नूर सुल्तान (कजाकिस्तान), 12 अक्टूबर (भाषा) : भारत ने मंगलवार को कहा कि अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम से क्षेत्र में तथा इससे परे ‘‘स्पष्ट चिंता’’ उत्पन्न हुई है और काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन को बढ़ावा देना एवं यह सुनिश्चित करना व्यापक रूप से जानी-पहचानी प्राथमिकताएं हैं कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवाद का समर्थन करने के लिए न हो।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह टिप्पणी एशिया में वार्ता और विश्वास निर्माण उपाय सम्मेलन (सीआईसीए) के विदेश मंत्रियों की कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कसीम-जोमार्ट तोकायेव के साथ यहां संयुक्त बैठक में की।
जयशंकर ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम से क्षेत्र में और इससे परे ‘‘स्पष्ट चिंता’’ उत्पन्न हुई है तथा काबुल में एक समावेशी सरकार के गठन को बढ़ावा देना एवं यह सुनिश्चित करना व्यापक रूप से जानी-पहचानी प्राथमिकताएं हैं कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवाद का समर्थन करने के लिए न हो।’’
उन्होंने कहा कि सीआईसीए की आवाज अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया को आकार देने में एक सकारात्मक कारक हो सकती है।
अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों के कुछ समय बाद अफगानिस्तान से अपदस्थ किए गए तालिबान ने 20 साल बाद गत अगस्त के मध्य में पश्चिम समर्थित निर्वाचित सरकार को अपदस्थ कर अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया था।
तालिबान ने अफगानिस्तान के जटिल जातीय तंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली समावेशी सरकार का वादा किया था। हालांकि, उसके द्वारा बनाई गई अंतरिम सरकार में यह वादा पूरा नहीं किया गया और मंत्रिपरिषद में किसी महिला को शामिल नहीं किया गया।
कई देशों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि तालिबान ने वादे के अनुरूप समावेशी सरकार नहीं बनाई है।
जयशंकर ने इस सप्ताह के शुरू में कहा था कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर भारत करीब से नजर रखे हुए है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया था कि तालिबान शासन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में वर्णित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करे।
सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 स्पष्ट रूप से कहता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादियों को आश्रय देने, प्रशिक्षण देने, योजना बनाने या आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए। विशेष रूप से यह प्रस्ताव, लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और व्यक्तियों को संदर्भित करता है।
भारत ने यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया है कि कोई भी देश ‘अफगानिस्तान की नाजुक स्थिति का लाभ उठाने और अपने स्वार्थ के लिए इसका इस्तेमाल करने की कोशिश न करे।’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘एशिया का घटनाक्रम दुनिया के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। चाहे वह आतंकवाद और उग्रवाद का संकट हो, स्वास्थ्य, आर्थिक और महामारी के सामाजिक प्रभाव हों, या विश्व के लोगों की सुरक्षा या सतत विकास के लक्ष्य हों, हमें अपने अस्तित्व की अविभाज्यता की प्रशंसा करनी चाहिए। इस तरह की जागरूकता हमें एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करती है।’’
उन्होंने कहा कि आतंकवाद, हथियारों की तस्करी, नशीले पदार्थों के व्यापार और अन्य प्रकार के अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए सामूहिक संकल्प को मजबूत करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है तथा सीआईसीए द्वारा प्रोत्साहित सहयोग इसमें सहायक हो सकता है।
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘विश्व व्यवस्था में जो परिवर्तन सीआईसीए के समेकन में परिलक्षित होते हैं, उनसे सुधार बहुपक्षवाद के लिए एक शक्तिशाली मामला बनता है। हमारी विविध दुनिया को लोकतांत्रिक निर्णय लेने का लाभ उठाने के और तरीके खोजने चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि सीआईसीए के अपने 30वें वर्ष के करीब पहुंचने के साथ ही इसके सदस्य एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने के लक्ष्य के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं तथा ‘आज की बैठक उस दिशा में एक और कदम होगी।’
जयशंकर ने सीआईसीए फोरम को मजबूत करने में कजाकिस्तान की पहल की भी सराहना की और आतंकवाद, महामारी तथा विश्व के लोगों की सुरक्षा सहित समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि एशिया में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सीआईसीए को एक मंच के रूप में स्थापित करने के कजाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति एल्बासी नूरसुल्तान नज़रबायेव के दृष्टिकोण ने एक लंबा सफर तय किया है। हम उनके निरंतर मार्गदर्शन को लेकर आशान्वित हैं।’’
जयशंकर मध्य एशिया के अपने तीन देशों के दौरे के दूसरे चरण में सोमवार को किर्गिस्तान से कजाकिस्तान पहुंचे थे।
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