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सीमा पर निर्माण चीन की ‘सलामी स्लाइसिंग’ रणनीति का प्रसार

भाषा एवं चाणक्य फोरम
रवि, 23 जनवरी 2022   |   4 मिनट में पढ़ें

नयी दिल्ली, 23 जनवरी : राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व सलाहकार प्रोफेसर ब्रह्म चेलानी का कहना है कि चीन द्वारा सीमा पर ‘‘विवादित इलाके’’ में सैन्य गांवों का निर्माण करने के बाद अब अरुणाचल प्रदेश में एक किशोर को अगवा किया जाना, पड़ोसी देश की लंबे समय से जारी ‘‘सलामी स्लाइसिंग’’ रणनीति का प्रसार है।

किसी मुल्क द्वारा अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छोटे-छोटे सैन्य ऑपरेशन के जरिये धीरे-धीरे किसी बड़े इलाके पर कब्जा कर लेने की नीति को ‘‘सलामी स्लाइसिंग’’ कहा जाता है। चेलानी का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच 18 मुलाकातों के बावजूद चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को ‘‘तनावग्रस्त सीमा’’ बनाए रखने सहित भारत से स्थायी दुश्मनी का बीड़ा उठा रखा है। जाने माने रक्षा विशेषज्ञ चेलानी ने ‘‘भाषा’’ को दिए एक साक्षात्कार में यह बातें कही।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में वर्ष 2020 के अप्रैल में सीमा विवाद को लेकर शुरू हुआ गतिरोध अब भी बरकरार है। सैनिकों को पीछे हटाने और अन्य संबंधित मुद्दों पर भारत और चीन के बीच कमांडर स्तरीय वार्ता का दौर भी जारी है। दोनों देशों के सैनिक अब भी एलएसी पर डटे हुए हैं। इसी बीच, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक किशोर को अगवा कर लिए जाने की घटना ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।

चेलानी ने कहा कि लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय लोग और स्थानीय प्रतिनिधि पिछले 20 सालों से यह शिकायत करते आ रहे हैं कि चीन ‘‘मीटर दर मीटर और मील दर मील’’ उनके पारंपरिक चारागाह वाले इलाकों में अतिक्रमण कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘चीन द्वारा सीमा पर विवादित इलाके में सैन्य गांवों का निर्माण और अब हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के भीतर से एक युवा को अगवा किया जाना पड़ोसी देश की लंबे समय से अनुसरण की जा रही ‘सलामी स्लाइसिंग’ रणनीति का प्रसार है।’’

चेलानी ने कहा, ‘‘यह पहली बार नहीं है कि अतिक्रमण करने वाले चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश से किसी युवा को अगवा किया हो। चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुस आना और युवाओं को अगवा कर लेना अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के स्थानीय लोगों के दावे का समर्थन करता है कि चीन बगैर गोली की आक्रामकता के जरिये उनकी जमीनों पर कब्जा करता जा रहा है।’’

भारत-चीन संबंधों में लगातार बढ़ रही तल्खी पर चेलानी ने कहा कि चीन की हिमालयी क्षेत्र में आक्रामता, युद्ध के खतरे और पिछले लगभग 21 महीने से जारी तनावपूर्ण सैन्य गतिरोध के बावजूद भारत डटा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन भारतीय रणनीति में एक चीज जो नदारद है, वह यह है कि भारत अतिक्रमण वाले क्षेत्रों से चीन को पीछे खदेड़ने में सफल नहीं रहा है। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भारत ने खुद को बेहद रक्षात्मक स्थिति में ला दिया है।’’

चेलानी ने दावा किया कि चीन ने ‘‘ना खत्म होने वाली वार्ताओं’’ का उपयोग अपनी आक्रामकता के फायदों को सुदृढ़ करने के लिए किया है। उन्होंने कहा, ‘‘वह डेपसांग, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेमचोक से पीछे हटने या गलवान में अप्रैल-2020 के पहले वाली स्थिति में लौटने से इनकार करता है।’’ ज्ञात हो कि सीमा विवाद को लेकर जारी गतिरोध के मद्देनजर पिछले दिनों भारत और चीन की सेनाओं के बीच 14वें दौर की वार्ता हुई थी। इसमें कोई सफलता तो नहीं मिली लेकिन दोनों पक्ष सैन्य एवं राजनयिक माध्यमों से करीबी संपर्क बनाए रखने और शेष मुद्दों के यथाशीघ्र ‘‘परस्पर स्वीकार्य समाधान’’ के लिए वार्ता जारी रखने को सहमत हुए।

यह वार्ता, पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील पर एक पुल का निर्माण करने को लेकर भारत द्वारा आपत्ति किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई। भारत का कहना कि यह (पुल) एक ऐसे क्षेत्र में है, जो करीब 60 वर्षों से चीन के अवैध कब्जे में रहा है। भारत-चीन संबंध किस दिशा में जा रहे हैं, यह पूछे जाने पर चेलानी ने कहा, ‘‘मोदी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) और शी जिनपिंग (चीनी राष्ट्रपति) के बीच आमने-सामने की 18 बैठकों के बावजूद चीन ने एलएसी को हॉट बार्डर बनाए रखने सहित भारत से स्थायी दुश्मनी रखने का बीड़ा उठा रखा है।’’

एक अन्य सवाल के जवाब में सामरिक मामलों के विशेषज्ञ चेलानी ने कहा कि भारत, पाकिस्तान को लेकर व्यस्त है जबकि चीन उसके लिए मुख्य खतरा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी रूस को लेकर अमेरिका की है, जबकि चीन ही उसकी (अमेरिका) प्रमुख चुनौती के रूप में उभरा है।’’

रक्षा विशेषज्ञ सी उदय भास्कर का कहना है कि, अरुणाचल प्रदेश से किशोर को अगवा किए जाने की खबर एक अवांछनीय घटनाक्रम है। माना जा रहा है कि भारत ने उपलब्ध माध्यमों के जरिये चीन के समक्ष यह मुद्दा उठाया है। सच्चाई यह है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सीमांकन स्पष्ट नहीं है और इसी वजह से इस प्रकार की घटनाएं होती हैं। इसी प्रकार का एक मामला 2020 के सितंबर महीने में सामने आया था और अगवा किए गए लोगों को एक सप्ताह के बाद वापस भेज दिया गया था। उम्मीद है कि मिराम तरोन की भी जल्द ही घर वापसी होगा। उन्‍होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। पीएलए भारत के दावे वाली सीमारेखा के भीतर अवसंरचना सुदृढ़ कर रहा है। इस लिहाज से गलवान घाटी की घटना के बाद भारत कम अनुकूल स्थिति में है।

पीएलए को भविष्य में इस प्रकार के उल्लंघन से रोकने के लिए भारत का अपनी सैन्य क्षमता में वृद्धि करना ही बेहतर होगा और भारत को अपने इस संकल्प के बारे में चीन को राजनयिक और सैन्य स्तर पर संदेश देना चाहिए। साथ ही साथ वर्तमान तनाव को कम करने के लिए भारत को विवाद का निपटारा होने तक परस्पर स्वीकार्य व्यवस्था तक पहुंचने के लिए बीजिंग को प्रोत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा सीमा विवाद की इस कटुता को समाप्त करने के लिए एक राजनीतिक वातावरण निर्माण करना चाहिए। दोनों देशों के बीच अक्टूबर 1962 में युद्ध हुआ था और इसकी पुनरावृत्ति अवांछनीय होगी…और दोनों देशों के लिए महंगी पड़ेगी।

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