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ओर्टेगा के निकारागुआ के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अमेरिका ने उसके अधिकारियों पर लगाए प्रतिबंध


मंगल, 11 जनवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

मानागुआ, 11 जनवरी (एपी) :निकारागुआ में विवादास्पद चुनाव के बाद डेनियल ओर्टेगा के सोमवार को राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने उसके अधिकारियों पर और प्रतिबंध लगा दिए।

अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि वह रक्षा मंत्री और सेना, दूरसंचार और खनन क्षेत्र में पांच अन्य अधिकारियों की अमेरिकी सम्पत्ति जब्त करेगा। अमेरिकी नागरिकों को उनके साथ काम करने से भी रोका जाएगा।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, ‘‘ अप्रैल 2018 से ओर्टेगा और मुरिला (उप राष्ट्रपति रोसारियो मुरिला) के शासन ने राजनीतिक विरोध तथा सार्वजनिक प्रदर्शनों को कुचला है, जिससे 300 से अधिक लोगों की मौत हुई और दो हजार लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में भी डाला गया है। तब से एक लाख से अधिक निकारागुआ के निवासी देश छोड़ चुके हैं।’’

वहीं, विदेश मंत्रालय ने कहा कि निकारागुआ में अब भी ‘‘170 राजनीतिक कैदी हैं…जिनमें से कई पर्याप्त भोजन तथा उचित चिकित्सकीय देखभाल की कमी से पीड़ित हैं।’’

विदेश मंत्रालय ओर्टेगा शासन से जुड़े ‘‘ महापौरों, अभियोजकों, विश्वविद्यालय प्रशासकों के साथ-साथ पुलिस, जेल और सैन्य अधिकारियों सहित’’ 116 लोगों पर वीजा प्रतिबंध भी लगा रहा है।

गौरतलब है कि निकारागुआ में सात नवंबर को चुनाव हुआ था, जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी। चुनाव में ओर्टेगा को लगातार चौथी बार शासन करने के लिए चुना गया। चुनाव को व्यापक रूप से एक तमाशा करार दिया गया और इसकी आलोचना की गई थी, क्योंकि ओर्टेगा को चुनौती देने वाले सात संभावित उम्मीदवारों को गिरफ्तार कर लिया गया था और मतदान से कुछ महीने पहले ही उन्हें जेल भेज दिया गया था।

निकारागुआ की सरकार ने नवंबर में घोषणा की थी कि वह ‘ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स’ (ओएएस) से स्वयं को अलग करेगी। यह एक क्षेत्रीय निकाय है, जिसने ओर्टेगा की सरकार पर दमन तथा चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है।

ओएएस महासभा ने चुनाव की निंदा की थी और कहा था, ‘‘ यह स्वतंत्र, निष्पक्ष या पारदर्शी चुनाव नहीं थे और इसमें लोकतांत्रिक वैधता का अभाव था।’’

ओएएस के सदस्य देशों में से 25 ने इस निंदा प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया था, जबकि मेक्सिको सहित सात देश अनुपस्थित थे। केवल निकारागुआ ने ही इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था।

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