नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) : महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डों और अपने शिविरों की पहरेदारी करने वाले सुरक्षा बलों को निर्देश दिया गया है कि जब तक उपयुक्त तकनीक नहीं मिल जाती है, तब तक ड्रोन को नष्ट करने के लिए ‘पंप एक्शन गन’ से रबड़ की गोलियों का इस्तेमाल किया जाए। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जैसे बलों ने हाल में पाकिस्तान से लगी सीमा के पास लाइट मशीन गन (एलएमजी) अवलोकन चौकी बनाई है, ताकि सभी क्षेत्रों में नजर रखी जा सके और ड्रोन या मानव रहित वायुयान को नष्ट किया जा सके।
ड्रोन के खतरे का मुकाबला करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए एक नवीनतम रूपरेखा की पीटीआई-भाषा द्वारा समीक्षा की गई है और यह सुरक्षा बलों को पीएजी (पंप एक्शन गन) का उपयोग करने का निर्देश देता है, जो ‘‘किसी भी कम उड़ान वाले यूएवी को बेअसर करने’’ के लिए शस्त्रागार में पहले से ही उपलब्ध हैं। निर्देश के बाद आंतरिक सुरक्षा के लिए तैनात केंद्रीय बलों ने ड्रोन खतरों के प्रति संवेदनशील अपनी इकाइयों को पीएजी आवंटित करना शुरू कर दिया है, जिसमें नक्सल रोधी अभियानों के लिए तैनात किए गए कर्मी भी शामिल हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जब तक ड्रोन हमले को प्रभावी ढंग से जांचने और बेअसर करने के लिए एक पूर्ण प्रौद्योगिकी समाधान नहीं मिल जाता तब तक सुरक्षा बलों को पीएजी का उपयोग करने के लिए कहा गया है जो उनके पास पहले से उपलब्ध है।’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘जिनके पास पर्याप्त मात्रा में ये गैर-घातक हथियार नहीं है, उनसे इन्हें खरीदने के लिए कहा गया है।’’
अधिकारी ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद रोधी कार्यों के लिए तैनात सुरक्षा इकाइयों और हवाई अड्डे की रखवाली करने वालों से भी कहा गया है कि वे परिसर की निगरानी और सुरक्षा के लिए तैनात अपने कर्मियों को ये हथियार मुहैया कराएं। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह पाया गया है कि पीएजी द्वारा दागे गए रबड़ के छर्रे जमीन से लगभग 60-100 मीटर की दूरी से, बम गिराने या शिविर क्षेत्र की टोह लेने के प्रयास में निकले ड्रोन को नीचे गिरा सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) बिजली और परमाणु क्षेत्र में कई हवाई अड्डों और प्रतिष्ठानों की रखवाली करता है, जहां या तो लोग सीमा के करीब रहते हैं या वाहनों की आवाजाही होती है। इसलिए घातक हथियार का उपयोग करने से बड़ी क्षति हो सकती है और लोग भी इससे घायल हो सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि इसलिए यह सलाह दी गई है कि यदि कम उड़ान वाले ड्रोन का पता लगता है तो उन्हें पीएजी का उपयोग करके मार गिराना चाहिए और वहां मौजूद लोगों को बड़े नुकसान से बचाया जाना चाहिए।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) और सीआईएसएफ जैसे विभिन्न सीएपीएफ के शिविर जोखिम वाले क्षेत्रों में हैं और इसलिए उन्हें अपने शिविरों को ड्रोन से बमबारी या टोह लेने की प्रक्रिया से बचाने के लिए ‘पंप एक्शन गन’ का उपयोग करने की सलाह दी गई है।’’
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