आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम) 14 जून 2021 को आयोजित की गयी, क्योंकि संगठन चीन के साथ दक्षिण चीन सागर के लिए आचार संहिता (सीओसी) तेयार करने के लिए संघर्ष कर रहा था। अगले दिन, 15 जून 2021 को एडीएमएम इस में भारत, जापान, चीन, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस सहित आसियान वार्ता भागीदारों (डीपी) को एक साथ लाया।
यह रक्षा मंत्रियों के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) बैठक के समान ही है जिसका आयोजन वर्ष 2010 से हरवर्ष किया जा रहा है। एडीएमएम 2006 से आयोजित किया जा रहा है। पिछलेवर्ष,जबइंग्लैंडवार्ता भागीदार (डीपी) के रूप में आसियान में शामिल हुआ, तो यह संभावना थी कि इंग्लैंडके रक्षा सचिव एडीएमएम-प्लस के तोर पर शामिल होंगे। ब्रुने, जो वर्तमान में ASEAN के अध्यक्ष है वो ADMM-Plus की अध्यक्षता भी करेंगे। अगले साल कंबोडिया आसियान और एडीएमएम-प्लस की अध्यक्षता करेगा।
ADMM आसियान का एक विश्वास पैदा करने वाला तंत्र है। इसके अस्तित्व में आने के कुछ वर्षों के बाद, यह महसूस किया गया कि आसियान अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ साथ मुख्य रूप से अपनी सुरक्षा को बढाता है, इसलिए एक एडीएमएम-प्लस का होना बेहतर होगा। 2008 से 2012 के दोरान जब अमेरिका की इस क्षेत्र में रूचि नही थी और चीन की दक्षिण चीन सागर में अत्याधिक रूचि थी उस समयएडीएमएम-प्लसअपना ष्ज्यादा महत्व बना पाया क्युकि चीन क्षेत्रीय व्यवस्थाओं में खलल डालता था और उसने अनेक आसियान देशों की कीमत पर अपने परम्परागत नाइन डैश लाइन के भीतर के क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया था ,उस समयएडीएमएम-प्लस का महत्व बढ़ गया। इस वर्ष, G7 और NATO शिखर सम्मेलन के ठीक बाद ADMM-Plusका आयोजन हुआ, जहाँ चीन पर ध्यान आकर्षित करने पर बल दिया गया था।
ADMM-Plusका आयोजन7 जून को हुयी चीन-आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद किया गया। जिसमे दिलचस्प बात यह है कि एडीएमएम-प्लस बैठक से पहले आसियान के रक्षा मंत्रियों ने अनौपचारिक रूप से चीनी रक्षा मंत्री से मुलाकात की। हालांकि, आसियान भागीदारो ने दक्षिण चीन सागर में शांति और सुरक्षा पर बल देना जारी रखा। चीन ने इसे आसियान के बीच भय को बढाने के रूप में देखा, क्योंकि उसका मानना है कि वह आचार संहिता पर उनके साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से जुड़ा हुआ है।
इस समय एक और पहलु जिस ने ध्यान आकर्षित किया, वह ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका और जापान के रक्षा मंत्रियों की चेतावनी था। चीन को ताइवान में स्थिति में बदलाव नहीं करने की सलाह दी गई थी। हालांकि, चीनी रक्षा मंत्री, जनरल वेई फेंघे ने बैठक में कहा कि ताइवान, दक्षिण चीन सागर और अन्य प्रमुख हितों के बारे में दृढ़ रहेगा, जिसमें उनके अनुसार, हांगकांग और झिंजियांग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अन्य देशों को उनकी वैध चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और चीनी राष्ट्रीय हितों की भी रक्षा हो। इस प्रकार,इस वर्ष का एडीएमएम-प्लस दक्षिण चीन सागर के मुद्दों से हट गया और ताइवान में उभरती समस्याओं पर ध्यान दिया।
ब्रुनेई द्वारा जारी विस्तृत एडीएमएम-प्लस घोषणाआशावाद,उमीद,आसियान केंद्रीयता तथा अपने और अपने सहयोगियों के बीच शांतिपूर्ण इरादे को बरकरार रखती है। यह एक प्रशंसनीय उद्देश्य है, और आसियान में उल्लिखित विचारों की प्रत्यक्ष संरचना है। यह कार्यान्वयन की प्रक्रिया में है और अब इन हॉटलाइनों को डायलॉग पार्टनर्स में शामिल करना है।
ताइवान का मुद्दा आसियान के लिए सीधे तौर पर उनके हित में नहीं है, सिवाय इसके कि जब भी अमेरिका-चीन संबंध बिगड़ते हैं तो यह उन्हें परेशान करता है। वे चुनाव नहीं करना चाहते हैं। समस्या यह है कि दक्षिण चीन सागर के मुद्दे को हल नहीं किया जा रहा है और आसियान के प्रयासों के लिए एक आचार संहिता अभी तक फलीभूत होने के लिए, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे संवाद भागीदारों ने क्षेत्र को मुक्त और खुला रखने के लिए कदम उठाए हैं। क्वाड का उदय, जिसने मार्च 2021 में अपना पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया, यह दर्शाता है कि आसियान की केंद्रीयता कम हो रही है। यह चीन के कारण हुआ। स्पिलओवर को आसियान और डायलॉग पार्टनर्स द्वारा नियंत्रित किया जाना है। हालांकि आसियान तंत्र इन मामलों को सुलझाने में सक्षम नही है, वार्ता भागीदार इसे नहीं छोड़ते हैं, लेकिन एडीएमएम-प्लस की तरह इसके साथ जुड़े रहते हैं। यह सहयोग और संचार को खुला रखता है और एडीएमएम-प्लस का सकारात्मक पहलू है।
चीन के साथ आचार संहिता पर लगभग तीन दशकों से चर्चा हो रही है। 2017 में, चीन आसियान के साथ एक आचार संहिता पर बातचीत करने के लिए सहमत हो गया था। जबकि दक्षिण चीन सागर पर इसके दावे से इस की मनसास्पष्ट हो गयीहै। इस दौरान चीन ने आसियान के साथ समग्र रूप से चर्चा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसका मानना है कि दक्षिण चीन सागर के मुद्दे संबंधित देश से द्विपक्षीय रूप से संबंधित हैं। एक बार जब चीन अपने दावों का एकतरफा निपटारा कर देगातो वह आचार संहिता पर चर्चा करने के लिए सहर्ष सहमत हो जाएगा। एडीएमएम-प्लस, आसियान-चीन बैठकें जारी हैं। चीन द्वाराएक खतरनाक मसौदा तैयार किया जा रहा है, और अब हालत यह नहीं है कि इसे कितनी जल्दी अपनाया जा सकता है,बल्कि इसमें लिखा क्या है यह जानना जरुरी है।
मसौदे में दक्षिण चीन सागर में गैर-तटीय देशों पर प्रतिबंध शामिल हैं। जब तक चीन सहमत नहीं होता, तेल पूर्ति सहित तीसरे देशों के संचालन पर चीनी वीटो होगा।समुद्रके बारे में यूएनओ की संधि1982 (UNCLOS) को भी चीन,दक्षिण चीन सागर में इसके द्वारा संचालनको निरस्त करने की भी मांग कर रहा है। आचार संहिता मूल रूप से दक्षिण चीन सागर में पार्टियों, के आचरण पर निगरानी ररखने के लिए बनायीं गयी थी। यह अब एक दस्तावेज बन रहा है जो चीन को दक्षिण चीन सागर में हर काउंटी के परिचालन की निगरानी करने की अनुमति देगा। जैसा कि आसियान इसका अनुसरण करता है, उसे यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है कि इस तरह की एकतरफा प्रभुत्व वाली स्थिति चीन को न दी जाए। यह आसियान के वार्ता भागीदारों को स्वीकार्य नहीं होगा, जिनमें से अधिकांश स्वतंत्र और खुले समुद्र का समर्थन करते हैं।
हाल के महीनों में कई आसियान देशों में चीनी गतिविधियों को लेकर बेचैनी बढ़ी है। वियतनाम एक ऐसा देश है जो आचार संहिता पर सहमत नहीं होगा, क्योंकि यह चीन को नियंत्रण सौंप देगा। वियतनाम पहले से ही पैरासेल द्वीपों पर चीनी गतिविधियों से पीड़ित है। फिलीपींस, जिसने अपने पक्ष में 2016 में समझौता किया, आज उस नीति की सीमाओं को महसूस कर रहा है कि चीनी मित्रता फिलीपींस द्वीपों पर चीनी मछुआरों की लैंडिंग और उनके ईईजेड के जानबूझकर उल्लंघन करने की अनुमति देती है। हाल ही में, मलेशिया, जो पहले अपने जलक्षेत्र के पास चीनी नौसैनिक जहाजों के मार्ग पर आंखें मूंद लेता था,अब चीनी वायु सेना के विमानों द्वारा अपने हवाई क्षेत्र को पार करने का विरोध कर रहा है। इंडोनेशिया इसी तरह चौकस है, जब सैन्य मामलों में चीन के साथ निपटने की बात आती है, विशेष रूप से नटूना समुद्र में, जहां चीनी तट रक्षक मछली पकड़ने वाले जहाजों के बड़े बेड़े ले जाते हैं जो इंडोनेशिया को उसके सही हक से वंचित करते हैं। फिलीपींस ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने आधार समझौते को छह महीने के लिए आगे बड़ा दिया है। इंडोनेशिया दक्षिण कोरिया की संभावित मदद से इटली से छह जहाजों का ऑर्डर देकर और अपने पनडुब्बी बेड़े का नवीनीकरण करके अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ा रहा है।
एडीएमएम-प्लस में भारत के रक्षा मंत्री का बयान स्पष्ट और सटीक था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत नियमों के तहत नौवहन की स्वतंत्रता और क्षेत्र में सहयोग करने का आह्वान किया गया था। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया चीन को चुनौती देने में अधिक स्पष्ट हैं। आसियान-प्लस बैठकों में चीन पर सीधे हमला न करने की परंपरा को ध्यान में रखते हुए, भारतीय प्रतिक्रिया स्पष्ट और सही है।
ADMM-Plus अब कहाँ जायेगा? इसे सब कुछ प्रकाश में लाने की नीति को बदलना होगा और आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की बैठक मे सामान बर्ताव करना होगा। इसे छह कार्य समूहों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो मानवीय सहायता और आपदा राहत, समुद्री सुरक्षा, सैन्य चिकित्सा, आतंकवाद का मुकाबला, शांति अभियान, मानवीय खदान कार्रवाई और साइबर सुरक्षा से संबंधित हैं। एडीएमएम-प्लस के तत्वावधान में इन क्षेत्रों में समकालीन कार्यात्मक मूल्य है। उन पर मिलकर काम करने से आसियान को केंद्रीयता में मदद मिलेगी।
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