संयुक्त राष्ट्र, एक फरवरी (एपी): रूसी अधिकारियों ने मंगलवार को इन खबरों का खंडन किया कि मॉस्को ने यूक्रेन संकट को कम करने से संबंधित अमेरिकी प्रस्ताव पर वाशिंगटन को एक लिखित प्रतिक्रिया भेजी है। इससे एक दिन पहले सुरक्षा परिषद में दोनों देशों के बीच तीखे-आरोप प्रत्यारोप देखने को मिले थे । वहीं, इस सिलसिले में रूस की राजधानी मॉस्को और यूक्रेन की राजधानी कीव में बैठकों का दौर जारी है।
रूस अमेरिका और नाटो से कानूनी रूप से बाध्यकारी गारंटी मांग रहा है कि यूक्रेन कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा। इसके अलावा रूस की मांग है कि उसकी सीमाओं के पास नाटो हथियारों की तैनाती रोकी जाए और नाटो के बल पूर्वी यूरोप से वापस लौट जाएं। वहीं, अमेरिका और नाटो को लगता है कि रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है।
वाशिंगटन ने मॉस्को को मांगों पर लिखित प्रतिक्रिया प्रदान की है, और सोमवार को बाइडन प्रशासन के तीन अधिकारियों ने कहा कि रूसी सरकार ने अमेरिकी प्रस्तावों पर एक लिखित प्रतिक्रिया भेजी है। हालांकि दूसरी ओर रूस के उप विदेश मंत्री एलेक्जेंडर ग्रूश्को ने मंगलवार को आरआईए नोवोस्ती समाचार एजेंसी से मंगलवार को बताया कि यह ”सच नहीं” है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि इस संबंध में ”भ्रम” पैदा हुआ है और अमेरिकी प्रस्तावों पर रूस की क्या प्रतिक्रिया हो, इस पर अभी विचार चल रहा है।
पेसकोव ने कहा, ”पश्चिमी अधिकारियों ने कुछ अलग मुद्दे पर विचार व्यक्त किए होंगे।”
इससे पहले, अमेरिकी अधिकारियों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया था कि मॉस्को ने यूक्रेन संकट को कम करने से संबंधित अमेरिकी प्रस्ताव पर वाशिंगटन को एक लिखित प्रतिक्रिया भेजी है।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने रूस की प्रतिक्रिया की विस्तृत जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘बातचीत को सार्वजनिक रूप से उजागर करना उचित नहीं होगा’’ और वे इसका फैसला रूस पर छोड़ते हैं कि वह अपनी प्रतिक्रिया को लोगों से साझा करें या नहीं।
इस बीच, रूस ने पश्चिम देशों पर यूक्रेन को लेकर ‘‘तनाव बढ़ाने’’ का मंगलवार को आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका कीव में ‘‘नाजियों’’ को सत्ता में लेकर आया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में मॉस्को ने यह टिप्पणी की, जहां रूस और अमेरिका के प्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस हुई।
अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने पलटवार करते हुए कहा कि रूस यूक्रेन सीमा पर 1,00,000 से अधिक सैनिकों को तैनात कर रहा है जो दशकों में यूरोप में ‘‘सबसे बड़ा सैन्य जमावड़ा’’ है। साथ ही उन्होंने कहा कि रूस द्वारा साइबर हमलों और झूठी सूचनाएं फैलाने की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे बिना किसी ठोस तथ्य और आधार के यूक्रेन और पश्चिमी देशों को हमलावर दिखाने का प्रयास कर रहे हैं ताकि हमले का बहाना बनाया जा सके।’’
अमेरिका और रूस के बीच इस संकट को कम करने की बातचीत अब तक नाकाम रही है और पश्चिमी देशों का कहना है कि मॉस्को हमले की तैयारी कर रहा है। वहीं, रूस ने हमले की योजना बनाने से इनकार किया है।
रूसी राजदूत वैसिली नेबेंजिया ने बाइडन प्रशासन पर ‘‘तनाव को बढ़ाने और उकसाने’’ का आरोप लगाया। उन्होंने थॉमस ग्रीनफील्ड की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप यह चाहते हैं। आप ऐसा होने का इंतजार कर रहे हैं।’’
उन्होंने अमेरिका पर 2014 में कीव में क्रेमलिन समर्थक राष्ट्रपति को सत्ता से बाहर करने का आरोप लगाया।
सुरक्षा परिषद में यह तीखी बहस ऐसे समय में हुई है जब मॉस्को का बैठक को रोकने का प्रयास नाकाम हो गया। यह पहला खुला सत्र था जहां यूक्रेन संकट के सभी प्रमुख पक्षों ने सार्वजनिक तौर पर बात की।
इस बीच, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को मास्को में हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन से मुलाकात की और अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि क्रेमलिन की सुरक्षा मांगों पर चर्चा की जाएगी। वहीं, ओर्बन ने जोर देकर कहा कि कोई भी यूरोपीय नेता इस क्षेत्र में युद्ध नहीं चाहता है।
वहीं दूसरी ओर, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मिलने वाले हैं।
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