स्रोत: YouTube
बोस्निया-हर्जेगोविना, कोसोवो, अफगानिस्तान और लीबिया ने सटीक हथियारों के घातक प्रभाव को देखा, जहां नाटो ने इन प्रोजेक्टाइल का इस्तेमाल तबाही के लिए किया था। आधुनिक युद्धक्षेत्र में ये लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने वाले हथियार सही मायनों में सेना की शक्ति को कई गुना बढ़ाने वाले हैं। युद्ध के दौरान अनुचित रूप से संपार्श्विक क्षति के खिलाफ विश्व भर में उठने वाली आवाज के बढ़ते दबाव ने प्रीसिसन गाइडेड मुनिशन (पीजीएम) के विकास और उसके उपयोग के प्रति प्रेरित किया है। पीजीएम के उपयोग के साथ मार अनुपात में सुधार और संपार्श्विक क्षति में कमी आई है, फलस्वरूप दुनिया भर में इनके उपयोग से अभूतपूर्व लाभ हासिल हुआ है -बोस्निया-र्जेगोविना युद्ध के दौरान ऑपरेशन डेलिब्रेट फोर्स को अत्यधिक हिट आंकड़े देखने को मिले (लगभग 700 पीजीएम फायर किये गये और लगभग 400 बोस्नियाई सर्ब लक्ष्यों को नष्ट कर दिया गया)।
पीजीएम परिवार के एक अंग के रूप में, लेजर गाइडेड बम (एलजीबी), जो मूलरूप से पीजीएम के पहले से ही था। पेबवे II एलजीबी खाड़ी युद्ध में इस्तेमाल किया जाने वाला प्रमुख पीजीएम था। अमेरिकी वायु सेना के 48वें टैक्टिकल फाइटर विंग ने इन हथियारों का उपयोग कर 920 आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल्स (AFV) को नष्ट कर दिया।
स्रोत: defencecapital.in
पीजीएम क्या है?
नीचे दी गई कोई भी या सभी ओपन सोर्स परिभाषाएं पीजीएम को उपयुक्त रूप से परिभाषित करती हैं:
पीजीएम सक्षम प्लेटफॉर्म द्वारा लक्ष्य प्राप्ति का व्यवस्थित क्रम मोटे तौर पर निम्नवत होगा:
सक्रिय मार्गदर्शन के साथ एक विशिष्ट पीजीएम (उन हथियारों का जिक्र है जो ऊर्जा का उत्सर्जित करते हैं जो सटीक मार्गदर्शन के लिए लक्ष्य से परिलक्षित होता है; अर्ध-सक्रिय मार्गदर्शन वाले हथियारों में यह ऊर्जा किसी अन्य स्रोत से उत्सर्जित लेजर बीम का रूप ले सकती है अर्थात एक लेजर टार्गेट डिज़ाइनर) में निम्नलिखित शामिल होंगे:
लेजर सीकर एंड गाइडेंस यूनिट: ऑनबोर्ड लेजर एमिटर ऊर्जा का उत्सर्जन करता है जो लक्ष्य से परावर्तित होता है और ऑनबोर्ड सेंसर द्वारा पता लगाया जाता है। मुनिशन-परावर्तित ऊर्जा को सक्रिय करने के लिए सेंसर में एक थ्रेशहोल्ड कंट्रास्ट लेवल होता है जो ग्राउंड क्लटर और अन्य परावर्तकों से प्राप्त कंट्रास्ट लेवल से सक्रिय नहीं होता।
ट्रैकर/कंट्रोल यूनिट: ट्रैकर पीजीएम की लक्ष्य तक उड़ान को नियंत्रित करता है। “लॉक-ऑन” का तात्पर्य ट्रैकर यूनिट को सक्रिय करने से है।
कैनर्ड्स/फिन्स: ये नियंत्रण सतह हैं जो आमतौर पर हथियार छोड़ने के बाद तैनात की जाती हैं और लक्ष्य तक पीजीएम के ग्लाइड पथ को नियंत्रित करती हैं।
वारहेड और फ्यूज: वारहेड में मुनिशन की विस्फोटक सामग्री होती है। वारहेड को सक्रिय करने के लिए फ़्यूज़ ज़िम्मेदार है। यह एक डाइरेक्ट एक्शन/डीले/प्रॉक्सिमिटी एक्टिवेटेड फ़्यूज़ हो सकता है।
टेल यूनिट: टेल यूनिट लक्ष्य तक ग्लाइड पथ पर पीजीएम के लिए आवश्यक प्रणोदन प्रदान करती है।
एक विशिष्ट पीजीएम: Source-electronicsforu.com
एक्सकैलिबर पीजीएम
एक्सकैलिबर (Excalibur) एक्टिव गाइडेंस के साथ 155 मिमी, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) -गाइडेड, आर्टिलरी फायर्ड एक्सटेंडेड रेंज डुअल पर्पस इम्प्रूव्ड कन्वेंशनल मूनिशन (ER DPICM) है। यह DPICM एंटी-पर्सनल और एंटी-मैटीरियल (एंटी-आर्मर/एंटी बंकर) दोनों तरह की भूमिकाएँ निभाता है। पीजीएम को संयुक्त रूप से अमेरिकी सेना अनुसंधान प्रयोगशाला (US Army Research Laboratory) और अमेरिकी सेना आयुध अनुसंधान, विकास और इंजीनियरिंग सेंटर (US Army Armament Research, Development &Engineering Center) द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर (ओईएम) रेथियॉन मिसाइल सिस्टम और बीएई सिस्टम एबी (बोफोर्स) हैं।
एक्सकैलिबर कार्यक्रम 1992 में एक आरएंडडी कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में शुरू में बिना गाइडेड हथियारों का विकास हुआ और अमेरिकी सेना द्वारा इसके लिए बहुत कम ऑर्डर थे, जिसमें समान क्षमताओं के साथ सस्ते हथियारों की उपलब्धता के कारण और गिरावट देखने को मिली। 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय सेना (IA) ने घुसपैठियों के बंकरों के खिलाफ रूसी क्रास्नोपोल टर्मिनली गाइडेड मुनिशन (TGM) का इस्तेमाल प्रभावी रूप से किया। परिणामस्वरूप इसने एक्सकैलिबर प्रोग्राम के तहत पीजीएम के विकास को उत्प्रेरित किया।
Excalibur कार्यक्रम में Excalibur के तीन प्रकारों के विकास की परिकल्पना की गई है: –
यह कार्यक्रम 2004 से 2006 तक ट्रैजेक्टरी करेक्टेबल मुनिशन (टीसीएम) (जिसमें शेल के जीपीएस निर्देशांक बाहरी कमांड पोस्ट से लगातार रिले किए जाते हैं, जो उड़ान में आवश्यक सुधार का आदेश देते हैं) के माध्यम से आगे बढ़े, और वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किये।
इन्क्रीमेंट-I एक्सकैलिबर का पहला प्रोडक्शन वैरिएंट है और इसका उद्देश्य स्थिर लक्ष्यों को भेदना था। इंक्रीमेंट Ia-1 (XM-982) का 24 किमी रेंज के लिए परीक्षण 2007 में पूरा हुआ, जिसके बाद अमेरिकी सेना ने इराकी गृहयुद्ध के दौरान उपयोग के लिए उत्पादन की अनुमति दी। Excalibur PGM का उपयोग पहली बार मई 2007 में इराक में किया गया। इंक्रीमेंट Ia-2 (M-982) को GPS जैमिंग के प्रतिरोध के साथ एक विस्तारित रेंज के रूप में विकसित किया गया। परीक्षण फायरिंग के दौरान इसने 40 किमी की सीमा हासिल की और जुलाई 2007 में इसका कम मात्रा में उत्पादन शुरू किया गया। इस संस्करण का पहली बार फरवरी 2008 में अफगानिस्तान में उपयोग किया गया। 1ए कार्यक्रम को करीब 6500 गोले के उत्पादन के बाद अप्रैल 2014 में समाप्त कर दिया गया, इस प्रकार 1बी संस्करण के पूर्ण पैमाने पर उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
एक्सकैलिबर पीजीएम- एचओबी (हाइट ऑफ बस्ट), जीएनयू (गाइडेंस एंड नेविगेशन यूनिट), सीएएस (कैनार्ड एक्चुएशन सिस्टम), बेस में बेस ब्लीड सिस्टम शामिल है: स्रोत-पीएम कॉम्बैट अम्मुनिशन सिस्टम्स/एक्सकैलिबर
रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस (आरएमडी) को दिसंबर 2012 में बेहतर विश्वसनीयता और कम यूनिट लागत के साथ 1बी संस्करण के लिए पहला अनुबंध किया गया। एक साल बाद दोबारा ऑर्डर दिया गया, उस समय तक ऑपरेशन में करीब 700 राउंड फायर किए गए थे, इस प्रकार पीजीएम की विश्वसनीयता स्थापित हुई। फरवरी 2014 में, अमेरिकी सेना ने 7 से 38 किमी की दूरी पर पैलाडिन और एम-777 हॉवित्जर से 30 एक्सकैलिबर 1बी पीजीएम का परीक्षण किया, जो आश्चर्यजनक रूप से लक्ष्य के 1.6 मीटर के दायरे में लक्ष्य को हासिल किया। परीक्षण के दौरान हासिल की गई इतना सटीक निशाना, 50 मीटर के घातक दायरे के साथ 100% हिट/किल की संभावना को व्यक्त करता है।
ऊपर वर्णित वेरिएंट की मुख्य विशेषताएं निम्न तालिका में दी गई हैं: –
एक्सकैलिबर PGM में एक मल्टी-मोड डायरेक्ट एक्शन/डीले/प्रॉक्सिमिटी फ़्यूज़ होता है जिसका उपयोग सॉफ्ट, किलेनुमा या बख़्तरबंद लक्ष्यों और खुले में सैनिकों के खिलाफ किया जा सकता है। एक्सकैलिबर कैनर्ड/मार्गदर्शन फिन्स का उपयोग करता है जो प्रक्षेपण के बाद ग्लाइड फेज में मदद करते हैं, इस प्रकार लक्ष्य पर हमले के पूर्व अधिक दायरा कवर करते हैं। एक्सकैलिबर को नीचे दिए कंप्यूटर जेनरेटेड चित्र में दर्शाया गया है:
एक्सकैलिबर ट्रैजेक्टरी टॉप-अटैक एंगेजमेंट के साथ: स्रोत- पीएम कॉम्बैट एम्युनिशन सिस्टम्स/एक्सकैलिबर
रेथियॉन मिसाइल्स एंड डिफेंस (आरएमडी) का मानना है कि “एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल एक ‘सही मायनों में सटीक हथियार’ है, जो लक्ष्य से दो मीटर से कम की रेडियल मिस दूरी पर प्रभाव डालता है। ‘नियर प्रिसिजन’ गाइडेंस सिस्टम के विपरीत, एक्सकैलिबर हथियार सभी मौसमों में सभी रेंज में सटीक असर प्रदान करता है।
Excalibur द्वारा प्रेसिजन एंगेजमेंट का चित्र: Source-armyrecognition.com
वित्त वर्ष 2021 के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के बजट अनुरोध में ओईएम से प्राप्त एक एक्सकैलिबर पीजीएम की वर्तमान लागत लगभग यूएस डॉलर 1,12,800 या रु 84,11,270 – है, जो एक पारंपरिक युद्ध सामग्री के लिए अधिक कीमत है, लेकिन निर्माता इसकी क्षमताओं को देखते हुए उचित बताते हैं। एक्सकैलिबर पीजीएम के लक्ष्य प्रोफ़ाइल में कर्मी, बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, नरम चमड़ी वाले वाहन और कंक्रीट बंकर शामिल हैं, जो न्यूनतम संपार्श्विक क्षति के साथ अपने सैनिकों से 75 से 150 मीटर से लेकर 70 किमी की सीमा तक का लक्ष्य भेद सकते हैं। यह विस्तारित सीमा फोल्डिंग ग्लाइड फिन के उपयोग के माध्यम से प्राप्त की जाती है, जो प्रक्षेप्य को लक्ष्य की ओर बढ़ाती है। एक एक्सकैलिबर पीजीएम एक लक्ष्य प सीधा प्रहार कर सकता है, जबकि वही लक्ष्य हासिल करने के लिए पारंपरिक अनगाइडेड आर्टिलरी के 50 राउंड फायर करने होंगे। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि आधुनिक युद्ध में, जहां शारीरिक रूप से भीड़भाड़ वाले संघर्ष (अक्सर शहरी) होते हैं। विशिष्ट लक्ष्यों को नष्ट करने या बेअसर करने के लिए छोटे पैमाने पर हमले की आवश्यकता होती है, ऐसे में नगण्य संपार्श्विक क्षति के साथ उच्च हिट/मारने की आवश्यकता होती है। ऐसे मिशन की सफलता के लिए Excalibur PGM इन सभी मोर्चों पर प्रभावी कार्य करता है।
भारत ने एम-777 हॉवित्जर की घातकता को बढ़ाने के लिए अक्टूबर 2018 में एक्सकैलिबर पीजीएम के 1200 राउंड का प्रारंभिक आदेश दिया था, जिसमें से 145 फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन के तहत अमेरिका से खरीदे जा रहे हैं। मई-जून 2020 में गलवान में हुई झड़पों के मद्देनजर भारत द्वारा एक्सकैलिबर पीजीएम की खरीद को और प्रोत्साहन दिया गया। एक्सकैलिबर को दिसंबर 2019 में भारतीय सेना में शामिल किया गया ताकि न्यूनतम संपार्श्विक क्षति के साथ निर्मित क्षेत्रों के करीब सटीक लक्ष्य भेद के लिए आर्टिलरी की क्षमता को बढ़ाया जा सके। इसका परीक्षण आर्टिलरी द्वारा दिसंबर 2019 में ही किया गया था। M-777 हॉवित्जर के अलावा, इसको K9 वज्र से भी दागा जा सकता है।
भविष्य का रोडमैप
इंक्रीमेंट-1ए और 1बी वेरिएंट के विकास और उत्पादन के बाद, इंक्रीमेंट-I प्रोग्राम के तहत निम्नलिखित शामिल हैं:
इंक्रीमेंट II (स्मार्ट) प्रोजेक्टाइल : इस वैरिएंट को गतिशील और संवेदनशील लक्ष्यों के लिए विकसित किया जा रहा है। यह वैरिएंट एक कैरियर मुनिशन होगा और इसमें 65 दोहरे उद्देश्य (एंटी-पर्सनल और एंटी-आर्मर) सब-मूनिशन या दो सर्च (सेंस) और डिस्ट्रॉय आर्मर (एसएडीएआरएम) मूनिशन ले जा सकते हैं।
इंक्रीमेंट III (डिस्क्रीमिनेटिंग) प्रोजेक्टाइल : यह प्रोजेक्टाइल लक्ष्य में भेदभाव करने की क्षमता से लैस होगा। इस तरह के प्रोजेक्टाइल को पूरी तरह एक्सपोज लक्ष्य के खिलाफ फील्ड करने का पिछला प्रयास पूरी तरह सफल रहा हैं, लेकिन उन लक्ष्यों के खिलाफ यह लगातार असफल रहा हैं जो सक्रिय/निष्क्रिय प्रतिरोध करते हैं। इस संस्करण में स्वचालित लक्ष्य पहचान (एटीआर) शामिल है, जो सेंसर से प्राप्त डेटा के आधार पर लक्ष्य वस्तुओं को पहचानने की क्षमता प्रदान करता है।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में दुनिया में संघर्षमय वातावरण के बीच किसी भी राष्ट्र की ओर से बड़े पैमाने पर गोलाबारी की घटनाएं बहुत कम ही देखने को मिलती है। इसके बजाय, इस तरह के संघर्ष के वातावरण पर निरंतर निगरानी और सटीक लक्ष्यीकरण के जरिये विजय हासिल की जा सकती है। ऐसे में अभीष्ट सामरिक परिणाम हासिल करने के लिए और फील्ड कमांडरों को उच्च क्षमता प्रदान करने के लिए एक्सकैलिबर विश्व में अग्रणी कार्यक्रम है, जिसका रणनीतिक महत्व उल्लेखनीय है।
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