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तिब्बत का महत्व

क्लाउड अर्पी
रवि, 12 सितम्बर 2021   |   6 मिनट में पढ़ें

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य इन दिनों तिब्बत के प्रति इतने आकर्षित क्यों हैं? पिछले दो माह के दौरान, पोलित ब्यूरो के पच्चीस सदस्यों में से दस ने विश्व के इस शिखर की यात्रा की।
एक पार्टी सचिव को हमेशा याद किया जाता रहा है, जिन्होंने बाद में चीनी राष्ट्रपति (और सीपीसी के महासचिव) का पद संभाला, वे तिब्बत में अपनी तीन वर्ष की तैनाती के दौरान ल्हासा जाने से बचने की पूरी कोशिश करते रहे; युहा हू जिंताओ को यह स्थान पसंद नहीं था। उन्होंने एक बार किसी पत्रकार से कहा था कि वह “तिब्बत की ऊंचाई, जलवायु और वहां की संस्कृति को नापसंद करते हैं”।
● अपने कार्यकाल के दौरान, वे ल्हासा और बीजिंग के बीच ही रहे , जहां वास्तविक शक्ति थी। तिब्बती कार्यकर्ताओं के बीच हू के संबंध में एक मजाक आम प्रचलित था: पूछा जाता था कि ‘हू कहां है?’ जवाब था: ‘हू बीजिंग अस्पताल में है।’ हर बार जब उन्हें बीजिंग छोड़ने के लिए कहा जाता था तो वह प्राय बीमार होने की सूचना दे देते थे।
यह लगभग तीस वर्ष पूर्व की बात है।
आज ‘महत्वपूर्ण’ पदों पर तैनात होने पर तिब्बत जाना अनिवार्य है।

शी जिनपिंग द्वारा निंगची और ल्हासा यात्रा
स्वयं ‘सम्राट’, ‘कोर लीडर’, शी जिनपिंग ने 21 से 23 जुलाई के बीच मध्य एवं दक्षिणी तिब्बत का ‘निरीक्षण दौरा’ किया। दस वर्ष के अंतराल के पश्चात ल्हासा की यह उनकी पहली यात्रा थी, यद्यपि उन्होंने जून में पूर्वोत्तर प्रांत अमदो (आज किंघई) का दौरा किया था।
इस दौरे में महासचिव (समवर्ती रूप से शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत) के साथ पोलित ब्यूरो के पांच सदस्य शामिल थे।
शी के प्रतिनिधिमंडल को देखना दिलचस्प है। प्रतिनिधिमंडल की संरचना ‘निरीक्षण दौरे’ के उद्देश्य का एक स्पष्ट संकेत है, विशेष रूप से एक ऐसी प्रणाली में जहां जानकारी की निगरानी पूरी तरह से राज्य द्वारा की जाती है और इसे देखने वालों को इसके संकेतों को समझने के लिए छोड़ दिया जाता है।
सीपीसी के महासचिव और पार्टी सचिवालय के सचिव डिंग ज़ुएक्सियांग; प्राय शी की यात्राओं/निरीक्षण दौरों में उनके साथ होते हैं। उनकी भूमिका निर्णयों को लागू करवाना और एक ठोस अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
शी के दौरों में नियमित रूप से दिखायी दिये जाने वाले, उप-प्रधानमंत्री और पोलित ब्यूरो के सदस्य लियू हे भी हैं। लियू केंद्रीय वित्तीय और आर्थिक मामलों के आयोग के कार्यालय में निदेशक के रूप में कार्यरत है। लियू ही शी के विश्वसनीय लेफ्टिनेंट हैं। अनेक बार चीन और अमेरिका के मध्य ‘ दृष्टिकोण’ की खाई को पार करने के लिए भी इनका उपयोग किया गया है। वह यात्रा के वित्तीय पक्षों का ध्यान भी रखते है।
यांग शियाओडु राष्ट्रीय पर्यवेक्षी आयोग के निदेशक तथा केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) के उप सचिव भी हैं जो पार्टी लाइन का अनुपालन सुनिश्चित करते हैं। आगामी कुछ महीनों में हमें ज्ञात हो जायेगा कि कितने व्यक्ति इस शीर्ष से नीचे आते हैं। यदि ऐसा होता है तो इस सब के पीछे अवश्य यांग का हाथ होने की संभावना है ।
संयोग से, अपने प्रारंभिक राजनीतिक जीवन के दौरान, यांग ने तिब्बत में कई वर्षों तक, उपायुक्त (1986-1992,), नाग्चू प्रान्त; 1992-1995, उप सचिव, चमडो, 1998-2001, उपाध्यक्ष, टीएआर सरकार); के रूप में सेवा की। यांग तिब्बत से भली भाँति परिचित हैं, उन्होंने वहाँ पंद्रह वर्ष तक सेवा प्रदान की है।
हमने पोलित ब्यूरो सदस्य और पुराने तिब्बत सहयोगी की अनुपस्थिति को नोट किया। हू चुनहुआ; वाइस प्रीमियर यात्रा के लिए बोर्ड पर नहीं थे। उन्होंने १९८३ से २००७ तक तिब्बत में सेवा की थी और पोलित ब्यूरो के एकमात्र सदस्य हैं जो धाराप्रवाह तिब्बती बोल सकते हैं। शायद सम्राट को किसी की छाया में रहना पसंद नहीं है।
पोलित ब्यूरो के सदस्य और संगठन विभाग के प्रमुख चेन शी , शी जिनपिंग के समान ही हैं जो सिंघुआ विश्वविद्यालय से स्नातक हैं (वे तब से एक-दूसरे से परिचित हैं)। चेन सेंट्रल पार्टी स्कूल के अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री और चाइना एसोसिएशन फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के उपाध्यक्ष हैं। शी स्पष्ट रूप से … भारत के साथ सीमाओं पर नवीनता लाना चाहते हैं।
केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष, पोलित ब्यूरो के सदस्य जनरल झांग यूक्सिया की उपस्थिति को सीएमसी अध्यक्ष (शी) और तिब्बत सैन्य जिले (टीएमडी) के सभी अधिकारियों की ‘महत्वपूर्ण’ बैठक में विस्तार से समझाया गया है। इसमे पश्चिमी थिएटर कमांड अथवा डब्ल्यूटीसी (चेंगदू में स्थित) के कमांडर एवं राजनीतिक कमिसार सहित, एक नये कमांडर जनरल जू किलिंग भी मौजूद थे। ये तिब्बत की देख रेख करते थे, साथ ही वह लद्दाख को भी देखते थे (संयोग से तभी जनरल जू किलिंग ने अपनी नौकरी खो दी थी, परंतु इस पर हम वापस आएंगे।
सीएमसी अध्यक्ष को थिएटर कमांड के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात के दौरान भारतीय सीमाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई थी ।
पोलित ब्यूरो के छह सदस्यों की इस सूची में, हमारे योजना आयोग के समकक्ष राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) के प्रभारी मंत्री हे लिफेंग को शामिल किया जाना और उनकी उपस्थिति का अभिप्राय है कि ल्हासा और चेंगदू के मध्य रेलवे लाइन और यारलुंग त्सांगपो पर गीगा जलविद्युत संयंत्रों सहित अन्य अनेक बड़ी परियोजनाएं जल्द ही प्रारंभ हो पाएंगी। शी को इन परियोजनाओं के निहितार्थ के संबंध में निजी रूप से अवगत करवाया गया, विशेष रूप से उस शक्तिशाली नदी के संबंध में जो भारत में जाकर सियांग और ब्रह्मपुत्र का रूप ले लेती है ।
पीपुल्स डेली ने दौरे के उद्देश्यों को पुन दोहराया। “नए युग में तिब्बत पर शासन के लिए पार्टी की रणनीति को लागू करें तथा बर्फ से ढके उच्च गुणवत्ता वाले पठार की अधिक स्थिरता एवं विकास का एक नया अध्याय लिखें। अगस्त २०२० में आयोजित ७वें वर्क फोरम में उन्होंने आगामी पांच वर्षों में तिब्बत के लिए विकास नीतियों और विशेष रूप से तिब्बती बौद्ध धर्म को परिभाषित किया।

परंतु निस्संदेह, भारत के साथ सीमाओं पर सैन्य बल एवं आर्थिक विकास पर अधिक बल दिया गया। इसका एक उद्धारण: कुछ मास पूर्व तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक रिपोर्ट में, ‘सीमा’ शब्द का उल्लेख 54 बार किया गया , जबकि ‘दलाई लामा’ का केवल एक बार उल्लेख किया गया था।
शी जिनपिंग अच्छे परिणामों के लिए सीमा के संगठन को परिवर्तित करना चाहते हैं; देखेंगे कैसे।
तिब्बत में वांग यांग की यात्रा
इतना ही नहीं,19 अगस्त को, पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य और चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी)की राष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष वांग यांग के नेतृत्व में एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ल्हासा में 70 वीं वर्षगांठ समारोह में भाग लेने के लिए पहुंचा। वांग कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष व्यक्तियों में चौथे स्थान पर है।
यह पूछा जाने पर की जब जुलाई में मुख्य नेता’ शी जिनपिंग तिब्बत गए थे तब आज़ादी का जश्न क्यों नही मनाया गया तो वांग ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया ।
वांग को शी जिनपिंग द्वारा “तिब्बत में वरिष्ठ तिब्बती अधिकारियों के साथ बीजिंग के अधिकारियों का भी नेतृत्व” करने का कार्य भार दिया गया है ! आने वाले वीवीआईपी द्वारा पुराने तिब्बती सहयोगियों के एक दल को सम्मानित भी किया गया।
वांग यांग के साथ सीएमसी सदस्य एडमिरल मियाओ हुआ भी मौजूद थे, जो वर्तमान सीएमसी के कार्यकाल की समाप्ति पर बचे रहने वाले एकमात्र वर्दीधारी सदस्य थे। तिब्बत में किसी थ्री-स्टार एडमिरल की यह पहली यात्रा थी।
क्या वांग और मियाओ को इस बात की जानकारी थी कि, शी नौ महीने में तीसरी बार पश्चिमी थिएटर कमांड के कमांडर को कुछ समय पश्चात् बदल देंगे और ज़ू किलिंग, जो कुछ सप्ताह पूर्व ही शी से मिले थे, उनके स्थान पर जनरल वांग हाइजियांग को ले लिया जाएगा शायद उन्हे यह जानकारी नहीं थी।
इस यात्रा को सीपीसी की 100वीं वर्षगांठ और तथाकथित तिब्बत मुक्ति की 70वीं वर्षगांठ के संदर्भ में भी देखा जा सकता है (पढ़ें ‘आक्रमण’)।
तीन और महत्वपूर्ण दौरे
ग्वांगडोंग के पार्टी सचिव ली शी और उसी समृद्ध प्रांत के गवर्नर मा जिंगरुई ने 2 से 4 सितम्बर तक ल्हासा और निंगची का दौरा किया। यह दौरा”महासचिव शी जिनपिंग के निरीक्षण दौरे के महत्वपूर्ण भाषणों और निर्देशों का गंभीरता से अध्ययन और कार्यान्वयन करने के लिए तथा केंद्रीय कार्य सम्मेलन की भावना को लागू करने के लिए किया गया।
ग्वांगडोंग तिब्बत को आर्थिक सहायता प्रदान करता रहा है, जिसे दशकों से आधुनिकीकरण से दूर, पिछड़ा हुआ माना जाता रहा था। अस्थिर प्रांत तथा भारत के साथ सीमा के महत्व ने यह सब परिवर्तित कर दिया है।
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि काई क्यूई, पोलित ब्यूरो के सदस्य और बीजिंग पार्टी सचिव द्वारा प्रतिपक्ष समर्थन कार्य पर शोध करने के लिए 5 से 6 सितंबर तक दौरा किया और बीजिंग और तिब्बत के बीच परस्पर आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तिब्बत में एक बीजिंग प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
प्रतिनिधिमंडल “तिब्बत के निरीक्षण पर महासचिव शी जिनपिंग के महत्वपूर्ण भाषण और तिब्बती कार्य और समकक्ष समर्थन कार्य पर महत्वपूर्ण निर्देशों की श्रृंखला के महत्वपूर्ण निर्देशों को तथा साथ ही केंद्रीय जातीय कार्य सम्मेलन की भावना को लागू करना चाहता था।
अंत में, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के उपाध्यक्ष वांग चेन इस क्षेत्र में “चीनी राष्ट्रीय समुदाय के प्रति एक दृढ़ भावना तथा दीर्घकालिक स्थिरता के लिए प्रचार और बर्फीले पठार का विकास सुनिश्चित करने के लिए 5 से 8 सितंबर तक तिब्बत में थे।
पोलित ब्यूरो के सदस्यों (दो अन्य सीएमसी सदस्यो के साथ) के दस दौरे अतीत में कभी नहीं देखे गए।

जातीय कार्य
तिब्बत में इस नई रुचि का अभिप्राय इन दो शब्दों में स्पष्ट हैं: जातीय कार्य।
इस शब्द का शाब्दिक अर्थ अशुभ है। इसका व्यावहारिक अर्थ है विश्व के शिखर पर गुनाह’, जिसमें भारतीय सीमा पर नए ‘मिश्रित’ गांवों का निर्माण, पीएलए में बड़ी संख्या में तिब्बतियों की भर्ती, और तिब्बती बौद्ध धर्म में चीनी विशेषताएं जोड़ना शामिल है। 1 सितंबर को, सिन्हुआ ने बताया कि सेंट्रल पार्टी स्कूल द्वारा युवा और मध्यम आयु वर्ग के कैडरों के लिए अन्य दिशा में प्रशिक्षण कक्षाएं प्रारम्भ की थी। इसमें शी द्वारा भी भाग लिया गया । उन्होंने एक ‘महत्वपूर्ण’ भाषण दिया (उनके भाषण हमेशा ‘महत्वपूर्ण’ होते हैं)।

शी ने सिफारिश की कि वर्तमान परिस्थितियों में कार्यकर्ताओं के भीतर लड़ाई की एक भावना होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में दुनिया में तेज़ गति से अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहे हैं और वर्तमान में चीनी राष्ट्र का पुनयोजन एक जटिल अवधि में है। सीसीपी के जोखिम और चुनौतियाँ में अत्यधिक वृद्धि हुई है। बिना किसी संघर्ष के हमेशा शांतिपूर्ण वातावरण में रहने का सपना देखना अव्यावहारिक है।

उन्होंने युवा कार्यकर्ताओं को सलाह दी, कि लड़ने की हिम्मत करो कम्युनिस्टों के पास हर समय मजबूती और साहस होना चाहिए ताकि वे किसी से न डरें और किसी के सामने न झुकें।

यह सब भारत की उत्तरी सीमाओं के लिए काफी अशुभ संकेत है।

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लेखक
क्लाउड अर्पी फ्रांसीसी मूल के लेखक, पत्रकार, इतिहासकार और तिब्बत विशेषज्ञ हैं। वह भारत-तिब्बत संबंध (1947-1962) 4 खंडों में और द फेट ऑफ तिब्बत: व्हेन बिग इंसेक्ट्स ईट स्मॉल इंसेक्ट्स सहित कई पुस्तकों के लेखक हैं। उन्होंने तिब्बत, चीन, भारत और भारत-फ्रांस संबंधों पर कई लेख लिखे हैं। वह ऑरोविले में तिब्बती संस्कृति के पवेलियन के निदेशक हैं।

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