नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनकी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली ने शुक्रवार को व्यापक वार्ता की। इस बातचीत में द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
पार्ली दो दिन की यात्रा पर बृहस्पतिवार शाम दिल्ली पहुंची।
अधिकारियों ने पहले कहा था कि अफगानिस्तान का हालिया घटनाक्रम और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिति वार्ता में शामिल होगी।
भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभ रक्षा और सुरक्षा, असैन्य परमाणु सहयोग तथा व्यापार और निवेश के क्षेत्र हैं।
इसके अलावा, भारत और फ्रांस सहयोग के नए क्षेत्रों को लेकर भी संवाद बढ़ा रहे हैं, जिनमें हिंद महासागर क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ प्रगति व विकास शामिल हैं।
दोनों देश आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने के तरीकों के साथ-साथ कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर समान विचार रखते हैं।
वार्ता से पहले सिंह के दफ्तर की ओर से ट्वीट किया गया, “ रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने यहां आई फ्रांस की रक्षा मंत्री श्रीमति फ्लोरेंस पार्ली की विज्ञान भवन में अगवानी की। तीसरी भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता थोड़ी देर में शुरू होगी।”
सिंह के साथ बैठक से पहले, पार्ली ने एक थिंक-टैंक में कहा कि वह यह बताने के लिए भारत आई हैं कि फ्रांस और भारत के बीच दोस्ती कितनी ‘अहम’ है।
उन्होंने भारत को जीवंत रंगों, प्रभावशाली परिदृश्यों और समृद्ध इतिहास की एक अनूठी भूमि के तौर पर उल्लेखित किया। उन्होंने कहा कि इस देश जैसा कोई और नहीं है।
पार्ले ने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों बहुपक्षवाद और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि जब दुनिया और क्षेत्र ने उथल-पुथल का सामना किया तब ‘मजबूत सिंद्धातों’ का संदर्भ देना अच्छा है।
इस संदर्भ में, पार्ली ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई सहित प्रमुख मुद्दों और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में दोनों पक्षों के समान विचारों के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि सशस्त्र बलों के पास जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान करने के लिए बहुत कुछ है। नवंबर में पेरिस पीस फोरम में हमने जो पहल की थी उसका यही अर्थ है।”
फ्रांस की रक्षा मंत्री ने कहा, “मुझे लगता है कि हमें भारत से बहुत कुछ सीखना है, जो पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दृढ़ है और इस पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।”
ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका (ऑकस) द्वारा सितंबर में सुरक्षा साझेदारी के एलान के बाद यह फ्रांस से पहली उच्च स्तरीय भारत यात्रा है।
ऑकस के बारे में पूछे जाने पर पार्ली ने कहा कि यह फ्रांस के लिए निराशाजनक घटनाक्रम है। उन्होंने कहा, ‘हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ बहुत अच्छे संबंध विकसित किए हैं। फिर ऑस्ट्रेलिया ने अपना फैसला किया। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी। यह निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत निराशाजनक है।’
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