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भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी ने अफगानिस्तान पर मजबूत प्रस्ताव पारित किया


बुध, 01 सितम्बर 2021   |   3 मिनट में पढ़ें

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 31 अगस्त (भाषा) भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने एक सुदृढ़ प्रस्ताव पारित किया जिसमें मांग की गई कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकी देने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

प्रस्ताव में उम्मीद की गई है कि तालिबान अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के देश से सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से जाने देने के संबंध में उसके द्वारा जताई गई प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा।

सुरक्षा परिषद ने सोमवार को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को स्वीकार किया, जिसमें 13 सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया और इसके खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा और स्थायी, वीटो-धारक सदस्य रूस और चीन अनुपस्थित रहे।

तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जे के बाद अफगानिस्तान की स्थिति पर शक्तिशाली 15-देशों वाली परिषद द्वारा अपनाया गया यह पहला प्रस्ताव है और इसे अगस्त के महीने के लिए सुरक्षा परिषद की भारत की अध्यक्षता के अंतिम दिन लाया गया।

प्रस्ताव में संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और अफगानिस्तान की राष्ट्रीय एकता के लिए उसकी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई और 26 अगस्त को काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हमलों की निंदा की गई है।

यूएनएससी के प्रस्ताव में तालिबान द्वारा हमले की निंदा पर ध्यान दिया गया।

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘27 अगस्त, 2021 का तालिबान का बयान जिसमें तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई थी कि अफगान विदेश यात्रा करने में सक्षम होंगे, अफगानिस्तान को कभी भी छोड़ सकते हैं, परिषद उम्मीद करती है कि तालिबान इन और अन्य सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा।’’

परिषद ने प्रस्ताव के माध्यम से काबुल में हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास ‘‘खतरनाक सुरक्षा स्थिति’’ पर भी ध्यान दिया और ‘‘चिंता व्यक्त की कि ऐसे खुफिया संकेत है कि क्षेत्र में और आतंकवादी हमले हो सकते हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि आगे संभावित हमलों को रोकने के लिए कदम उठाने और काबुल हवाई अड्डे के आसपास कड़ी सुरक्षा करने का अनुरोध किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वोट के अपने स्पष्टीकरण में प्रस्ताव के माध्यम से कहा, ‘‘हमने एक बार फिर अफगानिस्तान में आतंकवाद के गंभीर खतरे से निपटने की तत्काल आवश्यकता पर बात की है। पिछले हफ्ते काबुल में हुए भीषण हमले ने आईएसआईएस-के जैसे आतंकवादी समूहों के वास्तविक खतरे को प्रदर्शित किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति जो बाइडन ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका हमारी सुरक्षा और हमारे लोगों की रक्षा के लिए जो आवश्यक होगा, वह करेगा। और पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि अफगानिस्तान फिर कभी आतंकवाद के लिए सुरक्षित पनाहगाह न बने।’’

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को उम्मीद है कि तालिबान उन अफगानों और विदेशी नागरिकों को सुरक्षित मार्ग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरेगा, जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं।

रूस और चीन द्वारा अनुपस्थित रहने पर उन्होंने कहा, ‘‘हम रूस और चीन के अनुपस्थित होने से निराश हैं।’’

रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि मॉस्को को ‘‘अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पर वोट के दौरान’’ अनुपस्थित रहने के लिए मजबूर किया गया था ‘‘क्योंकि मसौदा बनाने वालों ने हमारी सैद्धांतिक चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया था।’’

चीनी राजदूत गेंग शुआंग ने कहा कि संबंधित देशों ने पिछले शुक्रवार शाम को मसौदा प्रस्ताव प्रसारित किया था। उन्होंने कहा, ‘‘चीन को इस प्रस्ताव को अपनाने की आवश्यकता और इसकी सामग्री के बारे में बहुत संदेह है। इसके बावजूद, चीन ने अभी भी चर्चा में रचनात्मक रूप से भाग लिया है और रूस के साथ महत्वपूर्ण और उचित संशोधनों को सामने रखा है। दुर्भाग्य से, हमारे संशोधन पूरी तरह से स्वीकार नहीं किए गए हैं।’’

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि यह प्रस्ताव अफगानिस्तान की स्थिति पर एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भाषा

देवेंद्र शफीक




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