नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) : नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने स्वदेशीकरण पर विशेष ध्यान दिए जाने का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को कहा कि पिछले सात वर्षों में भारतीय नौसेना में शामिल किए गए सभी 28 जहाजों और पनडुब्बियों को देश में बनाया गया है।
चार दिसंबर को नौसेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एडमिरल कुमार ने कहा कि 39 जहाज और पनडुब्बियां वर्तमान में निर्माणाधीन हैं, जिनमें से 37 भारतीय शिपयार्ड में बनाई जा रही हैं।
प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर नौसेना प्रमुख ने कहा कि ध्यान ‘‘जहाज पहले’’ दृष्टिकोण पर होगा ताकि परिचालन इकाइयों और उन्हें चलाने वाले कर्मियों को सशक्त बनाया जा सके। एडमिरल कुमार ने कहा, ‘‘मेरा उद्देश्य बिना किसी व्यापक बदलाव किए पूर्व से मिली विरासत को मजबूत करना, समुद्र में अपना काम बेहतर तरीके से करने के लिए मजबूत तकनीक की तलाश करना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा ध्यान सबसे पहले जहाजों पर होगा ताकि परिचालन इकाइयां और उन्हें चलाने वाले कर्मियों को सशक्त, सक्षम बनाया जा सके और पूरी तरह से सहयोग मिले।’’ नौसेना की 170 पोत वाले बल बनने की योजना के बारे में पूछे जाने पर एडमिरल कुमार ने कहा कि सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) द्वारा तैयार की जा रही एकीकृत योजना के मद्देनजर नौसेना की समुद्री क्षमता परिप्रेक्ष्य योजना में कुछ बदलावों पर विचार किया जा रहा है।
एडमिरल कुमार ने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) के पद के सृजन और डीएमए की स्थापना को शीर्ष रक्षा क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण सुधार बताया। निर्माणाधीन जहाजों और पनडुब्बियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इनमें विमानवाहक पोत विक्रांत, पी-15बी श्रेणी के विध्वंसक, पी17ए श्रेणी के पोत और स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां शामिल हैं। लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत पहले ही दो समुद्री परीक्षण पूरे कर चुका है और इसे अगले साल अगस्त तक नौसेना में शामिल किया जाना है।
नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा एक विमानवाहक पोत का स्वदेशी डिजाइन और निर्माण 76 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ‘आत्मनिर्भता’ का एक शानदार उदाहरण है।’’
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