सिंगापुर, 29 दिसंबर (भाषा): नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के संक्रामक रोग संभाग के वरिष्ठ सलाहकार प्राध्यापक डेल फिशर ने कहा कि सिंगापुर यह स्वीकार करने वाले शुरुआती देशों में से एक है कि ओमीक्रोन राष्ट्रीय स्तर पर खतरा नहीं है, क्योंकि आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण हो चुका है।
‘द स्ट्रेट टाइम्स’ अखबार ने यहां कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से वायरस के नये स्वरूप पर किए अध्ययन में फिशर के हवाले से कहा कि सिंगापुर कोविड से निपटने की रणनीति इस प्रकार बना रहा है कि अगर नए स्वरूप सामने आते हैं तो उनसे काफी आसानी से निपटा जा सकता है।”
फिशर ने कहा कि कुछ देशों में फिर से अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है क्योंकि ओमीक्रोन ज्यादा संक्रामक है और आबादी की आधारभूत प्रतिरक्षा अभी भी कम है।
‘एशिया पैसिफिक सोसाइटी ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शन’ के अध्यक्ष प्रोफेसर पॉल ताम्ब्याह ने कहा, ‘अब जब हम जानते हैं कि ओमीक्रोन स्वरूप शायद पिछले प्रमुख स्वरूपों की तुलना में कम संक्रामक है, तो हम तपेदिक या इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य संभावित रूप से घातक संक्रामक श्वसन संक्रमण की तरह कोविड के इलाज की तरफ बढ़ सकते हैं।”
फिशर ने कहा, लेकिन यह विवेकपूर्ण एवं महत्वपूर्ण था कि पिछले एक महीने में ओमीक्रोन मामलों को न बढ़ने दिया जाए, इससे देश को समय मिला और विज्ञान को नए स्वरूप के बारे में चिंताओं को समझने में मदद मिली।
विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा के साथ लंबी और कड़ी लड़ाई के बाद ओमीक्रोन से निपटना लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
इस तरह, ओमीक्रोन स्वरूप को अन्य मौजूदा और पिछले स्वरूपों से अलग नहीं मानना उचित है क्योंकि साक्ष्यों से पता चला है कि नये स्वरूप के अधिक संक्रामक होने की संभावना है लेकिन डेल्टा स्वरूप की तुलना में यह कम गंभीर है।
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