सुशांत सरीन आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं और चाणक्य फोरम में सलाहकार संपादक हैं। वह पाकिस्तान और आतंकवाद विषयों के विशेषज्ञ हैं। उनके प्रकाशित कार्यों में बलूचिस्तान : फारगॉटेन वॉर, फॉरसेकेन पीपल (2017), कॉरिडोर कैलकुलस : चाइना-पाकिस्तान इकोनोमिक कोरिडोर और चीन का पाकिस्तान में निवेश कंप्रेडर मॉडल (2016) शामिल है।
हाल ही में, पाकिस्तान और वहाँ के सैन्य प्रतिष्ठानों को 'भारतीय एजेंटों' के सामने घुटने टेकने के लिए दो यू-टर्न लेने
21 अक्टूबर को पेरिस में संपन्न हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) प्लेनरी से किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। पाकि
पाकिस्तानी सेना में बड़े पदों पर हो रहे जो ट्रांसफर और पोस्टिंग सामान्य कार्यवाही होनी चाहिए थी उसकी वजह से सेना औ
जब पहली रिपोर्ट आई कि अमेरिकी सीनेट में 22 रिपब्लिकन सीनेटरों ने तालिबान और उनकी सहायता करने वाले देशों/संस्थाओं क
इमरान खान के समर्थकों (जिसमें आज्ञाकारी सेवानिवृत्त पाकिस्तानी जनरल, राजनयिक और 'सेवारत' पत्रकार शामिल हैं) द्वार
पाकिस्तान की राजनीति में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उनका नेता जितना मजबूत दिखाई देता है, उतना ही वह कमजोर हो जाता है
पाकिस्तान के ख़ुफ़िया प्रमुख, डीजी, आईएसआई, लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद का सार्वजनिक काबुल दौरा पूरे विश्व में कही जा
तालिबान के साथ संपर्क : समर्थन नहीं है सुशांत सरीन दोहा में भारतीय राजदूत द्वारा कतर की राजधानी में तालिबान के र
अफगानिस्तान : धन का आभाव! सुशांत सरीन अफगानिस्तान पर कब्जा करना आसान था परंतु अफगानिस्तान को चलाना अधिक कठिन और
#पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाएं सुशांत सरीन ट्विटर पर रुझान प्राय: काफी कम समयावधि के लिए होते है - यह कुछ घंटो क
जम्मू कश्मीर की व्यवस्था को चलाने वाले दिशानिर्देशों के नवीनीकरण को 2 वर्ष पहले अगस्त 2019 में किया गया था, परंतु व्यव
हर बार आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा गठित एफएटीएफ( वित्तीय कार्यवाही कार्य दल) के आतंकवा