संयुक्त राष्ट्र, एक फरवरी (भाषा) :संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन की स्थिति पर बैठक से पहले चीन के प्रक्रियागत मतदान के खिलाफ मत देने और इसमें भारत, केन्या एवं गैबॉन के अनुपस्थित रहने पर संयुक्त राष्ट्र में एक रूसी राजनयिक ने ‘‘मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहने’’ पर चारों देशों को शुक्रिया अदा किया।
भारत ने यूक्रेन सीमा पर ‘‘तनावपूर्ण हालात’’ को लेकर चर्चा के लिए होने वाली बैठक से पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में प्रक्रियागत मतदान में भाग नहीं लिया था।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के प्रथम उप स्थायी प्रतिनिधि दमित्रि पोलिंस्की ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड के एक ट्वीट के जवाब में ट्विटर पर लिखा, ‘‘जैसा हमने उम्मीद की थी, यह एक जनसंपर्क हथकंडे के अलावा और कुछ नहीं था। यह ‘मेगाफोन डिप्लोमेसी’ (सीधे बातचीत करने के बजाय विवादित मामले में सार्वजनिक बयान देने की कूटनीति) का उदाहरण है। कोई सच्चाई नहीं, केवल आरोप और निराधार दावे।’’
पोलिंस्की ने कहा, ‘‘यह अमेरिकी कूटनीति का सबसे खराब स्तर है। अपने चार सहयोगियों चीन, भारत, गैबॉन और केन्या का धन्यवाद, जो मतदान से पहले अमेरिकी दबाव के बावजूद डटे रहे।’’
ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘रूस की आक्रामकता केवल यूक्रेन और यूरोप के लिए खतरा नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए भी खतरा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर इसे जिम्मेदार बनाने का दायित्व है। यदि पूर्व साम्राज्यों को बल से अपने क्षेत्र फिर से हासिल करना शुरू करने का लाइसेंस मिल जाए, तो दुनिया के लिए इसका क्या अर्थ होगा? यह हमें एक खतरनाक मार्ग पर ले जाएगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वयं पर संकट आने से रोकने के लिए यूएनएससी में इस मामले को लेकर आए। यह रूस की सद्भावना की परीक्षा होगी कि क्या वह वार्ता की मेज पर बैठेगा और तब तक बना रहेगा, जब तक हम किसी सहमति पर नहीं पहुंच जाते? अगर वह ऐसा करने से इनकार करता है, तो दुनिया को पता चल जाएगा कि इसके लिए कौन और क्यों जिम्मेदार है।”
बैठक से पहले परिषद के स्थायी और वीटो- अधिकार प्राप्त सदस्य रूस ने यह निर्धारित करने के लिए एक प्रक्रियागत वोट का आह्वान किया था कि क्या खुली बैठक आगे बढ़नी चाहिए। अमेरिका के अनुरोध पर हुई बैठक के लिए परिषद को नौ मतों की आवश्यकता थी।
रूस और चीन ने बैठक के खिलाफ मतदान किया, जबकि भारत, गैबॉन और केन्या ने भाग नहीं लिया। फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन सहित परिषद के 10 अन्य सदस्यों ने बैठक के चलने के पक्ष में मतदान किया।
बैठक में भारत ने रेखांकित किया कि ‘‘शांत और रचनात्मक’’ कूटनीति ‘‘समय की आवश्यकता’’ है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के व्यापक हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए।
यूक्रेन की सीमाओं के पास हजारों रूसी सैनिकों के एकत्र होने के बीच यूक्रेन संकट पर चर्चा करने के लिए 15 सदस्यीय परिषद ने बैठक की थी। मास्को की कार्रवाई ने यूक्रेन पर आक्रमण की आशंकाओं को बढ़ा दिया है। रूस ने इस बात से इनकार किया कि वह हमले की योजना बना रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने परिषद में कहा कि नयी दिल्ली यूक्रेन से संबंधित घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रख रही है।
तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘भारत का हित एक ऐसा समाधान खोजने में है जो सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके और इसका उद्देश्य क्षेत्र तथा उसके बाहर दीर्घकालिक शांति और स्थिरता हासिल करना हो।’’
तिरुमूर्ति ने कहा कि यूक्रेन के सीमावर्ती इलाकों समेत उस देश के विभिन्न हिस्सेां में 20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक पढ़ते एवं रहते है। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।’’
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