काहिरा, 25 दिसंबर (एपी): सूडान में अक्टूबर में हुए तख्तापलट और उसके बाद के नाटकीय घटनाक्रम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के पहले शनिवार को राजधानी खार्तूम तथा उसके आस-पास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी।
सेना की ओर से किए गए तख्तापलट के बाद एक समझौते के तहत प्रधानमंत्री को बहाल कर दिया गया है, लेकिन देश के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को दरकिनार कर दिया गया है।
सूडान की सरकारी समाचार एजेंसी सुना की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे शहर में सैनिकों को तैनात किया गया है जबकि नील नदी पर लगभग सभी पुलों को बंद कर दिया गया, जो राजधानी खार्तूम को ओमदुरमन और बरहरी जिले से जोड़ते हैं।
अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को मध्य खार्तूम में स्थित प्रमुख सरकारी भवनों और संस्थानों जैसे ‘संप्रभु और रणनीतिक’ स्थलों के पास जाने को लेकर चेतावनी दी है। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वे राष्ट्रपति भवन की ओर जाएंगे।
पिछले सप्ताहांत में, सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को हिंसक रूप से तितर-बितर कर दिया था, जब वे राष्ट्रपति भवन के पास धरना देने का प्रयास कर रहे थे। गत रविवार को हुई हिंसा में कम से कम तीन प्रदर्शनकारी मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए थे।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सूडान की सेना प्रदर्शनकारियों का दमन करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रही है। सैनिकों पर महिला प्रदर्शनकारियों के साथ सामूहिक बलात्कार करने के भी आरोप लगे हैं।
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को पिछले महीने एक समझौते के तहत पुन: बहाल किया गया था। समझौते के तहत देश में हमदोक के नेतृत्व में सेना के निरीक्षण के अंतर्गत एक स्वतंत्र तकनीकी कैबिनेट का प्रस्ताव रखा गया है।
इस समझौते को हालांकि लोकतंत्र समर्थक आंदोलनकारियों ने खारिज कर दिया है और बदलाव के साथ पूर्ण रूप से एक अलग सरकार की मांग की है।
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