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चीन ओलंपिक में उइगर समुदाय के एथलीट को मशाल थमाकर क्या संदेश देना चाहता है ?


शनि, 05 फरवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

बीजिंग, पांच फरवरी (एपी) :उइगर समुदाय के एक एथलीट ने बीजिंग ओलंपिक में जैसे ही ओलंपिक की मशाल जलाने में मदद की, यह बहस शुरू हो गई कि चीनी नेता दुनिया को इसके जरिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

शुक्रवार की रात बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक खेलों की शुरुआत करने वाले समारोह में अंतिम मशाल थामने के सर्वोच्च सम्मान के लिए दिनिगीर यिलामुजियांग का चयन हैरानी भरा फैसला था। इसका क्या मतलब था यह स्पष्ट नहीं है लेकिन ओलंपिक में इस तरह की अभिव्यक्ति का कुछ ना कुछ मतलब होता है।

अमेरिका में रहने वालीं मानवाधिकार मामलों की वकील रेहान असत के भाई एकपर असत उन 10 लाख से अधिक उइगरों में से हैं, जिन्हें चीन ने हिरासत में रखा है। रेहान इस फैसले से हैरान रह गईं। रेहान असत ने फोन पर कहा, ‘‘मुझे ऐसा लगा कि इतिहास खुद को दोहरा रहा है। यह एक नया निचला स्तर है।’’

चीन ने उइगरों के खिलाफ अपनी कार्रवाई की अंतरराष्ट्रीय आलोचना को दृढ़ता से खारिज कर दिया है,जबकि अमेरिकी सरकार और अन्य ने अल्पसंख्यक समुदाय से किए जा रहे सलूक को नरसंहार के समान बताया है।

ओलंपिक खेलों की चीन की मेजबानी ने कई निर्वासित उइगरों को महसूस कराया है कि उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है। लेकिन मशाल प्रज्ज्वलित करने के लिए अपेक्षाकृत अज्ञात एथलीट का चयन महज एक संयोग नहीं हो सकता है। रेहान असत ने कहा कि उन्हें लगता है कि चीन भले दिखावा करता है, लेकिन वह दूसरे देशों की आलोचनाओं को नकार नहीं सकता।

चीन का कहना है कि पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में हिरासत केंद्र कट्टरपंथी विचाराधारा से मुकाबला करने के लिए बनाए गए। चीनी नेताओं का कहना है कि शिविरों में उइगर लोगों को नौकरी का प्रशिक्षण दिया और यह अब बंद हैं, जबकि विदेशों में रह रहे उइगर लोगों का कहना है कि उनके कई परिजन अभी भी हिरासत में हैं।

शिविरों के बारे में विस्तार से लिखने वाले कनाडा के साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के सहायक प्रोफेसर डैरेन बायलर ने कहा, ‘‘यह बहुत, सोच समझकर उठाया गया कदम था।’’ बायलर ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि चीन यह जताना चाहता है कि शिनजियांग में जो वह कर रहा, उस रुख से वह पीछे नहीं हटने वाला और उसे वास्तव में इसकी कोई परवाह नहीं है कि दुनिया उसके बारे में क्या सोचती है।’’

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