संयुक्त राष्ट्र, 5 फरवरी (भाषा): भारत ने राजनीतिक विचारधाराओं और कट्टरपंथी विचारधाराओं के बीच अंतर करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि राजनीतिक विचारधाराएं एक बहुलवादी लोकतांत्रिक राजनीति का हिस्सा हैं तो वहीं कट्टरपंथी विचारधाराएं आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। भारत ने जोर देकर कहा कि दोनों को एक ही नजरिये से देखने का कोई भी प्रयास ”गलत” और ”प्रतिकूल” है।
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद रोधी कार्यालय (यूएनओसीटी) द्वारा आयोजित सदस्य देशों की राजदूत स्तर की वार्षिक ब्रीफिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि राष्ट्रों को 9/11 से पहले के दौर में नहीं जाना चाहिये, जब आतंकवादियों को ‘आपका आतंकवादी’ और ‘मेरा आतंकवादी’ में विभाजित किया जाता था।
तिरुमूर्ति ने कहा कि उन्हें वर्गीकृत करना आतंकवाद से निपटने के सामूहिक संकल्प को कमजोर करता है।
उन्होंने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि लोकतंत्र में दक्षिणपंथी और वामपंथी राजनीति का हिस्सा हैं और चुनाव के माध्यम से सत्ता में आते हैं, जो बहुमत की इच्छा को दर्शाता है।
तिरुमूर्ति ने कहा, ”लोकतंत्र की परिभाषा के अनुसार यह विचारधाराओं और विश्वासों का एक व्यापक संगम होता है। हमें राजनीतिक विचारधाराओं और कट्टरपंथी विचारधाराओं के बीच अंतर करने की आवश्यकता है। राजनीतिक विचारधाराएं एक बहुलवादी लोकतांत्रिक राजनीति का हिस्सा हैं तो वहीं कट्टरपंथी विचारधाराएं आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। हमारी लड़ाई ऐसी कट्टरपंथी विचारधाराओं के खिलाफ है न कि लोकतंत्र के खिलाफ। दोनों को एक ही नजरिये से देखने का कोई भी प्रयास गलत और प्रतिकूल है।”
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