नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा): प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को लेकर देश को संबोधित करते हुए सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि 15 से 18 साल के जो बच्चे हैं अब उनके लिए वैक्सीनेशन प्रारंभ होगा। 2022 में 3 जनवरी से सोमवार के दिन से वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू होगा। यह कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत तो करेगा ही, स्कूल-कॉलेज जा रहे बच्चों के माता-पिता की चिंता को भी कम करेगा।
इस बीच भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कुछ शर्तों के साथ 12-18 वर्ष आयु वर्ग के लिए कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग का अधिकार प्रदान किया है।
अपने संबोधन में उन्होंने सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम इस वर्ष के अंतिम सप्ताह में हैं। नया वर्ष आने ही वाला है। आप सभी 2022 के स्वागत की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन उत्साह और उमंग के साथ ही ये समय सचेत रहने का भी है। आज दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से संक्रमण बढ़ रहा है।
सावधान रहें, सतर्क रहें।
मास्क का भरपूर प्रयोग करें। हाथों को समय समय पर धोना इस बात भूलना नहीं है। आज जब वायरस म्यूटेट हो रहा है तो हमारा आत्मविश्वास भी मल्टीप्लाई हो रहा है। हमारी इनोवेटिव स्पिरिट भी बढ़ रही है। आज देश के पास 18 लाख आइसोलेशन बेड्स हैं। 5 लाख ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स हैं। 1 लाख 40 हजार आईसीयू बेड्स हैं। आईसीयू और नॉन आईसीयू बेड्स को मिला दें तो 90 हजार बेड्स बच्चों के लिए हैं। आज देश में 3000 से ज्यादा पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स काम कर रहे हैं। 4 लाख से ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर देश में दिए गए हैं। राज्यों को पर्याप्त टेस्टिंग किट्स और दवाओं के बफर स्टॉक दिए जा रहे हैं।
कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ाई का अब तक का अनुभव यही बताता है कि व्यक्तिगत स्तर पर सभी दिशानिर्देशों का पालन, कोरोना से मुकाबले का बहुत बड़ा हथियार है। दूसरा हथियार है वैक्सीनेशन। हमारे देश में भी इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए बहुत पहले वैक्सीन निर्माण पर मिशन मोड में काम करना शुरू कर दिया था। वैक्सीन पर रिसर्च के साथ ही अप्रूवल प्रोसेस, सप्लाई चेन, ट्रेनिंग, डिस्ट्रूीब्यूशन, सर्टिफिकेशन पर भी हमने निरंतर काम किया।
इन तैयारियों का ही नतीजा था कि भारत ने इस साल 16 जनवरी से अपने नागरिकों को वैक्सीन देना शुरू कर दिया था। ये देश के सभी नागरिकों का सामूहिक प्रयास और सामूहिक इच्छाशक्ति है कि आज भारत 141 करोड़ वैक्सीन डोज के अभूतपूर्व और बहुत मुश्किल लक्ष्य को पार कर चुका है। आज भारत की वयस्क जनसंख्या में 61 फीसदी से ज्यादा को दोनों डोज लग चुकी हैं। इसी तरह 90 फीसदी वयस्कों को वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है।
आज हर भारतवासी इस बात पर गर्व करेगा कि हमने दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे विस्तारित और सबसे कठिन भौगोलिक स्थिति के बीच इतना कठिन वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया। टूरिज्म की दृष्टि से अहम राज्य गोवा, उत्तराखंड और हिमाचल ने 100 फीसदी सिंगल डोज का लक्ष्य हासिल कर लिया है। आज जब दूर-सुदूर गांव से फुल वैक्सीनेशन की खबरें आती हैं, तो यह हमारे हेल्थकेयर पर बढ़ते गर्व का भरोसा आता है।
हमारे देश में जल्द ही नेजल वैक्सीन और दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन शुरू होगी। देश को सुरक्षित रखने के लिए और देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए हमने निरंतर प्रयास किए हैं। जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो वैज्ञानिक आधार पर तय किया गया कि पहली डोज किसे दी जाए, वैक्सीन के डोज का अंतराल क्या हो और जो को-मॉर्बिडिटी से ग्रस्त हैं, उन्हें कब वैक्सीन लगे, ऐसे निर्णय लिए गए और यह स्थिति को संभालने में मददगार भी साबित हुए हैं। भारत ने अपनी स्थिति परिस्थिति के अनुसार वैज्ञानिकों के सुझाव पर ही निर्णय लिए हैं।
वर्तमान में ओमिक्रॉन की चर्चा जोरों पर हैं। इसे लेकर स्थितियां अलग-अलग हैं और अनुमान भी अलग-अलग हैं। हमारे वैक्सीनेशन को आज जब 11 महीने पूरे हो चुके हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने जो अध्ययन किया है, उस पर कुछ निर्णय भी लिए गए हैं। आज अटल जी का जन्मदिन है और क्रिसमस का त्योहार भी है। इसलिए कुछ अहम एलान किए जा रहे हैं।
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