ डिज़ाइन किया गया है। यह जेएफ-17 ब्लॉक III की तुलना में विमान के आरसीएस को काफी कम कर देता है, जिसके पहले के वेरिएंट में ऑल-मेटल बॉडी होती है, ब्लॉक-III वेरिएंट में भी तुलनात्मक रूप से कम मिश्रित/रडार शोषक सामग्री तत्व होने की संभावना होती है।
JF-17 ब्लॉक III में भी बचे रहने की कई विशेषताएं होने की संभावना है, जैसा कि उल्लेख किया गया है, राफेल में दुनिया को परास्त करनेवाले, पूरी तरह से एकीकृत, मल्टी-फंक्शन ‘स्पेक्ट्रा’ ईडब्ल्यू सिस्टम है। स्पेक्ट्रा शत्रु के रडार, मिसाइल और लेजर के खिलाफ मल्टी-स्पेक्ट्रल खतरे की चेतावनी देने की क्षमता प्रदान करता है। इससे यह लंबी दूरी की पहचान, खतरों की पहचान और स्थानीयकरण करता है, जिससे पायलट को तुरंत रडार जैमिंग के संयोजन आई/रडार डिकॉयर या युद्धाभ्यास- इन सभी का उद्देश्य होता है बेजोड़ स्थितिजन्य जागरूकता/उत्तरजीविता प्रदान करना जिसके आधार पर सबसे प्रभावी रक्षात्मक उपायों का चयन करने की सुविधा मिलती है। स्पेक्ट्रा उपयोगकर्ता देश के लिए विशिष्ट खतरे प्रोफ़ाइल के अनुकूलन और नियमित रूप से अद्यतन करने की भी अनुमति है, इस प्रकार ‘टेलर मेड सर्वाइबिलिटी’ की सुविधा है। राफेल में बेहतर मल्टी-सेंसर डेटा फ्यूजन क्षमता भी है, जो सेंसर, एईएसए रडार और स्पेक्ट्रा से इनपुट को एकीकृत करता है। राफेल एक टॉव्ड मिसाइल डिकॉय भी तैनात कर सकता है, जो विमान के प्रोफाइल की नकल करने में सक्षम है और इस तरह रडार सीकर वॉरहेड्स के साथ JF-17 की मिसाइलों से खतरे को कम करता है।
स्पेक्ट्रा ईडब्ल्यू सूट: Source-thalesgroup.com
निष्कर्ष
इस आलेख में की गई तुलनाओं की समग्र व्याख्या से यह संकेत मिलता है कि डिजाइन, एवियोनिक्स, घातक क्षमता और गुप्त/उत्तरजीविता के पहलुओं में जेएफ -17 ब्लॉक III की तुलना में डसॉल्ट राफेल एक बेहतर एमआरसीए है। यदि दोनों वायु सेनाओं में समान संख्या में इन विमानों को शामिल किया गया तो यह भारतीय वायु सेना को पीएएफ पर एक निश्चित बढ़त प्रदान करेगा। हालांकि, जेएफ-17 ब्लॉक III की काफी कम लागत होने के कारण पाकिस्तान की ओर से 50 विमानों के वर्तमान अनुबंध से अधिक संख्या में अधिग्रहण किये जाने की संभावना है। यदि दोनों देशों में इन फाइटरों की संख्या में अधिक अंतर हुआ तो पीएएफ को ‘मात्रात्मक’ बढ़त मिलने की संभावना है। इसी तर्क के आधार पर भारत में भी विकास/अधिग्रहण अनुबंधों की संभावना है। इसमें राफेल का समुद्री संस्करण उन्नत राफेल एफ 4 एमआरसीए का अधिग्रहण, जिसमें उन्नत स्टील्थ और ईडब्ल्यू सुविधाएं हो। साथ ही 5 वीं पीढ़ी के फाइटर एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के त्वरित विकास की संभावता है, जिसके बारे में @ चाणक्य फोरम के पहले के लेख https://chanakyaforum.com/lca-tejas-ready-to-touch-the-skies-with-glory/ में बताया गया है।
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