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प्रधानमंत्री मोदी के साथ पहली बैठक में अमेरिकी उपराष्ट्रपति हैरिस ने लोकतंत्र की रक्षा पर बात की


शनि, 25 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

वॉशिंगटन, 24 सितंबर (भाषा) : दुनिया भर में लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरे के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भारत और अमेरिका में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और संस्थानों को बचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पहली बैठक में बृहस्पतिवार को दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका रणनीतिक भागीदारी को और मजबूत करने का निर्णय किया और साझा हित वाले वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जिसमें अफगानिस्तान और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दे भी शामिल थे।

हैरिस ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना दोनों देशों का दायित्व है और यह दोनों देशों के लोगों के सर्वोत्तम हित में है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से कहा, ‘‘चूंकि दुनिया भर के लोकतंत्र खतरे में हैं ऐसे में यह जरूरी है कि हम अपने-अपने देशों और दुनिया भर में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संस्थानों की रक्षा करें और अपने-अपने देश में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए निश्चित ही प्रयास करें। जाहिर तौर पर लोकतंत्र की रक्षा करना हमारे देशों के नागरिकों के सर्वोत्तम हित में है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत अनुभव और अपने परिवार के माध्यम से लोकतंत्र के प्रति भारतीयों की प्रतिबद्धता के बारे में जानती हूं। प्रधानमंत्री जी मेरी और आपकी पिछली बातचीत के दौरान हमने इस बारे में बात की थी कि हमारी दुनिया कैसे आपस में जुड़ी हुई है…। हमने कोविड-19, जलवायु संकट और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में अपनी साझा मान्यताओं के महत्व समेत दुनिया के सामने मौजूदा चुनौतियों पर भी बात की थी।’’

हैरिस के पिता एक अश्वेत थे और उनकी माता भारतीय थीं। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका से थे और मां श्यामला गोपालन चेन्नई में कैंसर अनुसंधानकर्ता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं।

द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट की फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक लोकतांत्रिक सूचकांक रैंकिंग में भारत 2020 में दो स्थान नीचे खिसक कर 53वें स्थान पर आ गया है। बहरहाल, भारत की श्रेणी इसके अधिकतर पड़ोसी देशों की तुलना में ऊपर है।

लोकतंत्र के बारे में हैरिस के बयान पर भारत के विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने मीडिया से कहा कि उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य की प्रशंसा की कि दोनों देश बड़े एवं सफल लोकतंत्र हैं और ‘‘हमें न केवल अपने देश के अंदर काम करने की जरूरत है बल्कि दूसरे देशों के साथ भी काम करने की जरूरत है ताकि लोकतंत्र के ब्रांड को बढ़ावा दिया जा सके।’’

श्रृंगला ने एक सवाल के जवाब में मीडिया से कहा, ‘‘बातचीत में उन्होंने जिक्र किया कि अमेरिकी कांग्रेस इस बात से खुश है कि भारत और अमेरिका दो बड़े लोकतंत्र हैं। दोनों लोकतंत्र किस तरीके से काम करते हैं इसकी सराहना होती है।’’

हैरिस ने कहा कि दुनिया आज परस्पर अधिक जुड़ी हुई है जैसा कि पहले नहीं था। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘‘दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर सहयोगात्मक कार्रवाई के महत्व को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ाने पर भारत के जोर और हाल में शुरू किए गए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के बारे में बात की। उन्होंने पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए जीवनशैली में बदलाव के महत्व पर भी जोर दिया।’’

हैरिस ने कहा, ‘‘और जिन चुनौतियों का हमने सामना किया है वे तथ्यों को उजागर करते हैं। कोविड-19, जलवायु संकट और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारा साझा विश्वास इसके महत्व को उजागर करते हैं।’’

भारत और अमेरिका के पत्रकारों से बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने मास्क पहना था। मोदी ने 56 वर्षीय डेमोक्रेटिक नेता और उनके पति डगलस एमहॉफ को भारत यात्रा के लिए आमंत्रित किया।

हैरिस ने भारत को अमेरिका के लिए ‘‘बेहद महत्वपूर्ण साझेदार’’ बताते हुए जल्द टीकों का निर्यात बहाल करने की उसकी घोषणा का स्वागत किया। भारत ने इस साल अप्रैल में देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान टीकों का निर्यात रोक दिया था। सोमवार को भारत ने कहा कि वह अपनी ‘‘वैक्सीन मैत्री’’ और ‘‘वैश्विक कोवैक्स पहल’’ के तहत 2021 के आखिरी तीन महीनों में अतिरिक्त कोविड-19 रोधी टीकों का निर्यात फिर से शुरू करेगा।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के दौरान भारत अन्य देशों के लिए टीके का अहम स्रोत था।

इससे पहले तीन जून को उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की थी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका और भारत हिंद-प्रशांत का सदस्य होने पर गौरव की अनुभूति करते हैं और खुले एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत के महत्व को तरजीह देते हैं।

हैरिस ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी बातचीत की।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत और हम इसे गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और मेरा मानना है कि भारत और अमेरिका के साथ मिलकर काम करने का दोनों देशों के लोगों पर गहरा प्रभाव होगा।

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