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नशीली दवाओं की अंतरराष्ट्रीय तस्करी में बॉडी पैकिंग

डा. जी श्रीकुमार मेनन
मंगल, 07 सितम्बर 2021   |   6 मिनट में पढ़ें

पश्चिम एशिया के रास्ते, हवाई मार्ग से जोहान्सबर्ग से पहुंचे नाईजीरिया के एक अफ्रीकी नागरिक  को राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने 17 अगस्त को बैंगलोर केम्पे गौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जाँच के लिए रोका। इसने 1.2 किलो  कोकीन पेट में छुपाई हुई थी जिस की कीमत 11 करोड़ आँकी गयी।

अगस्त महीने में दूसरी बार देश में इतनी बड़ी मात्रा में कोकीन जब्त की गयी थी। इससे पहले, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई ने छत्रपति अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक मोजाम्बिक नागरिक को 1.02 किलोग्राम कोकीन ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिसकी कीमत लगभग दस करोड़ रुपये  थी और उसने  भी यह अपने पेट में छुपाई थी।

यह सच है कि  नाइजीरिया के कुछ लोग  भारत में नशीले पदार्थों का व्यापार बिना चुनौती के कर रहे हैं। वे कोकीन, हेरोइन और मेथाक्वालोन का  व्यापार करते हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का अनुमान है कि ये नाइजीरियाई भारत के 60 प्रतिशत ड्रग व्यापार को नियंत्रित करते हैं और थोक और खुदरा व्यापार दोनों पर हावी हैं। कई लोगों ने भारतीय महिलाओं से विवाह किया, जिससे वे  उनके बैंक खातों का उपयोग करने में सक्षम हो जाते हैं तथा उन्हें भारत में  रहने की सुविधा भी मिल जाती है।

नाइजीरियाई ड्रग बैरन एक अंतरराष्ट्रीय नशीली दवा वितरण नेटवर्क चलाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका हार्ड ड्रग्स का अकेला सबसे बड़ा उपभोक्ता है जो उन्हें नाइजीरिया के रास्ते प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में, पश्चिम अफ्रीका नशीले पदार्थों के व्यापार का एक महत्वपूर्ण वैश्विक गढ़ बन गया है। पश्चिम अफ्रीका वैश्विक ड्रग-तस्करी प्रक्रिया में  महत्वपूर्ण स्थल और गंतव्य के रूप में तेजी से सुर्खियों में आ रहा है। वैश्विक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय ड्रग कार्टेल के संचालन में इस क्षेत्र की बढ़ती भूमिका के  व्यापक और विविध प्रमाण हैं, जिसमें आधिकारिक और गैर-आधिकारिक स्रोतों से प्रत्यक्ष रूप से पता लगाने, योग्य तथ्यों तथा  अप्रत्यक्ष जानकारी दोनों का एक जटिल मिश्रण शामिल है। आरंभ में, दुनिया भर में विशेष रूप से यूरोप और उत्तरी अमेरिका का उप-क्षेत्र धीरे-धीरे वैश्विक नशीली दवा कार्टेल के लिए अपने आप में एक व्यापार स्थल बन गया जो उपयोग के अंतिम छोर तक नशीले पदार्थों की तस्करी का एक पुन: वितरण केंद्र और पारगमन बिंदु के रूप में लक्षित है। यद्यपि पूर्ण रूप से नहीं परंतु इसका आरंभ लैटिन अमेरिका से हुआ। साक्ष्य, एम्फ़ैटेमिन-प्रकार के उत्तेजक पदार्थो सहित कुछ  अन्य नशीली दवाओं के लिए पश्चिम अफ्रीका के तेजी से महत्वपूर्ण उत्पादन स्थल के रूप में उभरने की ओर इशारा करते हैं। पश्चिम अफ्रीका में लोकतांत्रिक शासन और मानव सुरक्षा के लिए नशीली दवाओं की तस्करी की चुनौती एक ऐतिहासिक प्रतिबिंब है।

नाइजीरियाई  भारत के ड्रग परिदृश्य में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं, विशेष रूप से गोवा में इसे ‘कोकीन कोस्ट’ उपनाम दिया गया है। छात्रों से लेकर व्यवसायियों तक, भारत में अनुमानित 50,000 से अधिक नाइजीरियाई हैं। भारत में नाइजीरियाई देश के सबसे बड़े अफ्रीकी समुदायों में से एक हैं। कई वैध रूप से रह रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में बिना किसी यात्रा दस्तावेजों  के रह रहे हैं। इनकी मोडस ऑपरेंडी बस उनके भारत पहुंचने के बाद अपने पासपोर्ट को नष्ट कर देना है और इसे खो जाने का दावा करना।

अफ्रीकन एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स इन इंडिया (एएएसआई) के अनुसार, विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों में लगभग 25,000 अफ्रीकी छात्र पढ़ रहे हैं। भारत में सूडान और नाइजीरिया  के विदेशी छात्रों  का प्रमुख योगदान हैं।

नाइजीरियाई देश के विभिन्न हिस्सों में कोकीन, मेथामफेटामाइन और एलएसडी के बुफे के साथ पार्टी सर्किट को खिलाने की आकर्षक गतिविधि में लगे हुए हैं। मुंबई, चंडीगढ़, बैंगलोर जैसे देश के कई हिस्सों में नशीली दवाओं का व्यापार नाइजीरियाई लोगों के हाथ में है। 31 दिसंबर 2019 तक, लगभग 686 नाइजीरियाई देश भर की विभिन्न जेलों में बंद थे, जिनमें से अधिकांश नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के लिए थे। (जेल सांख्यिकी भारत 2019, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, पृष्ठ 108)।

ड्रग-तस्करी के दृष्टिकोण के अतिरिक्त, नाइजीरिया में आतंकवाद के खतरे का स्तर  विश्व में सबसे अधिक है। इस देश ने हाल ही में अफगानिस्तान के बाद दुनिया भर में आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या दर्ज की है। नाइजीरिया में कई आतंकवादी समूह सक्रिय हैं,  जो नागरिक और सैन्य दोनों ठिकानों पर हमले करते हैं। बोको हरम अब तक का सबसे घातक है, जो  देश के उत्तर में  अधिक सक्रिय है। आत्मघाती बम विस्फोट, अपहरण,  विनाश, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, निजी और उद्यमशील निवेश, भय, दहशत और भ्रम जैसी आतंकवादी गतिविधियों के प्रभाव ने आम आदमी के  जीवन को दयनीय बना दिया है। जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल मुस्लिमीन (जेएनआईएम) इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका (आईएसडब्ल्यूए), इस्लामिक स्टेट ग्रेटर सहारा,  (आईएसजीएस), अल कायदा इन द इस्लामिक मगरेब (एक्यूआईएम), अल मुराबितौन, अंसार डाइन और बोको हरम  प्रमुख आतंकी समूह हैं।

बोहराम को (यूएनएससी) काउंटर-टेररिज्म कमेटी द्वारा  एक आतंकवादी समूह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।  क्योंकि समूह से चाड बेसिन झील को खतरा होने लगा था। इसने हजारों बच्चों का अपहरण, भर्ती और शोषण किया है। 2019 की रिपोर्ट ‘वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2019 आतंकवाद के प्रभाव को मापना’ के अनुसार बोको हरम महिलाओं और बच्चों को आत्मघाती हमलावरों के रूप में भर्ती करने के लिए एक कुशल रणनीति अपनाता है। समूह के प्रमुखों को महिलाओं और बच्चों को अधिक मात्रा में शामिल करने के रणनीतिक लाभों का एहसास हुआ। समूह के साथ जुड़ाव के दौरान, बच्चों को बलात्कार, जबरन शादी, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण, जबरन श्रम, जबरन धर्म परिवर्तन, यातना, क्रूर, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार और यौन और लिंग आधारित हिंसा सहित अत्यधिक क्रूर हिंसा का शिकार होना पड़ता है। ये बाल भर्ती और शोषण, बाल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और लंबे समय तक चलने वाले शारीरिक, विकासात्मक, भावनात्मक, आध्यात्मिक और मानसिक क्षति का कारण बनते हैं। इन बच्चों को आतंकवाद, युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध सहित अन्य अपराध करने के लिए प्रेरित किया जाता है और मजबूर किया जाता है। बोको हरम के आत्मघाती हमलावरों में दो तिहाई महिलाएं हैं, इनमें से प्रत्येक तीन में से एक बच्चा है।”

बोको हरम युवा लड़कियों पर बम बांधने और फिर उन्हें भीड़ में भेजकर,  विस्फोट करने के लिए कुख्यात है, जिससे बड़े पैमाने पर मौतें और विनाश होता है। बोको हरम ट्रामाडोल ड्रग की तस्करी में बड़े पैमाने पर शामिल है। यूएनओडीसी के अनुसार, ट्रामाडोल नियमित रूप से साहेल में आतंकवाद के लिए गिरफ्तार संदिग्धों अथवा आत्मघाती हमला करने वालों की जेब में मिलता है।

11 जनवरी 2021 को, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (यूएनएससी) के समक्ष पश्चिम अफ्रीका में आतंकवाद के कृत्यों पर बोको हरम और इस्लामिक स्टेट के पश्चिम अफ्रीका प्रांत (ISWAP) की बढ़ती गतिविधियों की ओर इशारा करते हुए चिंता व्यक्त की। आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और संगठित  अपराध किस प्रकार बेरोकटोक जारी है, इस पर प्रकाश डालते हुए, संयुक्त राष्ट्र में भारतीय दूत, टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा, “बुर्किना फासो में हुए आतंकी हमलों, विशेष रूप से माली और नाइजर की सीमा से लगे क्षेत्रों में, आतंकवाद से निपटने के प्रयासों को तेज करने की तत्काल आवश्यकता  है, जो अन्य देशों और क्षेत्रों में भी फैल रहा है।”

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2020 के अनुसार, ‘दस देशों में से निम्न पांच देश युद्ध की स्थिति में  है: अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सीरिया, सोमालिया और यमन। शेष पांच छोटे-मोटे संघर्षों में शामिल थे। सूचकांक में नाइजीरिया तीसरे नंबर पर है, जबकि भारत आठवें स्थान पर है।

हालांकि भारतीय मादक पदार्थों की तस्करी के परिदृश्य में नाइजीरियाई उपस्थिति चिंताजनक है, लेकिन नाइजीरिया में भारत की बहुत अधिक भागीदारी है। भारत नाइजीरियाई पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे बड़ा आयातक है। नाइजीरिया से भारत के कुल 10.21 अरब डॉलर के आयात में से कच्चे तेल की हिस्सेदारी 10.03 अरब डॉलर रही। हाल के वर्षों में, नाइजीरिया भारत के लिए कच्चे तेल के मुख्य स्रोतों में से एक रहा है। भारतीय स्वामित्व वाली/संचालित कंपनियां नाइजीरिया में दूसरी सबसे बड़ी नियोक्ता हैं। नाइजीरिया में  भारतीय समुदाय  के लगभग 50,000  लोगों के होने  का अनुमान है। इसके अतिरिक्त, हजारों श्रमिक बड़ी परियोजनाओं में लगे हुए हैं। नाइजीरिया में लगभग 100 भारतीय कंपनियां कार्यरत हैं।

ड्रग पेडलर्स भारत को निशाना बना रहे हैं क्योंकि यह दक्षिण एशिया का सीमावर्ती  देश है और यहां ड्रग्स का बहुत बड़ा बाजार है। नाइजीरियाई लोग नशीले पदार्थों की तस्करी के कारोबार में मुख्य खिलाड़ी होने और बड़े पैमाने पर पेडलिंग रैकेट में शामिल होने के लिए कुख्यात है। वे मध्य, दक्षिणपूर्व और दक्षिण-पश्चिम एशिया से हेरोइन की तस्करी करते  हैं। नाइजीरियाई लोगों ने वर्षों से ठोस नेटवर्क स्थापित किया है और दुनिया भर में  नशीली दवाओं की तस्करी के बुनियादी ढांचे तक उनकी पहुंच है। उन्होंने इससे जुड़े खतरों के कारण, इन नशीली दवाओं  की तस्करी के पारगमन  के लिए कोरियर  का  विशेष प्रबंध किया है। हालाँकि, कुछ नाइजीरियाई स्वयं ड्रग्स का पारगमन करते हैं। यह  जानकारी एनसीबी, डीआरआई, सीमा शुल्क और पुलिस द्वारा हाल ही में की गई कुछ गिरफ्तारियों से प्राप्त हुई है ।

कुछ भी हो, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ नाइजीरियाई भारत में मादक पदार्थों  और नशीली दवाओं की तस्करी में पूरी तरह से शामिल हैं। विदेशी नागरिकों द्वारा जमा कर-मुक्त नकदी की असीम राशि आंतरिक और बाहरी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। बहुत जल्द, भारत के भीतर सक्रिय आतंकवादी समूह इन नाइजीरियाई मादक पदार्थों के तस्करों को धन के आसान स्रोत के रूप में देखने लगेंगे। नाइजीरियाई अत्यधिक लड़ाके होने के कारण विरोध करते हैं, जिसके फलस्वरूप हिंसक झड़पें और आंतरिक अशांति हो रही है। एक और संभावना यह है कि बांग्लादेश, रोहिंग्या और नाइजीरियाई (बीआरएन) के अवैध अप्रवासियों को आईएसआई की निगरानी और मार्गदर्शन में एकत्रित किया जा रहा है, ताकि नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकी अभियानों में वृद्धि की  जा सके। स्थानीय आतंकवादी समूहों के साथ संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से छात्रों और व्यापारियों की आड़ में बोको हरम के गुर्गों के देश में प्रवेश की संभावना को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

भारत में मादक पदार्थों की तस्करी और इस तस्करी के नाइजीरियाई संबंधों में तेजी रही है जो इस उपमहाद्वीप में एक नई चिंता का विषय हो सकता हैं।

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लेखक
डा. जी श्रीकुमार मेनन, आईआरएस (सेवानिवृत्त), पीएचडी (नारकोटिक्स) नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स और मल्टी-डिसिप्लिनरी स्कूल ऑफ इकोनॉमिक इंटेलिजेंस इंडिया के पूर्वमहानिदेशक हैं। जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉन प्रोलिफरेशन स्टडीज यूएसए के फेलो रहे हैं। साथ सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड एंड सिक्योरिटी, जॉर्जिया विश्वविद्यालय, यूएसए के फेलो रहे हैं। मैक्सवेल स्कूल ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए. के लोक प्रशासक रहे हैं। जापान में एओटीएस स्कॉलर रहे हैं।

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POST COMMENTS (1)

Ashutosh Ameta

सितम्बर 07, 2021
काफी अच्छा लेख था

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