संयुक्त राष्ट्र, 19 नवंबर (भाषा) : भारत ने पाकिस्तान का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे कई देश हैं, जो आतंकवाद का समर्थन करने के ‘‘स्पष्ट रूप से दोषी’’ हैं और जानबूझकर आतंकवादियों को पनाह देते हैं। साथ ही, उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सामूहिक रूप ऐसे देशों को जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव राजेश परिहार ने बृहस्पतिवार को ‘आतंकवाद के वित्तपोषण के खतरों’ पर 1267/1989/2253 आईएसआईएल (दाएश), अल-कायदा प्रतिबंध समिति और आतंकवाद-रोधी समिति की संयुक्त विशेष बैठक में यह बयान दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद के खतरे का सफलतापूर्वक मुकाबला करने के लिए आतंकवादियों तक वित्तीय संसाधन पहुंचने पर रोक लगाना जरूरी है। कुछ देशों में आतंकवाद के वित्तपोषण (सीएफटी) को रोकने के लिए पर्याप्त कानूनी ढांचे का अभाव है, वहीं, ऐसे कुछ अन्य देश भी हैं जो स्पष्ट रूप से आतंकवाद को सहायता एवं समर्थन देने और आतंकवादियों को वित्तीय सहायता तथा पनाहगाह प्रदान करने के लिए दोषी हैं…..अंतरराष्ट्रीय सुमदाय को सामूहिक रूप से ऐसे देशों को उनके कृत्यों के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए।’’
परिहार ने कहा कि भारत, तीन दशक से अधिक समय से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है।
उन्होंने उन रिपोर्ट का हवाला दिया जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों के सदस्यों पर मुकदमा चलाने को लेकर दक्षिण एशिया के कुछ देशों की ढिलाई की ओर इशारा करती हैं और जहां आतंकवादी संगठन लगातार धन जुटाने में कामयाब रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संकल्प 1373 का वैश्विक कार्यान्वयन सर्वेक्षण, जिसे इस महीने की शुरुआत में आतंकवाद रोधी समिति द्वारा अपनाया गया, उसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि इस उप-क्षेत्र के देश संकल्प 1373 के उस प्रावधान का पालन नहीं कर पाए , जिसमें आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने की बात कही गई है।’’
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में इस बात पर जोर दिया गया है कि ‘‘ कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में, घोषित आतंकवादी संगठन गैर-लाभकारी संगठनों के दुरुपयोग सहित, सहयोगी संगठनों के माध्यम से धन जुटा रहे हैं।’’
परिहार ने पाकिस्तान का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि इस सर्वेक्षण को अक्टूबर 2021 में प्रकाशित ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (एफएटीएफ) की नवीनतम रिपोर्ट के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए, जिसने ‘‘ हमारे क्षेत्र के एक देश की आतंकवाद के वित्तपोषण की जांच और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों के सरगना तथा कमांडरों के खिलाफ मुकदमा चलाने में निरंतर ढिलाई की आलोचना की है।’’
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