ग्लासगो, एक नवंबर (एपी) स्कॉटलैंड के ग्लासगो में अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ‘सीओपी-26’ की सोमवार को शुरुआत होने के बीच गैर सरकारी संगठन ‘ऑक्सफैम’ के कार्यकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में प्रयासों को लेकर विश्व के नेताओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए उनके मुखौटे पहन कर पारंपरिक स्कॉटिश ‘बैगपाइप बैंड’ बजाया। इन कार्यकर्ताओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन और एंजेला मर्केल के मुखौटे पहनकर यह बैंड बजाया और इस बैंड पर लिखा हुआ था ‘‘सीओपी26 हॉट एयर बैंड’’। ‘ऑक्सफैम’ के कार्यकर्ताओं ने किल्ट (स्कर्ट) पहनी हुई थीं और कहा कि विश्व के नेताओं को जलवायु संकट से निपटने के लिए और अधिक ठोस प्रयास करने की जरूरत है। ‘किल्ट’ एक पतली स्कर्ट होती है जो पुरुषों द्वारा पहनी जाती है और यह स्कॉटिश संस्कृति के लिए परंपरागत परिधान है। ‘ऑक्सफैम क्लाइमेट पॉलिसी लीड’ के नफकोटे डाबी ने कहा, ‘‘ये नेता, उत्सर्जन कम करने और दुनिया को सुरक्षित रास्ते पर लाने के बजाय, बस बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं, और हमारे पास खाली वादे हैं, जो हम चाहते हैं कि ठोस कार्रवाई की जाये।’’
जीवाश्म ईंधन जलाकर हम अपनी कब्र खोद रहे : यूएन चीफ़
ग्लासगो: संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने ग्लासगो में वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन में नेताओं को चेतावनी दी कि जीवाश्म ईंधन को जलाकर और पर्यावरण को नष्ट करके ‘‘हम अपनी कब्र खोद रहे हैं।’’ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को दो सप्ताह तक चलने वाली वार्ता के औपचारिक उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘जैसा कि हम इस बहुप्रतीक्षित जलवायु सम्मेलन को शुरू कर रहे हैं, इस वक्त भी हम जलवायु आपदा की ओर बढ़ रहे हैं।’’ गुतारेस ने चीन जैसे उभरते देशों सहित प्रमुख आर्थिक शक्तियों से अधिक प्रयास करने का आग्रह किया क्योंकि वे वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में अधिक योगदान करते है।
मॉस्को: क्रेमलिन का कहना है कि रूस जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के वैश्विक प्रयासों के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, भले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे।
अमीर देश नहीं कर रहे मद्दद
कोपेनहेगन: स्वीडन के प्रधानमंत्री का कहना है कि ‘‘यह शर्म की बात है’’ कि अमीर देश 2025 तक गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करने के लिए प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता को पूरा करने में सफल नहीं हुए हैं। स्वीडिश प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन ने ‘सीओपी26’ शिखर सम्मेलन में ग्लासगो में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘‘यह स्पष्ट है कि कठिन वार्ता होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आगे बढ़ना तभी संभव है जब राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और ग्लासगो में राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, तो परिणाम प्राप्त करना संभव है।’’
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