लेखक भारतीय सेना की कुमाऊँ रेजिमेंट के पूर्व अफसर हैं और वर्तमान में चाणक्य फोरम के एडिटर-इन-चीफ़ हैं। वह रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क में वरिष्ठ सलाहकार संपादक भी हैं।
जनरल सैम मानेकशॉ अपने कार्यालय में चहलकदमी कर रहे थे। उनकी घनी भौंहें माथे के लगभग बीच में परस्पर छू रही थीं। उनका
भारतीय सेना का इतिहास वीरता और असाधारण पराक्रम की कहानियों से भरा हुआ है। साहस की ये कहानियां इतनी जबरदस्त हैं कि