कैनबरा, 26 नवंबर (एपी) : सोलोमन द्वीप के प्रधानमंत्री मनासेह सोगावरे ने ताइवान से संबंध खत्म कर चीन से नाता जोड़ने के उनके सरकार के फैसले को लेकर हाल के दिनों में राजधानी होनियारा में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों, आगजनी और लूटपाट के लिए विदेशी हस्तक्षेप को शुक्रवार को जिम्मेदार ठहराया।
सोलोमन द्वीप एक संप्रभु देश है जिसमें छह प्रमुख द्वीप और ओशिनिया के 900 से अधिक छोटे द्वीप आते हैं।
सोगावरे ने 2019 में कई लोगों, खासतौर से सोलोमन द्वीप के सबसे घनी आबादी वाले प्रांत मलाइता के नेताओं को उस समय नाराज कर दिया था जब उन्होंने ताइवान के साथ देश के राजनयिक संबंध खत्म कर दिए।
देश के रक्षा मंत्री पीटर डटन ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और राजनयिकों को लेकर आने वाला एक विमान बृहस्पतिवार को होनियारा में पहुंचा, जहां वे दूसरे दिन सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद शांति व्यवस्था कायम करने के प्रयासों में स्थानीय पुलिस की मदद करेंगे।
सोगारवे ने कहा कि वह चीन से राजनयिक संबंध स्थापित करने के अपने सरकार के फैसले पर अडिग हैं और उन्होंने इसे हिंसा का ‘‘एकमात्र मुद्दा’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं किसी के भी आगे झुकने वाला नहीं हूं। हम अपनी बात पर कायम है, सरकार भी अपनी बात पर काम है और हम लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’’
सोगारवे के आलोचकों ने अशांति के लिए सरकारी सेवाओं की कमी और भ्रष्टाचार की शिकायतों को भी जिम्मेदार बताया।
ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिस पायने ने इस पर बात पर सहमति नहीं जतायी कि अशांति के लिए दूसरे देश जिम्मेदार हैं।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने शांति व्यवस्था बहाल करने और अहम प्रतिष्ठानों की रक्षा करने में स्थानीय पुलिस की मदद के वास्ते सैनिकों, पुलिस और राजनयिकों को भेजने की बृहस्पतिवार को प्रतिबद्धता जतायी।
कुछ पर्यवेक्षकों की दलील है कि शांति व्यवस्था बहाल करने को लेकर चीन के सुरक्षा बलों को आने से रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया ने तत्काल हस्तक्षेप किया है, लेकिन मॉरिसन ने कहा कि सोगारवे ने मदद के लिए कहा है क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया पर भरोसा करते हैं।
इस बीच, चीन ने कुछ चीनी नागरिकों और संस्थानों पर हाल में हुए हमलों को लेकर गंभीर चिंता जतायी है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘हम मानते हैं कि प्रधानमंत्री सोगारवे के नेतृत्व में सोलोमन द्वीप सरकार जल्द से जल्द सामाजिक व्यवस्था एवं स्थिरता बहाल कर सकती है।’’
उन्होंने कहा कि राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से आर्थिक और अन्य सहयोग से दोनों पक्षों को लाभ मिला है।
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