नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में स्थित युद्ध स्मारक का, उसके सौन्दर्यीकरण के बाद बृहस्पतिवार को उद्घाटन किया। 18,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान पर हुए युद्ध में करीब 100 भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सेना का बहादुरी से मुकाबला किया था।
रेजांग ला की लड़ाई को 59 साल पहले लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से माना जाता है।
शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने इस युद्ध स्मारक को भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का उदाहरण बताया और कहा कि ‘‘यह ना सिर्फ इतिहास के पन्नों में अमर है, बल्कि हमारे दिलों में भी जिंदा है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘रेजांग ला के युद्ध को दुनिया के 10 महानतम और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘18,000 फुट की ऊंचाई पर लड़ी गयी रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई की कल्पना आज भी करना मुश्किल है। मेजर शैतान सिंह और उनके सैनिकों ने ‘अंतिम गोली, अंतिम सांस’ तक लड़ाई लड़ी और साहस तथा बहादुरी का नया अध्याय लिखा।’’
सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘लद्दाचा की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित रेजांग ला में 1962 के युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले 114 भारतीय सैनिकों को मैं सलाम करता हूं।’’
रेजांग ला की लड़ाई 18 नवंबर, 1962 को सुबह चार बजे शुरु हुई और रात करीब 10 बजे तक चली। इसमें मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाउं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन की सी कंपनी ने बेहद कम संख्या में होते हुए भी ना सिर्फ अपना मोर्चा संभाले रखा बल्कि चीनी सेना को भारी नुकसान भी पहुंचाया।
इसके लिए मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र दिया गया था।
रक्षा मंत्री ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आर. बी. जाठर से भी भेंट की जो रेजांग ला युद्ध में शामिल हुए थे।
सिंह ने कहा, ‘‘मेरे मन में उनके लिए असीम आदर भाव है और मैं उनके साहस को सलाम करता हूं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे, दीर्घायु बनाए।’’
सौन्दर्यीकरण के बाद स्मारक को ऐसे समय पर जनता के लिए खोला गया है जब भारत और चीन के बीच पिछले डेढ़ साल से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
चीन के आक्रामक रवैये और भारतीय सैनिकों को डराने के असफल प्रयास के बाद भारतीय सेना ने पिछले साल अगस्त में रेजांग लां क्षेत्र की कई पर्वत चोटियों पर नियंत्रण कर लिया।
दोनों देशों के बीच गतिरोध पिछले साल पांच मई को शुरू हुआ था।
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