जिनेवा/ नयी दिल्ली, आठ नवंबर (भाषा) : भारत का वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन स्तर हासिल करने का लक्ष्य अपने साथ 15 लाख करोड़ डॉलर के आर्थिक अवसरों के अलावा पांच करोड़ नए रोजगार पैदा करने की संभावनाएं भी समेटे हुए है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्लयूईएफ) की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में भारत के इस सफर की रूपरेखा बताने की कोशिश की गई है। कृषि एवं सेवा क्षेत्रों के मौजूदा वर्चस्व से विनिर्माण एवं एवं हरित अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने के लिए भारत ने निम्न उत्सर्जक अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है।
यह रिपोर्ट कहती है कि ‘‘सम्मिलित कार्रवाई से मौजूदा दशक में ही करीब 1,000 अरब डॉलर के अवसर पैदा हो सकते हैं। यह भारत के लिए एक ‘ग्रीन न्यू डील’ का मौका है।’’
इस रिपोर्ट में लोगों की जान बचाने, नए उद्योगों को गति देने, रोजगार पैदा करने और जलवायु परिवर्तन को रोकने में भारत का योगदान बढ़ाने का उल्लेख किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में वैश्विक तापन को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की दिशा में भारत का ‘पंचामृत संकल्प’ जताया था।
डब्ल्यूईएफ के उप-प्रमुख (भारत एवं दक्षिण एशिया) श्रीराम गुट्टा ने कहा, ‘‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन एवं हरित अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाने के साथ भारत अपने नागरिकों के लिए प्रगति एवं ऊर्जा सुरक्षा किस तरह मुहैया कराता है, इससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक जंग में हमारी सामूहिक सफलता परिभाषित होगी।’’
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