ओस्लो, 26 जनवरी (एपी) :अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और मानवाधिकार के मुद्दे पर तालिबान, पश्चिमी देशों के राजनयिकों और अन्य प्रतिनिधियों के बीच तीन दिन की बातचीत नॉर्वे में मंगलवार तक चली। अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने इस चर्चा की प्रशंसा की और इसे ‘‘सार्थक’’ बताया।
नार्वे की राजधानी ओस्लो की बर्फ से ढकी वादियों में हुई यह गोपनीय बैठक अफगानिस्तान के लिए महत्वपूर्ण समय पर हुई, क्योंकि बढ़ती ठंड के बीच अफगानिस्तान का आर्थिक संकट भी बढ़ रहा है।
मुत्तकी ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) को बताया, ‘‘यात्रा बहुत अच्छी थी। इस तरह की यात्राएं हमें दुनिया के करीब लाएंगी।’’
सहायता समूहों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि देश की आबादी के आधे से अधिक यानी लगभग 2.3 करोड़ लोग गंभीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं और लगभग 90 लाख लोग भुखमरी के कगार पर हैं। उनका कहना है कि लोग खाना खरीदने के लिए अपना सामान बेच रहे हैं, ठंड से बचने के लिए फर्नीचर जला रहे हैं और यहां तक कि अपने बच्चों को भी बेच रहे हैं।
मुत्तकी ने कहा कि तालिबान सरकार ‘‘अफगानिस्तान को किसी भी तरह की समस्याओं से बचाने, अधिक सहायता लेने, आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेगी।’’ तालिबान मांग कर रहा है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा रोक कर रखी गई 10 अरब अमेरिकी डॉलर की रकम को जारी किया जाए, लेकिन अब तक उस पर कोई समझौता नहीं हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने कुछ नकदी प्रदान की है और तालिबान प्रशासन को बिजली सहित आयात के लिए भुगतान करने की अनुमति दी है।
वार्ता में शामिल मानवीय संगठनों में से एक नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल के महासचिव जैन एजलैंड ने कहा, ‘‘पहली समस्या यह है कि पश्चिमी प्रतिबंध नकदी संकट पैदा कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि देश को सहायता राशि नहीं मिल सकती है। इस तरह से हम लोगों की जान नहीं बचा सकते, जो हमें करना चाहिए। इसलिए पश्चिम और तालिबान को बात करने की जरूरत है। और हमें नागरिकों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रतिबंधों को खत्म करने की जरूरत है।’’
लेकिन प्रतिबंधों में ढील देने के लिए सहमत होने से पहले पश्चिमी ताकतें अफगान महिलाओं और लड़कियों के लिए और अधिक अधिकारों की मांग कर रही हैं, साथ ही तालिबान प्रशासन द्वारा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक जातीय और धार्मिक समूहों के साथ सत्ता साझा करने की भी मांग की जा रही है।
नए अफगान शासकों ने पिछले हफ्ते ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि उनका लक्ष्य है कि मार्च के अंत में अफगान नव वर्ष के बाद लड़कियों और महिलाओं के लिए स्कूल खोले जाएं। एजलैंड के अनुसार, उन्होंने (तालिबान शासकों ने) ओस्लो में उस वादे को दोहराया। एजलैंड मुत्तकी के नेतृत्व वाले तालिबान प्रतिनिधिमंडल से मिले थे।
पिछले साल अगस्त में तालिबान के अफगानिस्तान पर नियंत्रण पाने के बाद से उसका यूरोप में यह पहला दौरा रविवार को तालिबान और अफगान नागरिक संस्था के सदस्यों के बीच बातचीत के साथ शुरू हुआ था। अगले दिन उन्होंने यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और मेजबान नॉर्वे के राजनयिकों को शामिल करते हुए बहुपक्षीय वार्ता की।
मंगलवार की वार्ता द्विपक्षीय थी, जिसमें स्वतंत्र मानवीय संगठनों सहित सभी पक्ष शामिल थे।
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