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सार्स-सीओवी 2 : कैसे बदलता है संक्रमण का स्वरूप


गुरु, 12 अगस्त 2021   |   2 मिनट में पढ़ें

(बाथ विश्वविद्यालय के द मिलनर सेंटर फॉर इवोल्यूशन में माइक्रोबियल इवोल्यूशन के प्रोफेसर एड फील)

बाथ (ब्रिटेन), 12 अगस्त (द कन्वरसेशन) कोविड-19 वैश्विक महामारी ने हमें इस संबंध में अध्ययन करने में सक्षम बनाया है कि संक्रमण का स्वरूप कैसे बदलता है।

वैज्ञानिकों ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के 20 लाख से अधिक जीनोम अनुक्रमण बनाए हैं और बदलते स्वरूपों की सूक्ष्मताओं का इतनी गहनता से अध्ययन किया है, जो प्रयोगशाला के बाहर किसी भी प्रतिकृति जैविक एजेंट के अध्ययन के संबंध में पहले संभव नहीं था।

इन अध्ययनों से संक्रमण के स्वरूपों के बारे में कैसे बताया जा सकता है? कुछ स्वरूप किसी जीव के लिए लाभकारी हो सकते हैं और प्रजातियों में फैल सकते हैं। अन्य स्वरूप हानिकारक हैं या उनका बहुत कम असर है। वे जीनोम की प्रतिकृति बनाए जाने के दौरान किसी ‘आधार’ (अक्षर) को दूसरे के साथ बदले जाने के दौरान त्रुटियों के कारण पैदा होते हैं। सार्स-सीओवी-2 जीनोम 30,000 व्यक्तिगत आधारों से बना है। जिस दर पर कोई नया स्वरूप उत्पन्न होता है, उसे आम तौर पर इस आधार पर व्यक्त किया जाता है कि जीनोम प्रतिकृति होने पर किसी भी व्यक्तिगत आधार को गलती से बदले जाने की संभावना कितनी है। एक हालिया प्रयोग के अनुसार इसकी संभावना 10 लाख में करीब तीन है। इस प्रयोग के अध्ययन को अभी किसी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया गया है।

इस दर को देखते हुए, हम पूछ सकते हैं कि हर बार किसी के संक्रमित होने पर कितने स्परूप पैदा हो सकते हैं। तीस हजार आधारों को 3/1,000,000 की संभाव्यता से गुणा करने पर, हमें पता चलता है कि हर बार जीनोम की प्रतिकृति बनाने पर कुल लगभग 0.1 स्वरूप पैदा होते हैं।

संक्रमण का चरम पांच से सात दिनों तक रहता है और इस दौरान वायरस आमतौर पर तीन से सात ‘‘प्रतिकृति चक्र’’ (एक मेजबान सेल से शुरुआत में जुड़ने लेकर और नए संश्लेषित वायरस कण बनने तक के चरण) पूरा करता है। पांच प्रतिकृति चक्रों के परिणामस्वरूप लगभग 0.5 स्वरूप (5×0.1), या हर दो लोगों के संक्रमित होने पर एक नया स्वरूप पैदा होगा।

इसे पता करने का एक अलग नजरिया जीनोम अनुक्रम डेटा का उपयोग है। जैसा कि प्रत्येक जीनोम अनुक्रम किसी अलग संक्रमित व्यक्ति से लिया जाता है, इस डेटा से हमें उस दर की गणना करने में मदद मिलती है, जिस पर एकल संक्रमण के बजाय वैश्विक स्तर पर संक्रमित आबादी में स्वरूपों की मौजूदगी का पता चलता है।

अनुक्रमण डेटा की तुलना एक मूल ‘संदर्भ’ जीनोम (एक बहुत प्रारंभिक वायरस जीनोम) से करके हम गिन सकते हैं कि प्रत्येक जीनोम में कितने स्वरूप एकत्र हुए हैं। फिर हम देख सकते हैं कि समय के साथ स्वरूपों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ती है।

एक संक्रमण के दौरान उत्पन्न होने वाले स्वरूपों की कुल संख्या का पता लगाने के लिए हमें उन सभी वायरस कणों को भी ध्यान में रखना होगा, जिनमें से प्रत्येक स्वरूप बदलने के अपने अलग पथ का अनुसरण करता है। अधिकांश स्वरूपों का कोई खास प्रभाव नहीं होगा और ये यहां तक कि वायरस के लिए भी हानिकारक हो सकते है। संक्रमित व्यक्ति के भीतर वायरस के कणों का केवल एक छोटा सा अंश आगे संक्रमण का कारण बनता है।

यह लेख लिखते समय, विश्व स्तर पर एक दिन में लगभग 6,20,000 संक्रमण थे। यदि कोई संक्रमण औसतन 0.5 स्वरूप से गुजरता है, तो इसका मतलब है कि विश्व स्तर पर हर दिन एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे में लगभग 3,00,000 नए स्वरूप फैलते हैं।

द कन्वरसेशन

सिम्मी मनीषा

मनीषा




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