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भारत में धर्मार्थ संस्थानों के लाइसेंस मुद्दे का विश्लेषण कर रहा हैं ब्रिटेन


शनि, 08 जनवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

लंदन, सात जनवरी (भाषा) : ब्रिटेन सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को निधि प्राप्त करने के लिए जरूरी लाइसेंसों को लेकर भारत सरकार द्वारा विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के उपयोग का गहराई से विश्लेषण करने के लिए ऐसे मामलों की संख्या पूछी है। एक चर्चा के दौरान हाउस ऑफ लॉर्ड्स को इस बारे में सूचित किया गया।

ब्रिटेन की संसद के उच्च सदन में सहयोगियों ने बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर बहस की, जिसमें पेंट्रेगर्थ के क्रॉसबेंच सहकर्मी लॉर्ड हैरिस द्वारा उठाए गए एक प्रश्न के बाद पूछा गया कि ब्रिटिश सरकार ने अपने भारतीय समकक्षों को ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी और अन्य गैर-सरकारी संगठन के लिए विदेशी धन को अवरुद्ध करने’ के बारे में क्या प्रतिवेदन दिया था।

कोलकाता में मदर टेरेसा द्वारा स्थापित चैरिटी का हाल में अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ एफसीआरए नवीनीकरण नहीं किया गया था। इस कदम पर भारत सरकार ने कहा था कि यह गृह मंत्रालय द्वारा ‘अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया और लंबे समय से चले आ रहे प्रशासनिक अभ्यास’ के तहत ‘नियमित प्रक्रिया’ का मामला है।

लॉर्ड तारिक अहमद ने विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) में राज्य मंत्री के रूप में ब्रिटेन सरकार की ओर से सवालों के जवाब में कहा, “हम कुछ गैर-सरकारी संगठनों के बारे में जानते हैं जो भारत सरकार द्वारा विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम के उपयोग के कारण भारत में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, और कुछ के अपने विदेशी निधि लाइसेंस को नवीनीकृत करने के लिए दिए गए आवेदन खारिज कर दिए गए हैं।

‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के संदर्भ में उन्होंने कहा, “भारत में लाइसेंस के मुद्दे पर, मैंने इनपर खास तौर पर गौर किया है और हमें नहीं पता कि उसके आवेदन क्यों खारिज किए गए। मैंने इस तरह के संस्थानों की संख्या के बारे में पूछा है जिनके साथ फिलहाल यह स्थिति बनी हुई है।”

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