नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) : सर्बिया के विदेश मंत्री निकोला सेलाकोविक ने सोमवार को कहा कि अच्छे या बुरे आतंकवाद जैसा कुछ नहीं है और उनका देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के रुख का समर्थन करता है।
भारतीय वैश्विक परिषद में भारत-सर्बिया संबंधों पर विचार व्यक्त करते हुए सेलाकोविक ने कहा कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
सेलाकोविक की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ व्यापक विचार-विमर्श के एक दिन बाद आयी है जिन्होंने कहा था कि बातचीत के दौरान वे दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए, खासकर आर्थिक क्षेत्र में।
सेलाकोविक ने कहा कि भारत में उनकी उत्कृष्ट बैठकें हुईं जो द्विपक्षीय संबंधों के उन्नयन पर केंद्रित थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम (सर्बिया) आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में आपकी स्थिति का सम्मान और समर्थन कर रहे हैं जिसमें हम यह नहीं कह सकते कि एक आतंकवाद अच्छा है और दूसरा आतंकवाद बुरा है, नहीं, आतंकवाद वही है, यह बुरा है और यह कुछ ऐसा है जिसके खिलाफ हमें लड़ना है।’’
उन्होंने कहा कि भारत और सर्बिया साझा लक्ष्य और मूल्य साझा करते हैं और उनमें से कई ऐसे हैं जिनकों लेकर गुटनिरपेक्ष देश एकत्रित हुए थे।
तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति और देश के विचारों के बारे में पूछे जाने पर सेलाकोविक ने कहा कि उनका देश उन दुर्लभ यूरोपीय देशों में शामिल है जो अफगानिस्तान में सैनिकों के साथ मौजूद नहीं थे।
उन्होंने हालांकि कहा कि अफगानिस्तान समस्या पर कुछ बातचीत बेलग्रेड में पहले भी की जा चुकी है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी स्थिति सैद्धांतिक है कि हम समस्याओं के शांतिपूर्ण और कूटनीतिक समाधान के लिए समर्पित हैं। क्या यह यहां (अफगानिस्तान) हो सकता है, मैं इसको लेकन पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूं।’’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान पर उनकी जो अच्छी बातचीत हुई हैं उनमें जयशंकर के साथ बातचीत शामिल है।
उन्होंने कहा कि सर्बिया और भारत के बीच सैकड़ों समान हित और समान लक्ष्य हैं। सेलाकोविक ने कहा कि सर्बिया के लिए भारत के समर्थन में, विशेष रूप से राजनीतिक क्षेत्र में, दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण होने का एक पहलू सामने आया।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत गणराज्य के तौर पर हमारे पास एक मजबूत, मित्रवत देश है।’’
सेलाकोविक ने कोविड-19 के दौरान अपने देश को दी गई मदद के लिए भारत सरकार के प्रति अपने देश का आभार भी व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सर्बिया एक सैन्य-तटस्थ देश के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है और नाटो का सदस्य बनने को तैयार नहीं है।
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