मास्को, 22 जनवरी (एपी ): यूक्रेन की सीमा पर हजारों सैनिक तैनात कर चुके रूस ने शीतयुद्ध के बाद से अपने एवं पश्चिमी शक्तियों के बीच के सबसे गंभीर सुरक्षा संकट के मध्य अपने अगले कदम को लेकर अमेरिका एवं उसके सहयोगियों को दुविधा में डाल दिया है।
यूक्रेन पर आसन्न हमले की आशंका के बीच रूस ने इस क्षेत्र में और सैन्याभ्यास करने की घोषणा कर अपना रूख कड़ा कर लिया है। उसने कैरिबियाई क्षेत्र में सैन्य तैनाती की संभावना से भी इनकार किया है और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी शक्तियों के विरोधी नेताओं से संपर्क साधा है।
सैन्य जोर आजमाइश शीतयुद्ध के समापन के बाद नाटो के दशकों से चल रहे विस्तार को थामने की क्रेमलिन की कोशिश का दर्शाता है। अमेरिका के साथ वार्ता के दौरान रूस ने इस बात की कानूनी गारंटी की मांग की कि नाटो यूक्रेन या सोवियत संघ का हिस्सा रहे किसी भी अन्य देश को अपना हिस्सा नहीं बनाएगा तथा वहां हथियार तैनात नहीं करेगा।
वह यह भी चाहता है कि नाटो मध्य एवं पूर्व यूरोप के उन देशों से अपने सैन्यबल को वापस बुलाए जो 1990 के दशक में उससे जुड़े थे।
पुतिन ने यूक्रेन एवं अन्य देशों में नाटो की हथियारों की तैनाती को रूस के लिए ‘खतरे की घंटी’ करार दिया एवं चेतावनी दी कि यदि रूस की मांगें नहीं मानी जाती है तो वह अनिर्धारित ‘सैन्य-तकनीकी उपायों’ का आदेश देंगे।
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