मास्को,16 नवंबर (एपी) : रूसी अधिकारियों ने मंगलवार को इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने अंतरिक्ष मलबे का 1,500 से अधिक टुकड़े पैदा करने वाला एक हथियार परीक्षण कर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद व्यक्तियों के जीवन को खतरे में डाल दिया।
अमेरिकी अधिकारियों ने सोमवार को रूस पर एक मिसाइल से एक पुराने उपग्रह को नष्ट करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसे लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना कार्य करार दिया था।
मलबा अंतरिक्ष स्टेशन को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि यह 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से अपनी कक्षा में परिक्रमा कर रहा है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रशासक बिल नेलसन ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को अब सामान्य से चार गुना अधिक जोखिम का सामना करना पड़ेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह परीक्षण स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि बाहरी अंतरिक्ष के शस्त्रीकरण का विरोध करने के अपने दावों के बावजूद वह अपने लापरवाह और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के जरिए सभी देशों के लिए बाहरी अंतरिक्ष के उपयोग को जोखिम में डालने को इच्छुक है।’’
हालांकि, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकोस्मोस ने परीक्षण की पुष्टि नहीं की, ना ही इससे इनकार किया है। उसने मंगलवार को जारी एक अस्पष्ट ऑनलाइन बयान में सिर्फ यह कहा कि आईएसएस में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों की बेशर्त सुरक्षा उसकी मुख्य प्राथमिकता है।
हालांकि, रूस के रक्षा मंत्रालय ने परीक्षण किये जाने और सेवा से बाहर हो चुके एक उपग्रह को नष्ट करने की मंगलवार को पुष्टि की, लेकिन जोर देते हुए कहा कि अमेरिका निश्चित तौर पर जानता है कि मलबे के टुकड़े, परीक्षण के समय और कक्षा में परिक्रमा के मानदंडों के संदर्भ में, अंतरिक्ष स्टेशनों, अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष गतिविधियों को खतरा पैदा नहीं किया और ना ही करेगा।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यह आरोप भी लगाया कि यह कहना पाखंड है कि रूस ने अंतरिक्ष में शांतिपूर्ण गतिविधियों के लिए खतरा पैदा किया है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार सुबह स्थिति स्पष्ट हो जाने के बाद, आईएसएस पर मौजूद चार अमेरिकी, एक जर्मन और दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी ‘कैप्सूल’ में फौरन आश्रय लेने को कहा गया था।
वे दो घंटे तक दो कैप्सूल के अंदर रहे।
नासा मिशन कंट्रोल ने कहा है कि बढ़ा हुआ खतरा अंतरिक्ष यात्री विज्ञान अनुसंधान व अन्य कार्य को बाधित करना जारी रख सकता है।
उल्लेखनीय है कि चीन ने भी 2007 में इसी तरह का एक हथियार परीक्षण किया था, जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष में मलबे के अनगिनत टुकड़े बिखर गये थे।
वहीं, अमेरिका द्वारा 2008 में और भारत द्वारा 2019 में उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण काफी कम ऊंचाई पर, अंतरिक्ष स्टेशन से करीब 420 किमी नीचे किया गया था।
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