• 22 November, 2024
Foreign Affairs, Geopolitics & National Security
MENU

भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए सौदे के केंद्र बिंदु थे पेगासस एवं एक मिसाइल प्रणाली: अमेरिकी मीडिया


शनि, 29 जनवरी 2022   |   2 मिनट में पढ़ें

न्यूयॉर्क, 29 जनवरी (भाषा) :इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के ”केंद्र बिंदु” थे। अमेरिका के दैनिक समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपनी एक खबर में यह दावा किया।

पिछले साल उस समय विवाद खड़ा हो गया था, जब भारत सहित कई देशों में पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों, नेताओं और अन्य लोगों की जासूसी करने के लिए कुछ सरकारों द्वारा कथित तौर पर एनएसओ समूह के पेगासस सॉफ्टवेयर के उपयोग की बात सामने आई थी। इसके चलते गोपनीयता संबंधी मुद्दों के लेकर चिंताएं पैदा हो गई थीं।

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन’ शीर्षक वाली एक खबर में कहा कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप लगभग एक दशक से इस दावे के साथ ”अपने जासूसी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को बेच’’ रही थी कि यह जैसा काम कर सकता है, वैसा कोई और नहीं कर सकता।

खबर में जुलाई 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा का भी उल्लेख किया गया। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इजराइल यात्रा थी।

खबर में कहा गया है कि भारत-इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे में स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली ”केंद्रबिंदु” थे।

खबर में कहा गया है, ‘दशकों से, भारत ने ‘फलस्तीनी मुद्दे के प्रति प्रतिबद्धता’ की नीति बरकार रखी थी और इजराइल के साथ संबंध ठंडे पड़े थे। मोदी की यात्रा विशेष रूप से सौहार्द्रपूर्ण रही थी । उनके (इजराइल के तत्कालीन) प्रधानमंत्री (बेंजामिन) नेतान्याहू के साथ एक स्थानीय समुद्र तट पर नंगे पांव टहलने के दौरान इसकी झलक दिखी थी।‘’

खबर के अनुसार “उनके पास गर्मजोशी भरी भावनाएं व्यक्त करने का कारण था। उनके देश लगभग 2 अरब अमेरिकी डॉलर के हथियार और खुफिया उपकरण सौदे पर सहमत हुए थे, जिसके केंद्रबिंदु पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली थे।‘’

खबर के अनुसार, “महीनों बाद, नेतन्याहू ने भारत की एक दुर्लभ राजकीय यात्रा की। और जून 2019 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद में इजराइल का समर्थन करते हुए फलस्तीनी मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक का दर्जा देने से इनकार करने के लिए मतदान किया। भारत ने पहली बार ऐसा किया।‘’

‘पीटीआई-भाषा’ ने न्यूयार्क टाइम्स की इस खबर पर सरकार से प्रतिक्रिया मांगी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

पिछले साल, इस बात को लेकर विवाद खड़ा हो गया था कि भारत में इजराइली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके लोगों को निशाना बनाकर निगरानी की जा रही है। अक्टूबर में, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की जांच के लिए एक 3 सदस्यीय स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करते हुए कहा था कि सरकार हर बार राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बता कर सवालों से बच नहीं सकती।

वहीं, इजराइल ने पिछले साल नवंबर में पेगासस विवाद के खुद को दूर कर लिया था, जब अमेरिका ने स्पाइवेयर की निर्माता कंपनी एनएसओ समूह को काली सूची में डाल दिया था। इजराइल ने कहा था कि यह एक निजी कंपनी है और इसका इजराइल सरकार की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं है।

******************************************************************************************




चाणक्य फोरम आपके लिए प्रस्तुत है। हमारे चैनल से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें (@ChanakyaForum) और नई सूचनाओं और लेखों से अपडेट रहें।

जरूरी

हम आपको दुनिया भर से बेहतरीन लेख और अपडेट मुहैया कराने के लिए चौबीस घंटे काम करते हैं। आप निर्बाध पढ़ सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी टीम अथक प्रयास करती है। लेकिन इन सब पर पैसा खर्च होता है। कृपया हमारा समर्थन करें ताकि हम वही करते रहें जो हम सबसे अच्छा करते हैं। पढ़ने का आनंद लें

सहयोग करें
Or
9289230333
Or

POST COMMENTS (0)

Leave a Comment

प्रदर्शित लेख