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भारतीय युवाओं का युग आ गया है

गौतम गंभीर
शनि, 14 अगस्त 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

भारतीय युवाओं का युग गया है

गौतम गंभीर

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 12 अगस्त 2021 को मनाया गया। हम  भारत में अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के कगार पर हैं। ये 75 साल उथल-पुथल और संक्रमण से भरे रहे हैं। अतीत की बेड़ियों को तोड़ने और भविष्य में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा एक  युवा ही देश के लिए  एकमात्र स्थिरता प्रदान करने वाला रहा है। हमारे पूर्वजों ने भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी निर्णय लिये। इन सभी निर्णयों के साथ-साथ पिछली पीढ़ियों द्वारा किए गए बलिदानों ने आज के युवाओं को एक महत्वपूर्ण स्थिति में खड़ा कर दिया है और इसलिए  हम कह सकते हैं कि भारतीय युवाओं का युग आ गया है।

आज हमारी 65% जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है और अनुमान है कि इस वर्ष ही भारतीयों की औसत आयु घटकर मात्र 29 वर्ष रह जाएगी। भारत  आयुके मामले में दुनिया का सबसे युवा देश है।

भारतीय युवा परंपरा और आधुनिकता का एक अनूठा मिश्रण है जो उन्हें बाकी दुनिया से अलग करता है। यही कारण है कि निर्णय लेने के उच्चतम स्तर पर अधिक युवाओं की आवश्यकता  है। उद्योग हो, विज्ञान और प्रौद्योगिकी हो, सार्वजनिक नीति हो या सत्ता के गलियारे, युवाओं को और अधिकार जिम्मेदारी देने का समय आ गया है।

भारतीय युवाओं ने बार-बार सिद्ध किया है  कि वे समस्या की पहचान करने तथा नवाचार एवं विशेषज्ञता के माध्यम से समाधान खोजने में सक्षम हैं। हम किसी भी क्षेत्र को देखें तो पायेंगे कि युवा सभी अपेक्षाओं पर खरे  उतरते हैं। जब युवाओं की बात आती है, तो इंजीनियर, डॉक्टर, वकील, सिविल सेवक और व्यवसाय, प्रशासन, पेशेवर  आदि सभी सफलता के ध्वजवाहक रहे हैं।

लेकिन इस धारणा को स्वयं युवाओं ने काफी  हद तक बदल दिया है क्योंकि अब उनमें से कई उद्यमिता, मनोरंजन, खेल और कई अन्य क्षेत्रों के दिग्गज बन गए हैं। जैसा कि हमारे माननीय प्रधान मंत्री कहते हैं कि आज के युवा नौकरी की तलाश नहीं करना चाहते बल्कि कई अन्य लोगों के लिए रोजगार पैदा करना चाहते हैं।

आज के युवा सपने देखने, जोखिम लेने और सबसे महत्वपूर्ण खुद पर दांव लगाने से नहीं डरते। यही विशेष कारण है कि हमने नीरज चोपड़ा, मीरा बाई चानू और कई अन्य  रत्नों  को  जन्म दिया जिन्होंने अपरंपरागत खेलों को अपनाया और बहुत ही कम समय में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और उन लोगों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जो क्रिकेट से इतर देखना चाहते हैं।

कुणाल शाह, रितेश अग्रवाल और अन्य  अनेक उद्यमियों ने प्रमाणित कर दिया कि किसी को धनी परिवारों से आने या आइवी लीग की डिग्री प्राप्त आवश्यकता नहीं है। राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे  अनेक कलाकारों ने अपनी कला और प्रतिभा में विश्वास के कारण  लोकप्रियता के सभी बंधनों  को पार किया।

प्लेटो के इस कथन में मेरा हमेशा से विश्वास रहा है कि लोकतंत्र में भाग लेने से इंकार करने का एक दंड अपने से कम सक्षम लोगों द्वारा शासित होना है।  सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के मेरे निर्णय की नींव इसी विचार ने रखी।  अब समय आ गया है कि युवाओं को ऐसे निर्णय लेने की अनुमति दी जाए जो उन्हें और साथ ही साथ देश को भी प्रभावित करें।

अपने पद पर रहने के दो वर्षों के दौरान, मैंने युवाओं को पार्टी के कई वरिष्ठ लोगों तथा अधिकारियों की तुलना में अधिक मेहनती और अधिक मजबूत राजनीतिक कौशल रखते हुए देखा है। युवाओं को न केवल राजनीतिक विरोध अथवा सोशल मीडिया योद्धा बनना है अपितु उन्हें  पद देकर   बदलाव का चेहरा बनाना होगा।

ऐसा नहीं है कि युवा राजनीति में भाग नहीं ले रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने से ही युवा प्रतिरोध करने में सबसे आगे रहे हैं। मेरे आदर्श सरदार भगत सिंह  युवाओं के लिए एक मुख्य उदाहरण हैं क्योंकि उन्होंने  ‘सत्याग्रह’ से परे जाने  और विद्रोह करने का साहस  दिखाया। उन्होंने दुनिया को दिखाया कि एक 23 वर्षीय लड़के में एक ऐसे साम्राज्य की नींव हिला देने की क्षमता है जो सदियों से दुनिया पर राज कर रहा था। लेकिन 1931 में सरदार भगत सिंह एवं अन्य युवा क्रांतिकारी बाहरी बताए गए।

आज, हमारे प्रत्येक युवा में  देश का भाग्य बदलने की  क्षमता है। ऐसे किशोर हैं जिन्हें रक्षा एजेंसियों द्वारा निगरानी कार्यक्रम और सॉफ्टवेयर कार्यो के लिए  नियुक्त किया जा रहा है ।  वे हमारे देश की रक्षा करने और अनगिनत निर्दोष लोगों के जीवन को बचाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में कई युवा हैं जो देश की अर्थव्यवस्था को आकार दे रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो। पिछले कई सौ वर्षों में आज का युवा किसी भी अन्य युवा पीढ़ी की तुलना में कहीं बेहतर स्थिति में है।

उनके पास उन सभी लोगों के लिए बदलाव लाने के संसाधन और समझ है जो अपने लिए बदलाव नहीं ला सकते। अत: मेरा निवेदन है कि हमारे समाज को  कुछ पुरानी धारणाओं  का त्याग  करके युवाओं पर अधिक विश्वास करना आरंभ कर देना चाहिए। अब भारत के स्वर्ण युग की एक बार फिर शुरुआत करने का समय आ गया है। जय हिन्द

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लेखक
गौतम गंभीर पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं। वह वर्तमान में निर्वाचित सांसद हैं।

अस्वीकरण

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