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चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में गुटबाजी शीर्ष पर

विक्रम सूद और शांतनु रॉय-चौधरी
शुक्र, 07 जनवरी 2022   |   4 मिनट में पढ़ें

चीन पर अध्ययन करने वालों के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) एक ऐसे संगठन के रूप में सामने आती है, जो ऊपर से तो एकजुट दिखायी देती है, लेकिन अंदर से गुटों में विभक्त है। सीसीपी का यह संयुक्त मोर्चा सावधानीपूर्वक तैयार की गई एक ऐसी छवि है जिसे सीसीपी दुनिया को और अपने देशवासियों को दिखाना चाहती है। हालांकि, जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। सीसीपी में कई “गुट” मौजूद हैं, जो अनौपचारिक राजनीति और रिश्तों की डोर से बंधे हैं, और चीन की राजनीति पर हावी हैं।

वर्तमान में सीसीपी की राजनीति में दो गुट हावी हैं। एक है सीसीपी के महासचिव व राष्ट्रपति, शी जिनपिंग और दूसरा है चीन के पूर्व नेता जियांग जेमिन और उनके डिप्टी ज़ेंग किंगहोंग के नेतृत्व वाला समूह, जिनको अक्सर “शंघाई गैंग” कहा जाता है। पार्टी में जियांग गुट का पर्याप्त प्रभाव है, जो शी जिनपिंग के पुन: चुनाव में आने वाली मुख्य बाधाओं में से एक हो सकता है। वर्ष 2022 में होने वाली राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस में सीसीपी के महासचिव के रूप में शी जिनपिंग तीसरे कार्यकाल का सपना संजोये हुए हैं।

अन्य देशों में राजनीतिक अंदरूनी कलह अक्सर सार्वजनिक तौर पर उजागर होती रहती है लेकिन चीन में समूहों के बीच संघर्ष अंदरूनी और बंद कमरे में होता है, जो अक्सर राजनीति से दूर लगते हैं और जिनका आसानी से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। पार्टी में गुटबाजी को निर्धारित करने के लिए शी जिनपिंग के वे निर्णय ही आधार हैं जिनके जरिये वे अपने राजनीतिक विरोधियों का शिकार करते हैं। शी जिनपिंग अपने राजनीतिक विरोधियों पर नकेल कसने के प्रयास स्वरूप कई कदम उठाते हैं। यदि वह अपने प्रयासों में सफल होते हैं तो जाहिर है कि उनकी सफलता का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।

मनोरंजन उद्योग

उद्योगों का सीसीपी के पदाधिकारियों, उद्योगपतियों और राजनीतिक गुटों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, और इसके परिणामस्वरूप, विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों से उनका गहरा नाता है। यहीं कारण है कि वे राजनीतिक गुटबाजी के मंच पर भी सक्रिय रहते हैं। हाल ही में मशहूर हस्तियों पर कर जांच बिठायी गयी थी और उनको ऑनलाइन स्ट्रीमिंग से प्रतिबंधित किया गया। साथ ही प्रतिभा एजेंसियों को भी बंद कर दिया गया। देश की मीडिया ने उसे उद्योग का ‘सुधार’ करार दिया जबकि शी प्रशासन ने “शंघाई गिरोह” को साफ करने के उद्देश्य से ऐसा किया है।

सत्ता के संघर्ष व गुटबाजी के बीच पिसने का एक उदाहरण है चीन की सबसे प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में से एक झाओ वेई, जिनको अचानक ऑनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बिना किसी स्पष्टीकरण के हटा दिया गय़ा। ऐसा माना जाता है कि वह अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा की करीबी हैं, जो शंघाई गैंग के करीब माने जाते हैं।

उद्योग को शुद्ध करने की कार्रवाई के जरिये शी की ओर से व्यापक चेतावनी दी गयी जो उनके अधिकार और नियंत्रण को दर्शाता है। यह कार्रवाई दर्शाती है कि शी जिनपिंग नियंत्रण कर पाने में सफल रहे हैं, साथ ही उन्हें आंतरिक विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है।

तीसरा ऐतिहासिक संकल्प

नवंबर में आयोजित सीसीपी के छठवें महाधिवेशन, में तीसरा ऐतिहासिक संकल्प प्रकाशित किया गया,  जिसने शी के शासन को जारी रखने का मार्ग प्रशस्त किया, और पार्टी के सदस्यों से कहा कि वे शी जिनपिंग का समर्थन करें। यह साबित करता है कि पार्टी के अंदर उनका विरोध करने वाले भी थे।

संकल्प के लिए जारी विज्ञप्ति में एक अपेक्षाकृत लंबा पैराग्राफ शी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों जियांग जेमिन और हू जिंताओ की नीतियों के लिए समर्पित किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उनके अनुयायियों को रियायत दी जा सकती है, जिनमें से कई अभी भी वरिष्ठ पदों पर हैं। यह इस बात को भी दर्शाता है कि नौ साल तक शासन में रहने और अपने राजनीतिक विरोधियों को दरकिनार करने के लिए व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाने के बावजूद, शी अपने असंतुष्ट शंघाई गैंग और अन्य अभिजात्य वर्ग के प्रभाव को खत्म करने में असमर्थ रहे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि प्रस्ताव के प्रकाशन में भी देरी हुई जो महाधिवेशन में पार्टी के संदेशों पर भी पार्टी में विभाजन की ओर संकेत करता है।

पेंग शुआई कांड

एक प्रसिद्ध चीनी महिला टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई ने सार्वजनिक रूप से चीनी सोशल मीडिया पर एक लंबी पोस्ट में खुलासा किया कि चीन के सर्वोच्च निर्णय लेने वाली पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के पूर्व सदस्य और राज्य काउंसिल के वाइस प्रीमियर झांग गाओली ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। पेंग का जीवन अत्यंत चिंता का विषय है और दुनिया भर से इस संदर्भ में जवाब मांगे जा रहे हैं जबकि राजनीतिक टिप्पणीकारों ने इस घटना के समय पर सवाल उठाये हैं।

सीसीपी के छठवें महाधिवेशन शुरू होने के कुछ दिन पहले ही यह कांड सामने आया था। माना जाता है कि झांग गाओली जियांग के गुट से संबंधित हैं और जियांग के करीबी विश्वासपात्र हुआंग लिमन से उनके करीबी संबंध हैं। टिप्पणीकारों का मानना है कि यह विश्वास करना संभव है कि इस रहस्योद्घाटन का समय महाधिवेशन से पहले सीसीपी के भीतर शंघाई गैंग की स्थिति को बदनाम करने के लिए ऐसा किया गया था। इसके बाद, झांग गाओली की वरिष्ठता का मतलब था कि उन्होंने दूसरों को भी पदोन्नत किया, जिसका अर्थ है कि अधिकारियों का एक व्यापक समूह उनके संभावित पतन से प्रभावित हो सकता है और इससे शी को बढ़त हासिल होती है।

इसके अलावा, वीबो पर पेंग की पोस्ट को 20 मिनट तक सेंसर नहीं किया गया। चीन में सोशल मीडिया बहुत ही अधिक नियमित है, जहां सेवारत और सेवानिवृत्त दोनों तरह के नेताओं के बारे में पोस्ट की अत्यधिक निगरानी की जाती है, और आवश्यकता पड़ने पर सेंसर किया जाता है। इसलिए, 20 मिनट के लिए पोस्ट को छोड़ना, सूचना को प्रसारित करने के लिए एक समन्वित प्रयास का हिस्सा हो सकता है। शी ने संभवतः वैश्विक प्रतिक्रिया और इससे उत्पन्न प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की होगी।

हालांकि अबी तक यह जानकारी नहीं मिल सकी है कि अंदरूनी कलह और गुटबाजी किस हद तक शी के शीर्ष स्थान को प्रभावित करती है। जब तक शी जिनपिंग क्षमता के शीर्ष पर हैं, सीसीपी के भीतर मतभेद हैं, और उन्हें आंतरिक विरोध का सामना करना होगा।

शी जिनपिंग का शीतकालीन ओलंपिक का खेल 20 फरवरी को समाप्त होगा, और उसके बाद राजनीति का असली खेल शुरू होगा।

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लेखक
विक्रम सूद एक पेशेवर खुफिया अधिकारी थे और उन्होंने भारत की वाह्य खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) में सेवाएं दी हैं। उन्होंने संगठन का नेतृत्व किया और मार्च 2003 में सेवानिवृत्त हुए। वे नियमित रूप से पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में खुफिया, आतंकवाद, सुरक्षा, विदेशी संबंधों और रणनीतिक मुद्दों पर लिखते रहे हैं। वह ‘The Unending Game – A former R&AW Chief’s Insights into Espionage’ और ‘The Ultimate Goal – A Former R&AW Chief Deconstructs How Nations Construct Narratives’ के लेखक हैं।... शांतनु रॉय-चौधरी, गुरुग्राम स्थित शोधार्थी हैं।

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POST COMMENTS (1)

bhuvneshwari

जनवरी 07, 2022
excellent information.. thank you... 🙏

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