नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) : भारत ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के हाल के प्रस्ताव को अफगानिस्तान समस्या के समाधान को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया का मार्गदर्शक होना चाहिए।
इस प्रस्ताव में यह मांग की गई है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिये नहीं किया जाना चाहिए और संघर्ष का, बातचीत के जरिये राजनीतिक समाधान तलाश किया जाना चाहिए।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने डिजिटल माध्यम से एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यूएनएससी का ‘प्रस्ताव 2593’ खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकवादियों के संबंध में है जिसमें लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इस बात की जरूरत महसूस की गई कि महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों सहित मानवाधिकारों को बरकरार रखा जाना चाहिए और सभी पक्षों को समावेशी एवं बातचीत के जरिये राजनीतिक समाधान निकालने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विदेश सचिव ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान की समस्या से निपटने को लेकर जवाबदेह और एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों के प्रति भारत की मित्रता भविष्य में उसके रुख का मार्गदर्शन करती रहेगी।
श्रृंगला ने हालांकि कहा कि वह (भारत) उस देश (अफगानिस्तान) में घटनाक्रमों और विदेशी प्रभावों को लेकर चिंतित है। उन्होंने कहा कि यूएनएससी प्रस्ताव को पिछले महीने भारत की अध्यक्षता में हुई वैश्विक निकाय की बैठक में पारित किया गया था और इसमें उस देश से सुरक्षित आवाजाही तथा बाहर निकलने को इच्छुक अफगानिस्तान के लोगों एवं विदेशी नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ी उम्मीदों का भी उल्लेख किया गया है।
विदेश सचिव ने कहा कि यूएनएससी प्रस्ताव 2593 में एक स्वर से यह मांग की गई है कि अफगानिस्तान की जमीन का आतंकी गतिविधियों की पनाहगाह, प्रशिक्षण, योजना या वित्त पोषण के लिये इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए तथा इसमें खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित आतंकवादियों का उल्लेख है जिसमें लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद शामिल हैं।
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