संयुक्त राष्ट्र, 23 नवंबर (भाषा) : संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण के प्रमुख ने कहा है कि शांति रक्षकों को खतरा चिंता का प्रमुख विषय है और उनकी बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत है।
शांति अभियानों के लिए अवर महासचिव ज्यां-पियरे लैक्रोइ ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र ने इन चुनौतियों से निपटने में प्रगति हासिल की है, लेकिन ये खतरे बढ़े हैं।
लैक्रोइ ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “ हमारे शांति रक्षकों को खतरे चिंता का मुख्य विषय हैं, खासकर दुर्भावनापूर्ण कृत्य से। हम वास्तव में और काम करना चाहते हैं।” उनका कहना है कि 2017 के बाद से हमलों में सैनिकों के हताहत होने की संख्या में कमी आई है लेकिन एक भी शांतिसैनिक की जान जाना बहुत ज्यादा है।
लैक्रोइ ने कहा कि बेहतर प्रशिक्षण, खतरों के प्रति जागरुक करना, बेहतर उपकरण देना और सूचना जुटाने की बेहतर क्षमता की जरूरत है, ताकि हमलों को रोका जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यह आईईडी से किए जाने वाले हमलों का मुकाबला करने के लिए भी अहम है।
उन्होंने कहा कि खतरे बढ़ रहे हैं और वे बढ़ेंगे। संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण मंत्रिस्तरीय बैठक की तैयारी कर रहा है जो सात-आठ दिसंबर को दक्षिण कोरिया में होगी।
उन्होंने कहा कि शांति रक्षण पर मंत्रिस्तरीय बैठक विशेष रूप से ‘एक्शन फॉर पीसकीपिंग प्लस’ (ए 4 पी प्लस) के अनुरूप, शांति अभियानों में सुधार के लिए ठोस परिणाम प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
लैक्रोइ ने इसे बहुत अहम बैठक बताया है, क्योंकि यह कोविड के बाद शांति रक्षण पर पहली उच्च स्तरीय बैठक हो रही है।
उन्होंने कहा “ उस बैठक से हम जिस पहली चीज की अपेक्षा करेंगे, वह राजनीतिक स्तर पर शांति रक्षण के लिए हमारे सदस्य देशों के समर्थन की पुन: पुष्टि है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारे शांति मिशन कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण में अधिक महिलाओं के आने की अहमियत को रेखांकित किया और कहा, “ हमें इस दिशा में बहुत प्रगति मिली है लेकिन हमें और काम करना है।”
उन्होंने यह भी कहा कि महामारी ने सिखाया है कि किसी भी तरह के संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि सितंबर तक भारत संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षण में योगदान देने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत के 5,481 सैनिक दुनियाभर में 12 संयुक्त राष्ट्र मिशन में सेवा दे रहे हैं।
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